सोमवार, 6 जून 2022

Covid-19:अभियान चलाकर 24 जून तक छूटे लोगों को लगेगी दूसरी डोज़

हर घर दस्तक 2.0 अभियान में फिर तेजी की कवायद 

घर-घर दस्तक देकर खोजे जाएंगे कोविड की दूसरी डोज़ से छूटे व बचे हुये लाभार्थी

स्वास्थ्य विभाग ने की अपील - दूसरी डोज़ नहीं लगी है तो जल्द लगवा लें

घर के नजदीक टीकाकरण केंद्र व स्वास्थ्य केंद्र पर लगवा सकते हैं टीका


Varanasi (dil India live). जनपद में सोमवार से कोविड टीके की दूसरी डोज से छूटे हुए लोगों का शत-प्रतिशत कोविड टीकाकरण किए जाने को लेकर ‘हर घर दस्तक 2.0’ अभियान शुरू हो गया है। यह अभियान 24 जून तक चलेगा । इसको लेकर सोमवार को एनआईसी में हुई राज्य स्तरीय वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग बैठक में निर्देशित किया गया कि जनपद में जिन लाभार्थियों ने दूसरी डोज़ का टीका नहीं लगवाया है, उन्हें घर-घर खोजकर चिन्हित कर शत-प्रतिशत दूसरी डोज़ का टीका लगाया जाए।

शासन से प्राप्त निर्देशानुसार मंडलीय अपर निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ शशिकांत उपाध्याय एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि दूसरी डोज़ का टीकाकरण शत-प्रतिशत करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाए। प्रतिदिन का लक्ष्य निर्धारित कर स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उस लक्ष्य को प्रतिदिन के अनुसार अपडेशन का कार्य पूरा किया जाए। शाम को प्रभारी चिकित्सा अधिकारी समस्त टीम के साथ मॉनिटरिंग भी करें।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी (डीआईओ) व एसीएमओ डॉ वीएस राय ने बताया कि अभियान के लिए दूसरी डोज के कम कवरेज वाले लक्षित भौगौलिक क्षेत्र के अनुसार कार्ययोजना बनाई गई है। नियमित टीकाकरण के दिन बुधवार और शनिवार को नियमित टीकाकरण वाले गांवों में नियमित टीकाकरण के साथ ही कोविड टीकाकरण भी किया जायेगा। दूसरी डोज के कम कवरेज वाले गांवों में घर के नजदीक कोविड वैक्सीनेशन सेंटर (सीवीसी) स्थापित कर दूसरी डोज के शेष पात्र लाभार्थियों का टीकाकरण किया जायेगा। द्वितीय डोज के बचे हुये लाभार्थियों की सूची कोविन पोर्टल पर उपलब्ध है। इसके आधार पर आशा एवं अन्य फ्रंटलाइन वर्कर लाभार्थियों के घर-घर दस्तक देकर मोबलाइज करेंगी।

स्कूल खुलने पर लगेंगे कैंप

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व डिप्टी सीएमओ डॉ सुरेश सिंह एवं वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी (टीकाकरण) डॉ एके पांडे ने बताया कि वैक्सीनेशन टीम जरूरत पड़ने पर कार्यदिवस सुबह नौ से शाम चार बजे के पहले या बाद में भी टीकाकरण करेगी, घर के नजदीक वैक्सीनेशन सेंटर आदि व्यवस्थाओं की योजना बनाकर छूटे एवं बचे हुये लाभार्थियों का शत-प्रतिशत टीकाकरण पूर्ण करेगी। डॉ एके पांडे ने बताया कि गर्मी की छुट्टी के बाद 20 जून से सभी स्कूल खुल रहे हैं। उस समय वैक्सीनेशन टीम स्कूलों में कैम्प लगाकर शेष छूटे हुए 12 से 14 वर्ष तथा 15 से 17 वर्ष आयुवर्ग के किशोर-किशोरियों का कोविड टीकाकरण कराएगी। कॉल सेंटर के जरिये लक्षित लाभार्थियों को फोन कर कोविड टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जायेगा। उनके टीकाकरण की स्थिति के संबंध में सूचना इकट्ठा की जायेगी। जिन लाभार्थियों का टीकाकरण हो चुका है लेकिन कोविन पोर्टल पर नहीं चढ़ा है, उसका सत्यापन कराते हुए डीआईओ पोर्टल पर चढ़वाएंगे।

स्वास्थ्य विभाग ने की अपील

 अभियान के संबंध में स्थानीय प्लेटफार्मों, स्कूलों के वाट्सएप ग्रुप, स्थानीय शासन, जनप्रतिनिधि, मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार प्रसार कराया जायेगा। स्वास्थ्य विभाग ने जनपदवासियों से अपील की है कि जिनको कोविड से बचाव की दूसरी डोज नहीं लगी है, वह जल्द से जल्द नजदीकी टीकाकरण केंद्र या स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अवश्य लगवा लें।

Varanasi में कोविड टीकाकरण की स्थिति

कुल डोज़ – 63,84,943

पहली डोज़ – 34,73,241 (102.6%)

दूसरी डोज़ – 28,25,407 (83.5%)

12 से 15 वर्ष के बच्चों में पहली डोज़ 1,28,944 (82.8%) एवं दूसरी डोज़ 47,902 (30.8%) लग चुकी हैं।

15 से 18 वर्ष के किशोर-किशोरियों में पहली डोज़ 2,34,242 (90.8%) तथा दूसरी डोज़ 1,76,444 (68.4%) लग चुकी है।

18 से 45 वर्ष आयुवर्ग में 20,94,121 (104.2%) लोगों को पहली डोज तथा 16,87,994 (84%) लोगों को दूसरी डोज लग चुकी है।

45 से 60 वर्ष की आयुवर्ग में 6,09,615 (104.5%) लोगों को पहली डोज तथा 5,34,793 (91.7%) लोगों को दूसरी डोज का टीका लग चुका है।

60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में 3,30,135 (87.3%) लोगों को पहली डोज, 3,01,474 (79.8%) लोगों को दूसरी डोज तथा 34,605 (9.2%) लोगों को एहतियाती डोज लग चुकी है।

रविवार, 5 जून 2022

पर्यावरण संरक्षण को जीवन पद्धति और दिनचर्या से जोड़ने की जरुरत - पोस्टमास्टर जनरल

डाक विभाग ने मनाया 'विश्व पर्यावरण दिवस'

पोस्टमास्टर जनरल केके यादव ने डाककर्मियों से की पौधा लगाने की अपील


Varanasi (dil India live). पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधारोपण बेहद जरुरी है। पेड़-पौधे न सिर्फ हमारे पर्यावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि जीवन के लिए उपयोगी प्राणवायु भी उपलब्ध कराते हैं। कोरोना महामारी ने भी यही चेताया है कि पर्यावरण से खिलवाड़ घातक है। ऐसे में सम्पूर्ण धरा और प्रकृति को सुरक्षित व संतुलित रखने हेतु हमें पर्यावरण के प्रति लोगों को सजग बनाना होगा। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर डाक विभाग द्वारा आयोजित पौधारोपण अभियान का शुभारंभ करते हुए कहीं। पोस्टल कॉलोनी, वाराणसी कैम्पस में उन्होंने प्रवर डाक अधीक्षक श्री राजन राव संग पौधारोपण करते हुए पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण और उसके चलते पैदा हो रही विसंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित करके हर डाककर्मी से पौधारोपण द्वारा उनके निवारण में भागीदार बनने का भी आह्वान किया। इस अवसर पर डाक विभाग के तमाम अधिकारियों - कर्मचारियों ने भी पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, डाक विभाग सदैव से सामाजिक सरोकारों से जुड़ा हुआ है। पर्यावरण को स्वच्छ रखने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु समय-समय पर तमाम पहल की गई हैं। पर्यावरण संरक्षण को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाते हुए अपनी जीवन पद्धति और दिनचर्या से जोड़ने की जरुरत है। पर्यावरण संरक्षण को जीवन का आधारभूत तत्त्व मानकर ही हम पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्याओं से मुक्ति की संभावनाएं खोज सकते हैं। वाराणसी पूर्वी मंडल के प्रवर डाकघर अधीक्षक राजन राव ने कहा कि, हमारी परंपरा में एक वृक्ष को दस संतानों के समान माना गया है क्योंकि वृक्ष पीढ़ियों तक हमारी सेवा करते हैं। ऐसे में हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह एक पौधा अवश्य लगाए।

इस अवसर पर वाराणसी पश्चिमी मंडल के अधीक्षक डाकघर पीसी तिवारी, सीनियर पोस्टमास्टर सी.एस बरुआ, सहायक निदेशक ब्रजेश शर्मा, सहायक डाक अधीक्षक अजय कुमार, निरीक्षक सर्वेश सिंह, श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, कैण्ट प्रधान डाकघर पोस्टमास्टर रमाशंकर वर्मा, राजेंद्र यादव, श्री प्रकाश गुप्ता, मंजू कुमार, अंकिता, विश्वनाथ सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

विश्‍व पर्यावरण दिवस पर बरेका में वृक्षारोपण


Varanasi (dilIndialive)।विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर 05 जून को बरेका में बृहत्‍त रूप से वृक्षारोपण किया गया। महाप्रबंधक अंजली गोयल, प्रमुख मुख्‍य विभागाध्‍यक्षगण एवं अन्‍य अधिकारियों ने बरेका पश्चिमी उपनगर, हेल्‍थ यूनिट के प्रांगण में चित्‍तवन सहित अनेक औषधीय गुण वाले पौधे का वृक्षारोपण किया। इसके अतिरिक्‍त बरेका के अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने अपने-अपने घरों के प्रांगण में बृक्षारोपण किया। बरेका वासियों द्वारा किये गये इस प्रयास से बरेका परिसर को और ज्‍यादा हरित और स्‍वच्‍छ बनाने में सहायता मिलेगी । 

उल्‍लेखनीय है कि इस वर्ष का थीम “केवल एक पृथ्‍वी (Only One Earth)” ध्‍यानाकर्षण “प्रकृति के साथ सद्भाव में स्‍थायी रूप से रहना (Living Sustainable in Harmony With Nature)” इस अभियान को आगे बढ़ाते हुए बरेका में जन जागरूकता चलाकर सभी बरेका वासियों से अपील की गयी है, कि 05 जून 2022 को विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपने-अपने घरों के प्रांगण में वृक्षारोपण किया गया। 

बनारस रेल इंजन कारखाना ने अपने स्‍वच्‍छ पर्यावरण से स्‍वस्‍थ जीवन की दिशा में महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है । संपूर्ण परिसर को हरा-भरा रखने के लिए प्राय: पौधारोपण कार्यक्रम होता रहता है । इस वर्ष बरेका ने लगभग 10,000 पौधारोपण का लक्ष्य रखा है।बरेका अपनी प्रत्‍येक गतिविधियों की अनुकूलता के लिए निरंतर प्रयत्‍नशील रहते हुए स्‍वच्‍छ, हरित बरेका के लिए अपना योगदान देता है। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने विश्व जल दिवस के अवसर पर जल संरक्षण के लिए 'जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' अभियान की शुरुआत की।

इस अभियान की टैगलाइन है "बारिश को पकड़ो, जहां गिरे, जब गिरे"। इस अभियान की टैगलाइन को समर्पित करते हुए महाप्रबंधक सुश्री अंजलि गोयल के  कंचनपुर कॉलोनी में एक जल संचयन तालाब का कार्य 1 दिसम्बर, 2021 से प्रारंभ किया। इस तालाब का क्षेत्रफल 7517.76 वर्ग मीटर (114.60 मीटर x 65.60 मीटर) होगा और जल संग्रहण क्षमता होगी 311 लाख लीटर हैं। इससे मिट्टी की नमी में सुधार और भूजल स्तर को ऊपर उठाने में मदद मिलेगी। जिसका निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है।

शनिवार, 4 जून 2022

Hajj 2022: काबा के मुसाफिरों को लगा काशी में टीका

मास्टर ट्रेनर ने दी ट्रेनिंग, बताया हज के अरकान 




Varanasi (dilindialive) l सिटी गर्ल्स इंटर कालेज, काज़ी सदुल्लाहपुरा में वर्ष 2022 के हज के मुबारक सफर पर जाने वाले हज यात्रियों का टीकाकरण एवं ट्रेनिंग का कैंप पूर्वांचल हज सेवा समिति के बैनर तले लगाया गया।

इस हज ट्रेनिंग कैंप कि शुरुआत तिलवते क़ुरान पाक़ से मौलाना रियाज़ अहमद क़ादिरी ने की। नात आदिल जियाई ने पेश किया। कैम्प में ऑडियो वीडियो प्रोजेक्टर के ज़रिये मास्टर हज ट्रेनर सलमान खान अदनान ने सभी जाने वाले हाजियों को तमाम अरकान और हज के सफ़र को कैसे आसानी से पूरा किया जाय इसके बारे में दिखाया और बताया और समझाया। उसके बाद सारे लोजिस्टिक इशू को भी क्लीयर किया। कैम्प में  मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा डाक्टर ए. के. पांडेय, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी के नेतृत्व में प्रशिक्षित स्टाफ द्वारा सभी हाजियों को पोलियो ड्रॉप्स पिलाया गया एवं टिकाकरण किया गया। आज के इस प्रोग्राम के मेहमाने खुसुसी उत्तर प्रदेश के राज्य हज समिति के राज्य कॉर्डिनेटर जनाब मो. अरमान साहब ने कहा कि मैं लखनऊ मे हज कि उड़ानों के दौरान् मौजूद रहूँगा अगर किसी हाजी सहेबांन को कोई भी दिक़्क़त आती हैं तो हम से राबता कायम करें। इस प्रोग्राम में पूर्व सदस्य राज्य हज समिति जनाब अब्दुल रहीम अंसारी भी मौजूद थे।

इस प्रोग्राम कि सदारत पूर्वांचल हज सेवा समिति के सदर हाजी रईस अहमद एवं निज़ामत डॉ. मो. अमीन ने किया। पूर्वांचल हज सेवा समिति के हाजी मो. ज़ुबैर, अहमद अली पप्पू, हाजी अब्दुल अहद, शम्शुल आर्फिन, तारिक हसन खां, हाजी ओकास, अख्तर हुसैन, तलत महमूद, अयाज़, रेयाज़ अहमद राजू, ईसरार  अहमद, हाजी इम्तियाज़, बाबू भाई, आसिफ, फारूक, इकबाल अहमद, हाजी मुन्नू, पप्पू मेडिकल, ओवेस्, सूफियांन, सोहेल्, इबाद, आदि हाजियों कि खिदमत में लगे रहे l

गुरुवार, 2 जून 2022

सुल्तान ने की बुनकरों की समस्याओं पर सरदार से चर्चा

बाईसी के सरदार हाफिज कल्लू से मिला सुल्तान क्लब का प्रतिनिधिमंडल

सरदार मोइनुद्दीन को "खैराबाद की तारीख" पुस्तक की भेंट,दी मुबारकबाद


Varanasi(dil India live)। बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के नव निर्वाचित अध्यक्ष सरदार हाफिज मुईनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिज सरदार से काजीसादुल्लापुरा स्थित आवास पर सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" का एक प्रतिनिधिमंडल मिलकर बुनकरों की विभिन्न समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की, साथ ही एक पुस्तक "तारीख खैराबाद" भेंट कर बुके देकर मुबारकबाद पेश किया।

         सरदार साहब ने विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी हमलोगों को बेहतर कार्य करना होगा तभी हमारा समाज और देश खुशहाली के रास्ते पर होगा, हमारी हमेशा यह कोशिश रहेगी कि अपने समाज को एक साथ लेकर चलने का पूरा प्रयास रहेगा, जो इतनी बड़ी जिम्मेदारी लोगों ने मेरे ऊपर दी है उसे मैं सभी के सहयोग से निभाने की भरपूर कोशिश करूंगा।

  ज्ञात हो कि पिछले वर्ष बाईसी के सरदार हाजी अबुल कलाम साहब के आकस्मिक निधन के बाद 15 मई 2022 को बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी हाफिज मुईनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिज साहब को पगड़ी पहनाकर (दस्तारबंदी) की गई।

        प्रतिनिधिमंडल में मुख्यरूप से अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक,उपाध्यक्ष महबूब आलम,महासचिव एच हसन नन्हें,सचिव मुस्लिम जावेद अख्तर,कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़,हाफिज रमजान अली,हाफिज मुनीर इत्यादि थे।

Hazrat waliullah shah: आज मनाया जा रहा बाबा का उर्स

हरदाम शाह बाबा के उर्स में जुटें हैं मन्नती, हो रही दुआएं 


Varanasi (dil India live)। हज़रत सैय्यद वलीउल्लाह शाह बाबा रहमतुल्लाह अलैह (हरदाम शाह बाबा) के सालाना उर्स में अकीदतमंदों का हुजूम आज मगरिब की नमाज़ के बाद उमड़ेगा। बाबा का उर्स पूरी अकीदत के साथ भूवनेश्वर नगर कालोनी स्थित आस्ताने में फजर की नमाज़ के बाद से मनाया जा रहा है। इस दौरान बाबा से अकीदत रखने वाले दोनों मज़हब के जायरीन मन्नतें वह मुराद मांगने जुटें हुए हैं। 
बाबा के खादिम साबिर खान जायरीन का खैरमकदम कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बाबा के दर पर गुसल, फातेहा, गुलपोशी, चादरपोशी के साथ ही मुल्क में अमन और मिल्लत व कौम की भलाई के लिए दुआएं भी कुल शरीफ के दौरान मांगी जाएगी।

मंगलवार, 31 मई 2022

मेरे बाबा....और उनकी प्यारी बीड़ी



Lucknow (dilindialive)। यदि याददाश पर जोर देकर यह याद करने की कोशिश ही जाए बचपन में कपड़े की गुड़िया से खेलती मैं हाड़ मांस की अपने बाबा की दुलारी गुड़िया। गुड़िया नाम मेरे बाबा ने रखा था। अक्सर अपनी गोदी पर उठाकर बाहर मिट्टी के चबूतरे में बैठकर शाम को गपशप मारने वाले मेरे बाबा। 6 फुट लंबी कद काठी थी गोरा चिट्टा शरीर, धोती कुर्ता और कंधे में गमछा लिए अपनी छोटी सी दुनिया में अपनों के हीरो मेरे बाबा। निश्चित रूप से गांव में मनोरंजन के साधनों का अभाव होता है आपसी गपशप, छोटी मोटी चौपाले , खड़ंजे,मेड और नाली की लड़ाई में व्यस्त पूरा ग्रामीण समाज कहीं कौड़िया, लकड़ी, तो कहीं ताश के पत्ते फेटते भोले-भाले ग्रामीण।

     अपनी दिनचर्या में कठोर मेहनत करने वाले सुबह जल्दी उठकर और रात को जल्दी सोने वाले मेहनतकश किसान। हल और बैलों की जोड़ी से पूरे खेत का सीना चीर कर सोना उगाने वाले गांव के किसान ,जो अपनी उम्र से कुछ ज्यादा ही दिखाई देते हैं मटमैला कुर्ता , कांछ वाली धोती और कंधे पर एक गमछा।

    इन सब में सबसे बड़ी विशेषता है आपसी मेल मिलाप होने पर बीड़ी की एक कश लगाना, तंबाकू जब बनती तो अकेले नहीं खाई जाती, बैठ कर खुद खाना और अपने साथियों को भी खिलाना ।यदि कुछ बड़ी चौपाल हुई तो हुक्के की गड़गड़ाहट और चिलम की सुगबुगाहट भी महसूस कर आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ाने की भावना का विकास करती दिखती। हाथ में बनी हुई तंबाकू, जात–पात, बड़े –छोटे का भेदभाव मिटाती भी गांव वालों को एक दूसरे से जोड़ने का बहुत ही आसान साधन हुआ करता था और शायद आज भी हमें गांव की अर्थव्यवस्था में यह देखने को मिल ही जाता है ।

           इन सभी के बीच मेरे बाबा इन सभी गुणों से संपन्न । निश्चित रूप से उनका प्यार और दुलार हम बच्चों में आज भी याद किया जाता है होली और दीपावली में टोकरी भर भर की मिठाई, आम के सीजन में भूसे में पकाए हुए आमों को निकालकर सभी बच्चा पार्टी को बैठा कर खिलाना। यदि इस आयोजन में बड़े लोग शामिल हो जाएं तो फिर क्या कहना आम की खुमारी के साथ तंबाकू के नशे और बीड़ी की धुए में कजरी ,फाग भजनों का आयोजन होना आम बात है।

       अपने कई नाती और पोतो के बीच मुझे अकेली गुड़िया को अपने पास पाकर बाबा काफी खुश होते थे । गांव की मिट्टी में खेलती उनकी गुड़िया यदि गंदी होती तो बड़े प्यार से  अपने गमछे से मुंह हाथ साफ़ करते अन्य को घर से साफ करा आने को कहते। अपने कंधे पर बैठाकर आधे गांव की यात्रा कराना हर शाम का एक प्रिय कार्य हुआ करता था। अपने साथ गांव के वरिष्ठ लोगों के पास ले जाना और एक छोटी सी टोकरी में चना देकर अपने इर्द-गिर्द ही बैठा कर रखने की उनकी अदा।  अक्सर ध्यान देते थे कि उनकी गुड़िया उनकी आंखों से ओझल ना हो जाए,कहीं किसी पड़ोसी के घर खेलने ना चली जाए इसीलिए एक मिट्टी की गाड़ी खरीदी और एक ढपाली भी और उसे अक्सर अपनी छोटी गुड़िया के हाथों में बांध देते हैं ताकि वह जब चलकर दूर जाने लगती तो गाड़ी में लगा हुआ छोटा सा डमरु  बजने लगता और पता चल जाता  था उनको। निश्चित रूप से यह चिंता थी, प्रेम था , स्नेह था....... प्यारी गुड़िया कुछ बड़ी हुई शहर में रहने लगी पर गर्मियों की छुट्टियों में जब बाबा दादी के घर जाते तो उनका प्रेम और स्नेह माथे से लेकर गालों से लेकर हथेलियों को कई बार  चूमना और काफी देर तक अपने प्यार से भरे हुए स्नेह और हृदय से लगा कर रखना वाकई अविस्मरणीय अनुभव था।

        निश्चित रूप से उनके मटमैले से में ले कुर्ते में एक अजीब सी बदबू होती है पर उस प्रेम और स्नेह के आगे सब कुछ बेकार। शहर से आए हुए बच्चों को अपने पास बैठा कर नहा धोकर पूजा करते हुए उनको आने वाले मंत्रों को बच्चों को भी सिखाना भोजन करने से पहले भोजन मंत्र और आचरण करने के तरीके बच्चों को बताना बिना नहाए हुए कुछ ना खाने का गांव के कोने से निकला और अपने नाती पोतों को सिखाया गया उनका नियम।

        समय बीतता गया।गांव की दिनचर्या के बीच सब होता पर साथ बीड़ी की लम्बी कश जरूर... एक बीड़ी से सुलगा हुआ धुआं, एक बंडल बीड़ी और फिर कई बंडल बीड़ी में जाकर अभी रुकने का नाम नहीं ले रहा था। और इसी क्रम में शुरू हुआ  खांसी का छोटे-छोटे टुकड़ों में शुरू खेल, एक लंबी अनवरत खांसी ने ले लिया । गांव के नीम हकीम डॉक्टर अक्सर खांसी की दवा दे देते, बीड़ी के साथ वह दवा भी पी ली जाती और कुछ राहत मिलती समय बीतता गया। 

          जब मैं कक्षा 5 में पढ़ती थी तब एक बार बाबा शहर है उनका इलाज बनारस के एक नामी अस्पताल में कराया गया विभिन्न जांचों से पता चला कि साधारण सी दिखती खांसी टीवी के उच्च स्तर में पहुंच चुके हैं। टीवी क्या होती है तब शायद मुझे नहीं पता था।

    खांसी तेज हो रही थी खांसी के साथ बलगम की मात्रा बढ़ रही थी और शरीर टूट रहा था जो कभी, लंबा सुडौल था अब पतला होता जा रहा था। बीड़ी की तलब परिवार वालों के मना करने के कारण कुछ कम तो होती थी पर शायद तलब ज्यादा हावी थी और बाबा एक बार फिर गांव चले गए।

            बहुत समझाया गया , लड़ाई झगड़ा करके मनाया गया पर वह ना माने फिर वही दवा का क्रम कभी टूटता तो कभी जुड़ता.... टीवी का इलाज बीच में रुक रुक कर चलता। खांसी के कई सीरप पी लिए जाते पर बीड़ी का मोह ना छूटता। दादी ने भी बहुत आग्रह किया.... ठीक है नहीं पीऊगा कहते तो, घर पर नहीं तो बाहर दोस्तों के साथ एक आद कश होने लगी ।जो व्यक्ति 60 साल का अनवरत जीवन जी सकता था वह अपनी आधी उम्र में टीवी की वजह से शरीर में सिर्फ हड्डियों का ढांचा मात्र बचा, कभी कबार उल्टी से भी खून आता।

          और एक दिन सभी औरतें अपने करवा चौथ के व्रत की पूजा की तैयारी कर रही थी तभी गांव से सूचना आई कि बाबा नहीं रहे ....मैं भी गई मैंने भी उन्हें देखा वह जो अपने हाथों से हमेशा अपनी गुड़िया का माथा चुमने के लिए खड़े रहते थे आज जमीन पर लेटे थे। हड्डियों का एक कंकाल जो आपने शायद प्रैक्टिकल लैब में देखा होगा पर साक्षात मैंने तब देखा....रात भर मैं उनके पार्थिव शरीर के पास बैठकर सोचती रही तंबाकू की क्रूरता....।

                 तब पता चला कि शायद तंबाकू रूपी जहर कितना भयानक है, हंसता खेलता है व्यक्ति हमेशा दूसरों की केयर करने वाला व्यक्ति ,तमाखू से जुड़ी हुई लत से, खुद को अलग ना कर सका , बीड़ी के धूंवे में ऐसा उड़ा कि आज सब कुछ होते हुए भी जमीन पर सफेद हड्डियों के ढांचे के रूप में निढाल था। गर्मियों की छुट्टियों के बाद हमारे शहर लौटने पर अपनी नम आंखों से हमें प्यार के साथ विदा करने वाला अब कोई नहीं था। खुशियां, हंसी, खेल, अपनों का प्यार, अपनों का दुलार और अपनों के लिए शायद कभी कम नहीं किया जा सकता है। नशे से दूर रहकर अपनों का प्यार और प्रगाढ़ता को और बढ़ाया जा सकता है। जो प्यार माता-पिता, बाबा दादी, भाई बहन, पति पत्नी, पिता पुत्र अपनों को कर सकते हैं वह शायद दुनिया में कोई नहीं कर सकता। 

        यह एक छोटी सी कहानी रूपी संस्मरण है पर शायद इसके शब्दों में वह प्रेम  आप को दिख रहा होगा जो मुझे फिर कभी नहीं मिला। आज भी 6 फुट की लंबी काया हाथ में लाठी धोती कुर्ता और गमछे के साथ किसी को देखती हूं तो मेरे प्यारे बाबा हमेशा याद आते हैं काश उन्होंने तंबाकू के नशे से दूरी बना ली होती तो आज हम उस दुख के क्षण से ,जानलेवा बीमारी से अपने प्रिय बाबा को ना खोते। संपूर्ण विश्व तंबाकू के नशे से मुक्त हो सके आइए विभिन्न माध्यमों से बच्चों को नशे से दूर रहने की मुहिम से जोड़े, अपने साथियों को बड़े बुजुर्गों को जागरूक करें। सिगरेट और बीड़ियो तंबाकू के पैकेट में बने हुए खतरनाक चित्रों से डरे।

 विश्व तंबाकू उन्मूलन दिवस विरोध से ज्यादा, एक जागरूकता अभियान है।आइए मिलकर दूरी नहीं आपस में जोड़ने का अभियान बनाएं। देश को तमाखू के नशे से दूर भगाएं। टीवी, कैंसर, लिवर सिरोसिस जैसी जानलेवा बीमारियों से अपनो को बचाएं।

रीना त्रिपाठी (लेखक सामाजिक कार्यकत्री हैं)

Hazrat Imam Zainul abedin इस्लाम की पहचान, इबादतों की शान

हज़रत जैनुल आबेदीन की जयंती पर सजी महफिलें, गूंजे कलाम Varanasi (dil India live). शाहीदाने कर्बला इमाम हुसैन के बेटे, इबादतों की शान चौथे हज...