बुधवार, 1 दिसंबर 2021

एड्स के प्रति जागरूकता जरूरी

विश्व एचआईवी/एड्स दिवस मनाया गया


 वाराणसी 01 दिसम्बर (dil india live)। विश्व एचआईवी/एड्स दिवस पर बुधवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय राजकीय  चिकित्सालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में जागरुकता गोष्ठी व हस्ताक्षर अभियान का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राहुल सिंह ने कहा कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से एड्स की बीमारी नहीं होती है। संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाने से यह बीमारी फैलती है। इससे बचाव के लिए सावधानी बरतने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि समाज में एड्स से बचने के लिए जागरुकता अत्यन्त जरूरी। पं. दीनदयाल चिकित्सालय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. आरके सिंह ने कहा कि एचआईवी पाजीटिव होने के बाद अगर समय से उपचार शुरू हो जाए तो पीड़ित सामान्य जीवन जी सकता है। उन्होंने कहा कि उपचार न होने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है और उसे तमाम तरह के रोग हो जाते है। इसलिए इसका समय से उपचार जरूरी है। गोष्ठी में एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी  डा. प्रीति अग्रवाल, चिकित्सा अधिकारी डा. सुनील सिंह, क्षय व एड्स रोग के कोआर्डीनेटर विनय मिश्र के अलावा विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव  ने विचार व्यक्त किया। इसके पूर्व चिकित्सालय में एड्स जागरूकता के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया।

अब लाइलाज नहीं रहा ‘क्लबफुट’

हो उपचार तो ठीक हो सकते हैं बच्चों के जन्मजात टेढ़े पैर

  •  राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मुफ्त उपचार की सुविधा
  • मिरेकलफीट के सहयोग से मण्डलीय चिकित्सालय में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित

 



वाराणसी, 1 दिसम्बर (dil india live)। शिशुओं के जन्मजात टेढ़े पंजे (क्लबफुट) का  समय से उपचार हो तो वह  पूरी तरह से ठीक हो सकता है। यह अब लाइलाज नहीं रहाl राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत इसका उपचार पूरी तरह मुफ्त किया जाता है। बुधवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधन में मिरेकलफीट के सहयोग से आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में मण्डलीय अपर निदेशक/मण्डलीय चिकित्सालय के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. प्रसन्न कुमार ने यह बातें कहीं।

डा. प्रसन्न कुमार ने कहा कि टेढ़े पंजे (क्लबफुट) की समस्या एक जन्मजात विसंगति है जिसे पूरी तरह से ठीक किया जाना संभव है। ऐसे बच्चों के पंजे जन्म के बाद से अंदर की ओर मुडे होते हैं। किसी बच्चे का दोनो पैर तो किसी बच्चे का एक पैर भी अंदर की ओर मुड़ा हुआ हो सकता है। उन्होंने बताया कि देश में हर 800 में एक बच्चा क्लबफुट के साथ पैदा होता है। अगर समय से उपचार हो तो ऐसे बच्चे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। वह सामान्य बच्चों की तरह क्रिया-कलाप कर सकते हैं। यहां तक कि बड़े होने पर खेल-कूद प्रतियोगिताओं में भी शामिल होने योग्य हो जाते हैं। यह सब तभी संभव हो सकता है जब बच्चे का उपचार सही समय से शुरू कर दिया जाए।

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी /राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम( आरबीएसके)  के नोडल अधिकारी डा. अशोक कुमार गुप्ता* ने कहा कि  आरबीएसके  के तहत ऐसे बच्चों का उपचार पूरी तरह निःशुल्क किया जाता है। क्लबफुट पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ऐसे नवजात बच्चों का उपचार जितनी जल्द शुरू हो उतना ही प्रभावी परिणाम आते है। ऐसे में नवजात के पंजे अगर अंदर की ओर मुड़े हुए नजर आते हैं तो उसका तत्काल उपचार शुरू करा देना चाहिए। ऐसे बच्चों के पंजों में चार से छह सप्ताह तक प्लास्टर लगाया जाता है। इसके पश्चात पंजे के पिछले हिस्से में एक मामूली चीरा लगाकर पुनः प्लास्टर लगा दिया जाता है। इस प्लास्टर को भी 21 दिन बाद काट दिया जाता है और बच्चे के पैरों में ब्रेस (विशेष रुप से तैयार किये गये जूते) पहनाये जाते है। तीन से -पांच वर्ष में ऐसे बच्चे पूरी तरह सामान्य हो जाते हैं। डॉ गुप्ता ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार में मिरेकलफीट का काफी सहयोग रहा है। उसके प्रयास से काफी संख्या में ऐसे बच्चों का उपचार संभव हो सका है। 

आरबीएसके के डीईआईसी प्रबंधक डॉ अभिषेक त्रिपाठी ने कहा कि क्लबफुट पीड़ित बच्चों के उपचार के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। समय से उपचार हो जाने से ऐसे बच्चे दिव्यांग होने से बच सकते हैं। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में मिरेकलफीट की प्रोग्राम एक्जक्यूटिव नेहल कपूर ने क्लबफुट के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि शिवप्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय के कक्ष संख्या 11 में प्रत्येक बुधवार को ऐसे बच्चों के निःशुल्क उपचार के लिए कैम्प लगता है। पीड़ित बच्चों के अभिभावक इसका लाभ उठा सकते हैं। 

इस जागरुकता कार्यक्रम में क्लबफुट पीड़ित काफी संख्या में बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी शामिल हुए। पं. प. दीनदयाल नगर-चंदौली से अपने दो माह की बेटी के साथ कार्यक्रम में शामिल रिजवाना ने बताया कि उसकी बेटी के दोनों पंजे अंदर की ओर मुड़े हुए थे। पैरों में प्लास्टर लगाकर उसका निःशुल्क उपचार शुरू कर दिया गया है। चौबेपुर की सुजाता विश्वकर्मा  ने बताया कि इस उपचार का ही नतीजा है कि उनकी ढाई वर्ष की बेटी अब सामान्य रूप से चल-फिर रही है। उसका एक पंजा पंजे जन्म से अंदर की ओर मुडा था लेकिन उपचार कराने से अब वह पूरी तरह ठीक हो चुकी  है हैं।

जागरूकता से ही दूर किया जा सकता है एचआईवी/एड्स

जिले में एड्स मरीजों के मुफ्त इलाज की सुविधा  

मिथक,भ्रांतियों को तोड़ना जरूरी 

Himanshu rai

गाजीपुर 1 दिसम्बर (dil india live)। विश्व एड्स दिवस पर बुधवार को राइफल क्लब में जिलाधिकारी मंगला प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में जन जागरूकता  गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान हस्ताक्षर अभियान भी चलाया  गया । जिलाधिकारी ने हस्ताक्षर कर इस अभियान को आगे बढ़ाया। इस दिवस का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के प्रति जागरूकता को बढाना है । 

जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार, स्वास्थ्य विभाग, ग़ैर सरकारी संगठन और अन्य समाजसेवी एड्स की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जागरूकता फैला रहे हैं। इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन संगोष्ठी तक सीमित नहीं रखना चाहिए,  बल्कि ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन उन जगहों पर होना चाहिए जहां पर मरीजों की संख्या अधिक हो जिससे जन जागरूकता के माध्यम से लोगों को एड्स से बचाव व पहचान के बारे में बताया जाए और जागरूकता के माध्यम से मिथक  व भ्रांतियों  को तोड़ा जा सके। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ हरगोविंद सिंह ने बताया कि विश्व एड्स दिवस को मनाने का उद्देश्य एचआईवी/एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना है । शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था,  जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम  यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है। 

जनपद गाजीपुर में एचआईवी के 1704 मरीजों  का जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर में निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। एड्स के मरीजों के नाम और पहचान सार्वजनिक नहीं की जा सकती | इसके अलावा टीबी के साथ एचआईवी के मरीजों की संख्या 28 है जिनका निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये डीबीटी के माध्यम से उनके खाते में भेजा जा रहा है। क्षय रोग विभाग के जिला कार्यक्रम समन्वयक मिथिलेश सिंह ने बताया कि जनपद गाजीपुर में सबसे अधिक एड्स के मरीज जनपद के बिरनो ब्लॉक का गांव है जहाँ मतिजो की संख्या करीब 78 है और सभी लोगों का नि:शुल्क इलाज चल रहा है। इसके साथ वहाँ लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है। आज के कार्यक्रम में डॉक्टर के के वर्मा, डॉ डीपी सिन्हा, डॉ एसडी वर्मा ,डॉ मनोज सिंह डॉ उमेश कुमार के साथ ही एआरटी सेंटर, क्षय रोग विभाग के सभी अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।

एचआईवी नहीं रहा अब मातृत्व के लिए अभिशापएड्सदिवस


तीन वर्ष में 50 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म


गर्भवती का समय पर हो उपचार तो संक्रमण से बच सकता है गर्भस्थ शिशु


इस वर्ष की थीम है “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें”

वाराणसी01दिसंबर(dil india live)। विमला (परिवर्तित नाम) जब पहली बार गर्भवती हुई तो उन्होने अस्पताल में प्रसव पूर्व जांच के दौरान खून की जांच करायी तो उन्हें एचआईवी पॉजीटिव होने का पता लगा। डाक्टर ने जब इस बारे में उसे बताया तो ऐसा लगा कि उसपर जैसे वज्रपात हो गया हो। लगा जैसे मां बनने की सारी खुशियां किसी ने पलभर में छीन ली हों। पेट में पल रहे दो माह के बच्चे, लम्बी जिंदगी के साथ ही घर-गृहस्थी और समाज की चिंता भी उसे सताने लगी। तब उसके हौसले और एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) सेंटर से मिले चिकित्सीय सलाह ने उसे एक नई जिंदगी दी। समय से शुरू हुए उपचार का नतीजा रहा कि एचआइवी पाजीटिव होते हुए भी उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अब वह एक खुशहाल जिंदगी जी रही है। यह कहानी सिर्फ विमला की ही नहीं है पंडित दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर में उपचार कराकर एचआईवी संक्रमित 50 महिलाएं तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दे चुकी हैं।

प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं जिला एचआईवी/एड्स अधिकारी डॉ राहुल सिंह ने बताया कि हर साल एक दिसंबर को एचआईवी/एड्स के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने व मिथ्य व भ्रांतियों को तोड़ने के लिए विश्व एचआईवी/एड्स मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम “असमानताओं को समाप्त करें, एड्स समाप्त करें” निर्धारित की गयी है। 

डॉ राहुल सिंह बताते हैं कि आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों ने मां के एचआईवी संक्रमण से उसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बचाव करना मुमकिन कर दिया है। बशर्ते गर्भवती के बारे में समय रहते यह पता चल जाए कि वह एचआईवी संक्रमित है, इसलिए सुरक्षित मातृत्व का सुख प्राप्त करने के लिए गर्भवती को अपना एचआईवी जांच जरूर करवा लेना चाहिए। गर्भधारण के तीसरे-चौथे महीने के बाद संक्रमण का पता चलने पर बच्चे को खतरा अधिक होता है, इसलिए एचआईवी संक्रमित गर्भवती का जितनी जल्द उपचार शुरू हो जाता है उतना ही उसके बच्चे को खतरा कम होता है। 

150 संक्रमित महिलाओं ने दिया स्वस्थ बच्चों को जन्म 

एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि प. दीनदयाल राजकीय चिकित्सालय स्थित एआरटी सेंटर उपचार करा रही एचआईवी संक्रमित 50 महिलाओं ने तीन वर्ष के भीतर स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर की वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा. प्रीति अग्रवाल बताती है कि वर्ष  2019 में 18,  2020 में 12 और 2021 में अक्टूबर माह तक 20 एचआईवी संक्रमित गर्भवती ने स्वस्थ बच्चों को जन्म दिया है। एआरटी सेंटर में दावा लेने आई सुनीता (35 वर्ष) ने बताया कि चार वर्ष पूर्व हुई शादी के कुछ माह बाद ही पता चला था कि पति के साथ ही वह भी एचआईवी पॉजीटिव है। तब माँ बनने के सपने पर ग्रहण लगता नजर आया था पर एआरटी सेंटर की सलाह व उपचार से आज वह दो वर्ष के बेटी की माँ है। 

उपचार के साथ ही सलाह भी 

एआरटी सेंटर में एचआइवी संक्रमित गर्भवती का विशेष ख्याल रखा जाता है। साथ ही उसे दवा खाने के लिए विशेष रूप से निर्देश दियजाता है। इससे गर्भस्थ शिशु पर बीमारी का असर नहीं पड़ता है। समय पूरा होने पर एचआइवी संक्रमित गर्भवती को सुरक्षित प्रसव के लिए महिला अस्पताल रेफर किया जाता है। 

क्या है एचआईवी वायरस डॉ प्रीति अग्रवाल ने बताया कि एचआईवी का वायरस मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिसका समय से उपचार न करने पर उसे अनेक बीमारियां घेर लेती हैं। इस स्थिति को एड्स कहते हैं। उपचार से वायरस को पूरी तरह खत्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन रोककर रखा जा सकता है। अच्छे खानपान और उपचार से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती है। इसलिए मरीज रोग को छिपाए न, समय पर और नियमित उपचार करे तो वह अपनी सामान्य आयु पूरी कर सकता है

एचआईवी पॉजीटिव होने के कुछ प्रमुख लक्षण     

- लगातार वजन का घटना        


- लगातार दस्त होना        


- लगातार बुखार होना        


- शरीर पर खाज, खुजली, त्वचा में संक्रमण होना       


- मुंह में छाले, जीभ पर फफूंदी आना

मंगलवार, 30 नवंबर 2021

बेहतर भविष्य की सुखद उम्मीद

महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल रंगा रंग कार्यक्रम संग सम्पन्न




वाराणसी 30नवंबर (dil India live)। विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से कबीर और उनकी शाश्वत शिक्षाओं को फिर से आत्मसात करते हुए तीन दिवसीय 'महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल' का भव्य समापन रविवार को गुलेरिया घाट पर हुआ. इस अनूठे उत्सव में ख्यातिलब्ध कलाकारों ने कबीर वाणी और आध्यात्मिक संगीत के माध्यम से जीवन दर्शन को समझाया और मन की सादगी में छिपे वैभव को जीने का रहस्य  उजागर किया. संगीत के साथ ही साहित्य, कला और आध्यात्म के सह-अस्तित्व की महत्ता का बखान किया।

फेस्टिवल पर अपने विचार साझा करते हुए महिंद्रा समूह के उपध्यक्ष और प्रमुख, सांस्कृतिक आउटरीच जय शाह ने कहा कि महिंद्रा समूह को इस महोत्सव के माध्यम से कलाकारों और दर्शकों को फिर से मिलने का मौका देने पर गर्व है। उन्होंने  इस बात पर राहत महसूस की कि कबीर के उत्सव के बहाने एक बार फिर जीवन की आशा और नई उम्मीदों के द्वार खुले हैं. उन्होंने आशा व्यक्त की कि भविष्य के लिए योजना बनाते समय हम आनंद और प्रतिबिंब से भरे इन पलों की ऊर्जा को अपने साथ रखेंगे।टीमव र्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजय के. रॉय ने कहा कि इस वर्ष महिंद्रा कबीरा फेस्टिवल वैश्विक आपदा से जूझ रहे लोगों और कलाकारों के लिए नई ऊर्जा के रास्ते खोले हैं. उन्होंने कहा कि कबीर के दर्शन में मनुष्य की अनुकूलन और आगे बढ़ने की क्षमता समाहित है। क



बीर को याद रख कर हम इस क्षमता को अपने भीतर निरंतर प्रवाहित होने दे सकते हैं।

तीसरे दिन प्रातःकालीन संगीत सत्र का आरम्भ  वाराणसी के शास्त्रीय गायक और शिक्षक प्रतीक नरसिम्हा के गायन से हुआ. कलाकार ने राग नट भैरव और कबीर के भजन प्रस्तुत किये. तत्पश्चात 'द आहवान प्रोजेक्ट' के कलाकारों ने भावपूर्ण कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसका शीर्षक था, ''कबीर, तुम कहाँ हो ?' प्रेम, मानवता और दया के दर्शन को बढ़ावा देने के लिए कबीर दर्शन की जरूरत पर ज़ोर देते हुए 'द आहवान प्रोजेक्ट' की गायिका वेदी सिन्हा ने अपनी कबीराना अदायगी से सुनने वालों के मन को छू लिया. उन्होंने कहा, "किसी भी समाज में, कोई भी समय या युग हो, कबीर का दर्शन हमेशा प्रतिध्वनित होता है क्योंकि यह एक सार्वभौमिक दर्शन है।"

दोपहर के सत्र में संगीतकार, कहानीकार और लेखक रमन अय्यर ने,  दिल्ली स्थित बैंड 'मंतश' के कलाकारद्वय अंजलि सिंह पडियार और लाभ भारद्वाज के साथ  जीवन संतुलन को समझने के लिए कबीर के कुछ छंदों पर अपने विचार प्रस्तुत किये. अय्यर ने रोजमर्रा के जीवन में काम के दबाव पर चर्चा करते हुए कहा कि कबीर के छंदों ने हरेक व्यक्ति को उसके सवालों के जवाब खोजने में मदद की है. आधुनिक  वर्कहॉलिक जीवन शैली से अलग जीवन के सत्य के समक्ष समर्पण करने में कबीर का दर्शन कैसे सहायक है, इस बिंदु पर उन्होंने विस्तार से चर्चा की साथ ही  मिस्टर शिपली द्वारा रचित एक मेडले का प्रदर्शन करके दिवंगत संगीतकार मिस्टर वैलेंटाइन शिपली को भी श्रद्धांजलि दी।


तत्पश्चात, अगले सत्र 'तरन्नुम से कबीर' में अस्करी नकवी ने संगीतमय गायन की एक अनूठी शैली का प्रदर्शन किया, जो कबीर की प्रसिद्ध कविताओं का गुलदस्ता था. नक़वी ने कहा कि “कबीर का जीवन दर्शन सारे संशय से मुक्त है और किसी भी रूढ़ी में विश्वास नहीं करता. वैसे ही कबीर पर आधारित मेरी गायन शैली भी बिना किसी बंधन के मुक्त प्रवाह वाली है.' नकवी ने कबीर के दोहा 'पिंजर प्रेम प्रकाशिया' के साथ अपने प्रदर्शन की शुरुआत करते हुए जीवन और मृत्यु, प्रेम और ज्ञान को कबीर के संदर्भों के साथ व्याख्यायित किया.

संध्य्कालीन संगीत सत्र की शुरुआत डीपीएस वाराणसी के वाद्यवृन्द द्वारा प्रस्तुत 'निरंजलि' के साथ हुई। इस संगीतमय प्रदर्शनमें  सभी आयु समूहों के विद्यार्थियों कबीर के दोहे प्रस्तुत किये गये.  डीपीएस वाराणसी के प्रिंसिपल मुकेश शेलार ने कहा, "निरंजलि कबीर के दर्शन के अनुकूल है. इस मनोहारी प्रदर्शन में कबीर के पारंपरिक दोहे, कुछ फ्यूजन और कुछ सूफी शैली के संगीत शामिल थे.

समापन संध्या को और भी भव्य बनाते हुए अगली प्रस्तुति ने उपस्थित जनमानस को हृदय की गहराइयों तक भावमय कर दिया. यह प्रस्तुति थी एम.के.रैना की उत्कृष्ट कृति 'कबीरा खड़ा बाज़ार में' के माध्यम से कबीरवाणी की आधुनिक पुनर्व्याख्या, जिसने इस शाम को एक अलग ही ऊंचाइयों तक पहुँचा दिया.  दास्तानगोई शैली में पेश किया गया यह कार्यक्रम कबीर के कालजयी साहित्य को एक नया ही रंग दे रहा था. 

समारोह का समापन सुविख्यात शास्त्रीय गायिका कलापिनी कोमकली के सुमधुर गायन के साथ हुआ. गायन प्रस्तुत करने के साथ ही कलापिनी कोमकली ने कहा, ' मुझे इस अभिनव उत्सव में आमंत्रित करने के लिए मैं बहुत आभारी हूं. माँ गंगा के किनारे बैठ कर कबीर को गाना और सुनना, इससे अद्भुत जीवन-अनुभव कहीं नहीं मिल सकता.सी के साथ जन-जन के कबीर का आह्वान करते हुए अगले वर्ष फिर मिलने के वादे और एक सुखद भविष्य की सकारात्मक आशा के साथ 'महिंद्रा कबीरा महोत्सव' का 5 वां संस्करण संपन्न हुआ। निश्चित रूप से अपने तरह के सबसे अनूठे इस महोत्सव की मधुर स्मृतियाँ अगले संस्करण तक सबके मन में बनी रहेगी।

माहवारी जब हो पहली बार, किशोरियां रखें यह ख्याल

किशोर रखें यह जानकारी, रहें पूरी तरह सतर्क

माहवारी में स्वच्छता का रखें विशेष ध्यान, रहें सजग 

प्रजनन अंगों की नियमित रूप से करें सफाई

समस्या होने पर निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में स्त्री रोग विशेषज्ञ से लें सलाह  

वाराणसी 30 नवंबर(dil india live)। मासिक चक्र (माहवारी) एक प्राकृतिक तथा स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है। यह प्रक्रिया एक किशोरी के शरीर को भविष्य में गर्भधारण के लिए तैयार करती है। किशोरियों से इस सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के विषय में बात करना जरूरी होता है, क्योंकि अधिकांश किशोरियों के मन में प्रथम माहवारी (मीनार्की) के बारे में विभिन्न प्रकार की आशंकायें होती हैं। इस मनोस्थिति को परामर्श के द्वारा दूर किया जाता है। यह कहना है *जिला महिला चिकित्सालय की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षिका (एसआईसी) डॉ लिली श्रीवास्तव का। 

       डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि किशोरियों को प्रथम माहवारी (मीनार्की) के बारे में अवश्य जानकारी रखना चाहिये। माहवारी प्रजनन तंत्र के सही प्रकार से एवं स्वस्थ रूप से कार्य करने का संकेत हैं। माहवारी कम से कम 3 से 7 दिन तक रह सकती है, कभी-कभी 2 दिन कम ज्यादा हो सकती है। लेकिन किसी-किसी में यह अधिक दिन अथवा कम दिन भी रह सकती है। यदि माहवारी के दौरान शुरुआती 2-3 दिनों में वह 3 से 4 पैड प्रतिदिन प्रयोग करती हैं अथवा रक्तश्राव अधिक होता है तथा यदि माहवारी 7 दिनों से अधिक रहती है तो यह अधिक रक्तश्राव की स्थिति होती है। ऐसे में अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल के डाक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिये। 

     


 माहवारी (मीनार्की) की प्रक्रिया के बारे में बात करते हुये वरिष्ठ परामर्शदाता एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मधुलिका पांडे ने बताया कि माहवारी लड़कियों के यौन रूप से परिपक्व होने की शुरुआत का संकेत है। यह प्रायः यौन विकास के क्रम में शुरू होती है। तथा इस समय शारीरिक विकास चरम पर होता है। यह प्रक्रिया एक किशोरी के शरीर को भविष्य में गर्भधारण के लिए तैयार करती है। माहवारी स्त्री के प्रजनन अंग जोकि गर्भाशय कहलाता है से नियमित अंतराल पर रक्त तथा ऊतकों का श्राव है। प्रत्येक माह एक डिंब या अंडा हार्मोन के कारण किसी एक अंडाशय में परिपक्व होता है। यदि अंडा शुक्राणु के द्वारा निषेचित नहीं होता तो गर्भाशय कि आंतरिक परतें टूटना शुरू हो जाती हैं, यह टूटी हुई परतें मासिक रक्तश्राव के रूप में बाहर निकलती हैं। यह हर महीने चलता है तथा इसकी अवधि लगभग 20 से 30 दिन की होती है। 

       डा. पांडे ने कहा कि मासिक चक्र सामान्य रूप से लड़की के 10 से 14 वर्ष की आयु के बीच किशोरावस्था में पहुँचने पर आता है, और 45 से 55 वर्ष के बीच रजोनिवृत्ति (मेनोपाँज) होने तक आता रहता है। मासिक चक्र प्रत्येक 21 से 35 दिनों पर आता है आर 3 से 7 दिन तक रहता है जब तक दूसरी बार अंडा बनने की प्रक्रिया नहीं शुरू हो जाती है। मासिक चक्र औसतन 28 से 30 दिन का होता है।  

उन्होने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय में चार डाक्टरों की ओपीडी होती है।  हमारी ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 150 मरीज आते हैं जिसमें 30 फीसदी मरीज अनियमित माहवारी के होते हैं। चिकित्सालय में पिछले तीन महीनों में कुल 33014 मरीजों की ओपीडी की गयी थी। जिसमें अक्टूबर माह में 11338, सितम्बर में 11582 तथा अक्तूबर में 10093 मरीज़ थे। 

माहवारी से पूर्व सामान्य बदलाव 

कुछ किशोरियाँ मासिक रक्तश्राव शुरू होने से कुछ दिन पहले असहज महसूस करती हैं। उनमें निम्न लक्षण हो सकते हैं जैसे स्तनों में दर्द, सिर दर्द, थकान, बदहजमी, कमर में दर्द तथा पेट का निचला हिस्सा भरा हुआ महसूस होना। किशोरियों को आश्वासन दें की चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि ये लक्षण हर महीने हार्मोन्स में परिवर्तन के कारण होते हैं। तथा एक बार मासिक चक्र शुरू होने पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। उन्हें आराम करने की सलाह दें।  

मासिक चक्र से संबन्धित समस्यायें

इसमें मुख्यतः अधिक या अल्प रक्तश्राव, माहवारी के दौरान दर्द, आरटीआई/एसटी आई, पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओडी), 16 वर्ष तक माहवारी न आना, माहवारी हर माह न आना या ज्यादा दिन पर आना  इत्यादि हैं।

 उपाय

उपर्युक्त समस्या होने पर अपने नजदीकी सरकारी अस्पताल के स्त्री रोग विशेषज्ञ से परामर्श लें। पीसीओडी (ओवरी में गांठ होना) की समस्या होने पर अल्ट्रासाउंड कराना चाहिये। डाक्टर की परामर्श के अनुसार किशोरियों को गर्भाशय के कैंसर से बचने के लिए ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) का टीका जरूर लगवाना चाहिए। किशोरियों को समझाएँ की मासिक चक्र का क्रम शुरुआती कुछ वर्षों के बाद सामान्य हो जायेगा। ज्यादा समस्या होने पर किशोरियों को अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र पर स्त्री रोग विशेषज्ञ को अवश्य दिखाना चाहिए। 

माहवारी के दौरान स्वास्थ्य एवं स्वच्छता

माहवारी के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता से किशोरियों को आराम एवं आत्मविश्वास महसूस होगा। इस दौरान नियमित स्नान करें। कब्ज से बचने के लिए नियमित ज्यादा पानी पिएँ तथा स्वास्थ्यवर्धक व पोषक आहार का सेवन करें। पौष्टिक आहार न लेने पर एनीमिया की संभावना बन सकती है। ऐसे में अपने ख़ून, सीरम प्रोलैक्टिन तथा टीएसएच की भी जांच करायें।   

स्वच्छता बनाए रखने के लिए किशोरियाँ मुलायम सूती पैड या सैनिटरी पैड का इस्तेमाल कर सकती हैं। सूती कपड़े में सोखने की अच्छी क्षमता होती है। कपड़े या पैड को दिन में 2 से 3 बार आवश्यकतानुसार बदलना चाहिए। कपड़े तथा अन्तः वस्त्रों को साबुन तथा पानी से अच्छी तरह से धोकर धूप में सुखाना चाहिए। पैड का प्रयोग करने के पश्चात उसे एक कागज में लपेटकर नष्ट करना चाहिए। प्रजनन अंगों को नियमित रूप से साफ करना चाहिये।      

शिवपुर निवासी लाभार्थी 27 वर्षीय रीता मौर्या ने बताया की हमें पिछले 4-5 महीनों से अनियमित माहवारी तथा सफ़ेद पानी आने की समस्या थी। डॉ पांडे को दिखाया, उन्होने सावधानी के बारे में बताया और ख़ून की जांच कराई तथा दवा लिखा। अब मुझे कोई समस्या नहीं है। कपसेटी निवासी 23 वर्षीय नेहा पाल ने बताया कि मुझे पिछले 3 महीनों से अनियमित माहवारी की समस्या थी। डाक्टर को दिखाकर दवा लिया। अब मुझे काफी आराम है।

सोमवार, 29 नवंबर 2021

दरिंदगी के विरोध में "आप" का जोरदार विरोध प्रदर्शन

फाफामऊ और सनबीम की छटना पर जताया विरोध


वाराणसी 28 नवम्बर (dil india live)। आम आदमी पार्टी ने वाराणसी में जहाँ एक ओर जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करते हुए फाफामऊ की घटना के विरोध में ACM चतुर्थ के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा तो वहीं दूसरी ओर जिलाधिकारी आवास पर धरना देते हुए थाना कैंट प्रभारी राजेश सिंह के माध्यम से जिलाधिकारी को ज्ञापन देते हुए वाराणसी के सनबीम स्कूल में हुए घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की।

आप के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश सिंह ने प्रयागराज के फाफामऊ और वाराणसी में हुए घटना की जोरदार निंदा करते हुए कहा हैं कि उत्तर-प्रदेश में निरंतर बढ़ते अपराध ने आमजन को दहशत में डाल दिया हैं। फाफामऊ में जिस पर दरिंदगी की गयी हैं और उस घटना के पूर्व पीड़ित परिवार के प्रति प्रशासन का रवैया खेदपूर्ण हैं और मोदी जी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी अपराधियों के हौसले बुलंद है। लहरतारा स्थित सनबीम स्कूल में मासूम के साथ हुए दरिंदगी ने सम्पूर्ण वाराणसी को कलंकित करने का काम किया हैं, इस पर स्कूल प्रबंधन पर  कठोर कार्यवाही करते हुए स्कूल की मान्यता रद्द की जाये और प्रबंधन पर मुकदमा दर्ज किया जाये, फ़ास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई करते हुए 06 माह के अंदर दोषी को सजा और पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिये। प्रदेश सचिव कृष्ण कांत तिवारी ने कहा दलित परिवार के चार ब्यक्ति  की नृसंश हत्या कर दी गई जिसमे एक16 वर्ष की लड़की की बलात्कार कर हत्या कर दी गयी आगे से ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इसकी व्यवस्था की जाएं। जिला अध्यक्ष कैलाश पटेल ने कहा कि योगी सरकार में वंचित शोषित समाज और गरीब तबके  के खिलाफ दरिंदगी हैवानियत और गुंडागर्दी की खुली छूट मिली है 24 नवम्बर की प्रयागराज के फाफामऊ की घटना वाराणसी सनबीम की घटना ताजा प्रमाण है

जिला मीडिया प्रभारी घनश्याम पांडे ,ने कहा कि प्रयागराज का फाफामऊ  कांड और वाराणसी की घटना हाथरस से भयभीत वीभत्स है अफसोस की बात है कि अब तक मुख्यमंत्री या उनके किसी मंत्री ने पीड़ित परिवार से मिलना जरूरी नहीं समझे। फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई करते हुए 6 माह के अंदर दोषी को सजा और पीड़ित परिवार को न्याय मिलना चाहिए इसके साथ ही फाफामऊ कांड और वाराणसी के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पार्टी रविवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया राज्यपाल महोदय को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपा।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से जिला सचिव अखिलेश पांडे, दीनानाथ सिंह वीरेंद्र प्रताप , विजय कुमार, माया शंकर पटेल, गुलाब सिंह राठौर, रोशन कुमार बरनवाल ,रेखा जायसवाल, विनोद जायसवाल, अर्चना श्रीवास्तव, जेपी दुबे, मनीष गुप्ता,  अब्दुल रकीब एडवोकेट हैप्पी, महफूज, राजीव भारद्वाज, हुसैन, डा. आसिफ खान, सरोज शर्मा, रोहित मौर्य, पल्लवी वर्मा, सेतु पति त्रिपाठी, अमर सिंह पटेल, नियाज अहमद, सत्यपाल, रमेश पटेल, गोपाल पांडे, नियाज भाई आदि मौजूद थे।

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