रविवार, 19 सितंबर 2021

सलमान खुर्शीद से पूर्वांचल हज सेवा समिति ने मांगा हज हाउस


सलमान बनारस के रंग में रंगे दिखे, हुआ ज़ोरदार स्वागत

वाराणसी 19 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ नेता व पूर्व विदेश मंत्री वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष सलमान खुर्शीद आज वाराणसी दौरे पर थे। इस दौरान उन्होने जहां बनारस के लोगों से बातचीत की, उनके जज्बात से रुबरु हुए वहीं वो इस दौरान खाटी बानारसी रंग में रंगे नज़र आये।

लिया पूड़ी कचौड़ी का ज़ायका

 सलमान खुर्शीद ने बानारस वालो के बीच खड़े होकर पुड़ी कचौड़ी और जलेबी का नाश्ता किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश तो उनका घर है। घर आने पर सभी खुश होते है। इस दौरान जगह जगह उनका जोरदार स्वागत भी किया गया। शिवाला में सैय्यद साजिद अली, अल्पसंख्यक कांग्रेस के पूर्व चेयरमैन अफसर खां आदि  ने ज़ोरदार स्वागत किया और मांग पत्र सौंपा। दरअसल सलमान खुर्शीद बनारस के लोगो से मिल कर उनकी राय पूछ कर कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने के उददेश्य से बनारस आये। 


फिर उठी हज हाउस की मांग

सलमान खुर्शीद सुबह 9:00 बजे खजुरी स्थित पूर्वान्चल हज सेवा समिति के कार्यालय में समिति के पदाधिकारियों से अध्यक्ष हाजी रईस अहमद के नेतृत्व में मिले। इस दौरान हज सम्बंधित तीन मांगो को हाजी रईस अहमद ने उनके सामने रखा। कहा कि 2007 से वाराणसी से सऊदी अरब के लिए हज की उड़ान शुरु हुई थी मगर कारोना काल के पहले तक अस्थायी हज हॉउस से ही हाजी हज यात्रा पर जाते है। इसलिए वाराणसी में स्थायी हज हॉउस का निर्माण किया जाये। हज पर जाने के लिए वाराणसी इम्ब्राकेशन बंद न किया जाये साथ ही सेन्ट्रल हज कमिटी/ उ0प्र0 राज्य हज समिति में पूर्वान्चल हज सेवा समिति के सदस्यों की भागीदारी हो। इन तीनो मांगो को कांग्रेस के चुनावी मेनिफेस्टो में शामिल किया जाये। बनारस में वो बुनकर सरदारों व महतों से भी मिले।


इस दौरान स्वागत शहर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे और जिला अध्यक्ष राजेस्वर पटेल ने किया। हाजी जुबैर, हाजी तारीक हसन बबलू, मौलाना  रियाज़ अहमद कादरी, हाजी अदनान खान, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, हाजी पप्पू, मुर्तज़ा अब्बास शम्सी, मोबीन अख्तर पप्पू, डॉ. अमीन, शमसुल आरफिन, रेयाज़ अहमद, हाजी तलत, हाजी अयाज़, मो. जफरूल्लाह ज़फर, सैय्यद साज़िद अली, अफसर खां, हाजी सैय्यद अंसारी, पार्षद रमजान अली, अफ़रोज़ अंसारी, पार्षद अफ़ज़ाल अंसारी, महमूदुल हई, रौशनी कुशल जायसवाल, मो. फारूक, अख्तर, हाजी बाबू लाल, सुफियान, शहाबुद्दीन, हाजी मो. आसिफ खान, हाजी इक़बाल गुड्डू,हाजी इसरार, हाजी मो. शमी, बाबू, हाजी नुरुल हसन, सुभाष हैसवाल, यासीन चश्मा लोग मौजूद थे।


108 चांदी के कलशों से हुआ महा मस्तकाभिषेक

पर्यूषण पर्व पर मंदिरों में परिक्रमा कर भक्तों ने किया पूजन

  • धर्म परायण ही वास्तविक ब्रम्हचर्य है :आचार्य विशद सागर 
  • पर्यूषण सम्पन्न, कल क्षमावाणी पर्व

वाराणसी 19 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। अनंत चतुर्दशी के पावन पर्व पर रविवार को अनंत नाथ एवं देवाधिदेव पार्श्वनाथ


का महा मस्तकाभिषेक 108 रजत कलशो से भक्तों ने इंद्र के रूप में किया। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन रविवार को नगर की समस्त जैन मंदिरों में परंपरा के अनुरूप जाकर दर्शन-पूजन-प्रक्षाल किया । 

मुख्य आयोजन ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती शीशे वाला मंदिर में सकल जैन समाज की उपस्थिति में सायंकाल 4:00 बजे व्रत धारी इंद्र के रूप में शुद्ध केसरिया वस्त्रों में वाद्य यंत्रों एवं शहनाई की मंगल ध्वनि के बीच श्रावकों ने मंत्रोच्चारण के साथ रजत पांडुक शिला के कमल सिंहासन पर विराजमान कर तीर्थंकर द्वय का बारी-बारी से पंचाभिषेक से महा मस्तकाभिषेक किया ।जैन मतावलंबी ने कठिन निर्जला व्रत रखकर नमन पाठ पढ़कर इच्छुक रस धारा , दुग्ध धारा ,  घृत धारा , केशर एवं शुद्ध गंगाजल के 108 रजत कलशों से तीर्थंकरों का प्रक्षाल महा मस्तकाभिषेक किया । इस नयनाभिराम दृश्य को देखने के लिए भक्तगण वर्ष भर इंतजार कर मंदिर जी में एकत्र हुए। 

भाद्र शुक्ल पंचमी  से अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक चलने वाला पर्युषण दसलक्षण महापर्व पर जैन धर्म की प्राचीन परंपरा के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर्व पर विभिन्न जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्मभूमि भेलूपुर , खड़ग सेन उदय राज जैन मंदिर भेलूपुर,  भगवान  सुपार्श्वनाथ की जन्मस्थली भदैनी जैन घाट , भगवान श्रेयांसनाथ जी की जन्मभूमि सिंहपुरी सारनाथ ,  चंदा प्रभु भगवान की जन्म स्थली चंद्रपुरी चौबेपुर के अलावा भगवान महावीर स्वामी की दिव्य प्रतिमा जैन मंदिर नरिया ,  श्री अजीतनाथ दिगंबर जैन मंदिर खोजवा , मैदागिन , हाथी बाजार , मझवा , भाट की गली एवं चैत्यालयो में जाकर दर्शन पूजन करते है । भक्त गण प्रातः काल से ही जिसकी जैसी शक्ति के हिसाब से परिक्रमा , पैदल समूह में , वाहनों से दिन भर में दर्शन-पूजन , वंदना करने के बाद सायंकाल श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर ग्वालदास साहूलेन पहुंचने पर मुख्य आयोजन महामस्तकाभिषेक के आयोजन में शामिल हुए । मंदिर जी में प्रातः काल से ही चौबीसी पूजन , देव शास्त्र ,  गुरु पूजा , विनय पाठ , अनंतनाथ पूजा , जिनेंद्र नाथ पूजा , शांति पाठ एवं महाअर्घ्य आदि शहनाई , ढोल की मंगल ध्वनि के बीच भक्तों ने किया । जैन धर्मावलंबी भादो मास में पड़ने वाले पर्यूषण पर्व पर 10 वृत्तियों का व्रत लेकर मन-वाणी एवं शरीर आत्मा को शुद्ध करते हुए कठिन तपस्या एवं साधना व्रत के साथ मन शुद्धि , आत्म शुद्धि  , उपवास , जपमाला , ध्यान , स्तुति , वंदना इत्यादि अपने आत्मबल को जगाने के लिए करते हैं । 


अनंत चतुर्दशी के पावन अवसर पर श्रद्धालु भक्तों ने अनंत सूत्र को पंचामृत अभिषेक में भिगोकर हाथों में बांधा । नगर की समस्त जैन मंदिरों में आज भगवान वासुपूज्य जी का मोक्ष कल्याणक भी मनाया गया । भगवान पर्श्वनाथ जी की जन्मस्थली भेलूपुर में प्रातः आचार्य विशद सागर जी के मंगल सानिध्य में वृहद विधान का भी आयोजन किया गया । संगीतमय विधान पूजा को विधानाचार्य पंडित अशोक जैन ने संपन्न करवाया । विधान में 17 जुलाई से 26 सितंबर तक लगातार त्रिकाल वरती तीर्थंकर व्रत की साधना कर रहे मुनि श्री 108 विशाल सागर जी महाराज का भी मंगल सानिध्य प्राप्त था। पर्यूषण पर्व के अंतिम दिन रविवार को प्रातः भेलूपुर में पर्व के दसवे एवं अंतिम अध्याय, “ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म “ पर व्याख्यान प्रवचन देते हुए कहा-“  ब्रह्म का अर्थ है निजात्मा और चर्य का अर्थ है आचरण करना या लीन होना । अतः ब्रह्मचर्य से तात्पर्य निज आत्मा में लीन होना है । साधारण बोलचाल में ब्रह्मचर्य से तात्पर्य स्त्री से संसर्ग के त्याग को ब्रह्मचर्य कह दिया जाता है , लेकिन ब्रम्हचर्य में स्त्री , घर-बार छोड़ देना लेकिन अंतरंग से विषयों का त्याग ना करें तो यह ब्रम्हचर्य नहीं कहलाता| निश्चय से ज्ञानानंद स्वभावी निज आत्मा को निज मानना , जानना और उसी में रम जाना, लीन हो जाना ही उत्तम ब्रह्मचर्य होता है । अर्थात अपने ब्रह्म में चर्या करना ही वास्तव में ब्रह्मचर्य है। जो साक्षात मोक्ष का कारण है । “

सायं काल शास्त्र प्रवचन एवं भगवंतो की महाआरती की गई एवं विद्वत जनों का सम्मान किया गया । महिला मंडल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं भजन किया गया ।

आयोजन में प्रमुख रूप से सभापति श्री दीपक जैन , उपाध्यक्ष राजेश जैन , आर. सी जैन , विनोद जैन , संजय जैन , प्रधानमंत्री अरुण जैन , समाज मंत्री तरुण जैन , मंत्री रत्नेश जैन , राजेश भूषण जैन,  विशाल जैन , प्रताप चंद्र जैन , पंकज जैन उपस्थित थे ।


कल निकलेगी शोभा यात्रा

सोमवार 20 सितंबर 2021 को प्रातः 8:00 बजे श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर ग्वालदास साहुलेन से गाजे-बाजे के साथ दसलक्षण व्रत के 10 दिनों के उपवास के उद्यापन के अवसर पर व्रत धारियों की शोभायात्रा निकाली जाएगी , जो मैदागिन स्थित जैन मंदिर जाएगी वहां पारणा उत्सव मनाया जाएगा ।

शनिवार, 18 सितंबर 2021

पर्यूषण का 9वां दिन: कठिन व्रत, तपस्या संग हुई रत्नत्रय की स्थापना



संस्कारवा झुक कर दूसरों को सम्मान देने में आनंदित होते है: आचार्य विशद सागर


वाराणसी18 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। तन , मन और आत्मा की शुद्धि के लिए भादो माह में जैन धर्मावलंबियों द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण महापर्व पर भगवान पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र मंदिर भेलूपुर में पर्व के नौवें दिन शनिवार को नवे अध्याय “उत्तम आकिंचन  धर्म “ पर प्रवचन व्याख्यान करते हुए दिगंबर जैन आचार्य 108 विशद सागर ने कहा कि-“ किंचित मात्र भी परिग्रह का ना होना ही आकिंचन धर्म कहलाता है अथवा मेरी ज्ञानदर्शन रूपी चैतन्य के अलावा ,  वस्तु यह शरीर , घर , मकान ,बंगला , गाड़ी मेरा कुछ भी नहीं है । अपरिग्रह से ही आत्मा को केंद्रित किया जा सकता है । दिगंबर जैन साधु जीवन पर्यंत आकिंचन धर्म को अंगीकार करते हैं । हमारे जीवन का मूल उद्देश्य ध्येय धन अर्जन करना ही नहीं अपितु धर्म के आधार पर सुख और समृद्धि लाना भी होना चाहिए। धर्म जीवन का परम आधार है । परि का अर्थ है चारों तरफ से और ग्रह का अर्थ है संयम करना अर्थात चारों तरफ  से संचय करना परिग्रह कहलाता है । सिद्धांत: तो हमारा कुछ भी नहीं है , नश्वर वस्तु हमारी हो ही नहीं सकती। शाश्वत वस्तु हमारे पास से जा नहीं सकती । यह आत्मा संकल्प , विकल्प रूप , कर्तव्य भावों से संसार सागर में डूबती रहती है । परिग्रह का परित्याग कर परिणामों को आत्म केंद्रित करना ही आकिंचन धर्म की भावधारा है ।” मुनिश्री ने कहा-“ भौतिक वादी , प्रगतिशील , अर्थ तंत्र की मुख्यता को लेकर चलने वाली दुनिया में यह भावनाएं प्रायः लुप्त हो चुकी हैं ।” 

शनिवार को प्रातः नगर की जैन मंदिरों में भगवंतो का अभिषेक पूजन किया गया । महापर्व के नौवें दिन रत्नत्रय स्थापना नंदीश्वर दीप पूजन , दशलक्षण पूजन , 16 कारण व्रत पूजन , स्वयंभू स्रोत पूजा भी प्रारंभ हुई। 10 लक्षण पर्व के पावन अवसर पर 16 कारण के 32 \16 उपवास, 10 लक्षण व्रत के 10 उपवास , अठाई व्रत के आठ उपवास , रत्नत्रय के तीन उपवास, एकासना एवं किसी भी प्रकार से त्याग -तपस्या-साधना कर तप की राह पर चलने वाले सभी धर्म प्रेमी तपस्वीयो के उत्कृष्ट साधना की जैन समाज द्वारा अनुमोदना की गई । सभी के जीवन को एक नई दिशा मिले ऐसी मंगल कामना की गई। 

सायंकाल जिनेंद्र भगवान की आरती , शास्त्र पूजन , भजन इत्यादि कार्यक्रम किए गए। आयोजन में प्रमुख रूप से दीपक जैन अध्यक्ष,  राजेश जैन उपाध्यक्ष, अरूण जैन प्रधानमंत्री, तरुण जैन समाज मंत्री, राजीव जैन, कमल बागड़ा,  विनोद जैन ,संजय जैन, आर.सी. जैन उपस्थित थे।


अनंत चतुर्दशी पर्व पर होगा महामस्तकाभिषेक

वाराणसी 18 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। नगर के विभिन्न जैन मंदिरों में रविवार को विविध धार्मिक आयोजन होंगे। श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में रविवार 19 सितंबर को 10 लक्षण महापर्व के अंतिम दिन नगर के सभी जैन मंदिरों में परिक्रमा पूजन , अभिषेक प्रातः से प्रारंभ होंगे ।

 मुख्य आयोजन:-  “ अनंत चतुर्दशी “ पर्व पर ग्वालदास साहूलेन स्थित श्री दिगंबर जैन पंचायती मंदिर में पूजन के साथ सकल जैन समाज की उपस्थिति में सायं ठीक  4 बजे से श्री 1008 अनंतनाथ भगवान एवं चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान (मूलनायक) पद्मासन विशाल बड़ी प्रतिमा जी का 108 रजत कलशों से महामस्तकाभिषेक का आयोजन होगा।

शुक्रवार, 17 सितंबर 2021

पर्यूषण पर्व के आठवे दिन रत्नत्रय व्रत की पूजा


अहंकार का त्याग ही सम्यक त्याग धर्म: मुनि विशद सागर

वाराणसी 17 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। जिस प्रकार बिना मेघ के वर्षा नहीं होती , बिना बीज के अन्न उत्पन्न नहीं होता , उसी प्रकार बिना त्याग के सुख भी प्राप्त नहीं होता। उक्त बातें श्री दिगंबर जैन समाज काशी द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण (10 लक्षण) पर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः भगवान पार्श्वनाथ की जन्मभूमि भेलूपुर में उत्तम त्याग धर्म विषय पर बोलते हुए भक्तों को प्रवचन देते हुए कहीं।


 मुनिश्री ने कहा-“ आमतौर पर दान करने को ही त्याग कहा और समझा जाता है , लेकिन त्याग और दान में अंतर है। दान परोपकार किसी उद्देश्य के लिए किया जाता है, और त्याग संयम के लिए।  कषायो का मोह, राग, द्वेष का, अहंकार का त्याग करने से आत्मा को बल मिलता है।” 

मुनिश्री ने कहा - “ त्याग शब्द त्यज धातु से बना है , जिसका अर्थ है छोड़ना, परित्याग करना, मुक्त होना, दान करना इत्यादि । परिग्रह से मनुष्य अपनी जीवन रूपी नौका को घोर अंधकार रूपी नर्क में पटक देता है। इसलिए मनुष्य को जीवन में दान धर्म करते रहना चाहिए। रोगी दुखी जीव को औषधि एवं जीवनदान, गरीब एवं जरूरतमंद को अन्न एवं वस्त्रों का दान ,  अज्ञानी को ज्ञान का दान-पुस्तकों का दान, निर्धन को धन का दान एवं पशु-पक्षी के प्रति करुणा दया से युक्त होकर रक्षा करनी चाहिए । किसी के कष्टों को दूर करना  दान कहलाता है ।ऋग्वेद और यजुर्वेद में तीर्थंकर आदिनाथ के दिगंबर होने का स्पष्ट उल्लेख मिलता है । दिगंबर साधु त्याग की उत्कृष्ट मूर्ति होते हैं।”शांति ग्रहण में नहीं वरन त्याग में ही है, आत्मा की शांति के लिए त्याग की बहुत आवश्यकता होती है। जिस प्रकार मेघ जल का त्याग कर देते है, नदी स्वयं जल नहीं पीती, पेड़ स्वयं फल नहीं खाते उसी प्रकार अधिक धन या किसी भी वस्तु का संग्रह नहीं करना चाहिए। त्यागने से ही मन एवं चित्त में सदा प्रसन्नता बनी रहती है ।


पर्युषण महापर्व के आठवें दिन शुक्रवार को प्रातः नगर की समस्त जैन मंदिरों में भगवन्तो का पूजन, अरिहंतो का पूजन,  एवं तीर्थंकरों का अभिषेक एवं विधान किया गया। जैन धर्म में भादो माह को सम्राट के समान माना गया है। इस दौरान समस्त श्रावक भक्तों के मन में सहज ही त्याग-तपस्या, दर्शन सहित तमाम धार्मिक क्रियाएं की भावना स्वयं उत्पन्न हो जाती है । उसी क्रम में सायंकाल जिनेंद्र भगवान की आरती, जिनवाणी पूजन , देवी पद्मावती माता का शृंगार किया गया। शाम में भेलूपुर जैन मंदिर जी में अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला मंडल द्वारा 1 मिनट - अंत-अक्षर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया । 

धार्मिक आयोजनों में प्रमुख रूप से दीपक जैन, राजेश जैन, अरुण जैन, विशाल जैन, जिवेंद्र जैन, डॉक्टर जे.के. सांवरिया, तरुण जैन, राकेश जैन, वी.के. जैन, श्रीमती प्रमिला सांवरिया , मंजू जैन , शोभा रानी जैन उपस्थित थे।

पोषण माह: पिंडरा व चोलापुर में चला जागरूकता अभियान

रेसिपी प्रतियोगिता संग अन्नप्राशन एवं गोदभराई की रस्म हुई अदा

वाराणसी 17 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से चलाये जा रहे पोषण माह के अन्तर्गत चोलापुर तथा पिंडरा ब्लॉक में पोषण जागरूकता के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके तहत रेसिपी प्रतियोगिता के साथ ही अन्नप्राशन एवं गोदभराई की रस्म कर महिलाओं को जागरूक किया गया। पिंडरा विकासखंड के सीडीपीओ वीके उपाध्याय ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य कुपोषित महिलाओं एवं बच्चों के लिए पुष्टाहार विभाग द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही उन्हें पोषण के प्रति जागरूक करना रहा। इस दौरान आयोजित रेसिपी प्रतियोगिता के जरिये उन्हें यह बताने की कोशिश की गयी कि वह किस तरीके का भोजन बनायें, जिससे उन्हें पौष्टिक आहार मिल सके। इसके साथ ही गोदभराई व अन्नप्राशन की रस्म से यह समझाने का प्रयास किया गया कि वह खुद के साथ ही बच्चों के प्रति किस तरह सजग रहें। 


चोलापुर विकासखंड के सीडीपीओ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि केंद्रों में मौजूद गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को प्रसव के पूर्व की तैयारी और प्रसव पश्चात की तैयारी के विषय में भी जानकारी दी गयी। सभी लाभार्थी महिलाओं को जीवन चक्र के प्रथम 1,000 दिन यानि गर्भावस्था काल के 270 दिन और जन्म से लेकर 2 साल तक 730 दिन के महत्व के बारे विस्तार से बताया  गया।  इन दिवसों में गर्भवती माता और प्रसव के बाद शिशु की देखभाल बहुत जरूरी होती है, जिससे जच्चा-बच्चा दोनों को कुपोषण से बचाया जा सके। इसके अलावा महिलाओं को सुरक्षित और संस्थागत प्रसव, संतुलित एवं स्वस्थ आहार, टीकाकरण, प्रसव पूर्व जाँच, परिवार नियोजन एवं अन्य स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया गया। 


कार्यक्रम में काफी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। उन्हें बताया गया की वह किस तरीके का पोशाक आहार लें। उन्हें यह भी समझाया गया कि उनके घरों के आस–पास मिलने वाले सहजन, हरी सब्जियाँ तथा चना इत्यादि में भरपूर पौष्टिकता होती है जिसका लाभ वह आसानी से उठा सकती हैं। इससे न केवल वह खुद बल्कि उनके बच्चे भी स्वस्थ रहेंगे। कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को पोषण पोटली भी दी गयी। 

कार्यक्रम में धौरहरा गाँव निवासी मधू, पति- वीरेंद्र ने बताया की उन्हें चार महीने की प्रेगनेन्सी है, विभाग से हमें पूरी जानकारी मिलती रहती है, मुझे किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। धौरहरा की ही निवासी अनीता, पति शशि कुमार ने बताया की उन्हें 3 महीने की प्रेगनेन्सी है। इस कार्यक्रम में शामिल होकर हमें कई महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई।

गुरुवार, 16 सितंबर 2021

पर्यूषण पर्व का सातवां दिन:जैन मंदिरों में सुगंध दशमी मनाई गई






साधना से ही आत्मा होगी पवित्र: मुनि विशद सागर

वाराणसी 16 सितंबर (दिल इंडिया लाइव) । श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे दसलक्षण महापर्व के सातवें दिन गुरुवार को जैन मंदिरों में सुगंध दशमी पर धूप चढ़ाकर चौबीसी एवं अनंत नाथ भगवान की विशेष पूजा की गई । आज जैन मंदिरों में सुगंध दशमी पर यह प्रार्थना की गई कि जिनेंद्र देव हम सब के दुष्कर्मों का नाश करें एवं धूप की तरह हम सबके जीवन में सुगंध भरे। गुरुवार को मंदिरों में जिनेंद्र भगवान का प्रक्षाल - पूजन के साथ अरहंत परमेष्ठी, सिद्ध परमेष्ठी, आचार्य परमेष्ठी ,  उपाध्याय परमेष्ठी, साधु परमेष्ठी को मंगलाचरण के रूप में प्रणाम किया गया। भगवान पार्श्वनाथ


की जन्म स्थली भेलूपुर में प्रातः दसलक्षण पर्व के सातवें अध्याय “उत्तम तप धर्म”  पर व्याख्यान प्रवचन देते हुए मुनि महाराज ने कहा साधन वही है जो साध्य को दिशा दे , औषधि वही है जो रोग को दूर करे, और सच्चा तप वही है जो जीव को अंतर आत्मा से परमात्मा बना दे। परम आचार्य मुनि श्री ने अपने मुखारविंद से कहा - “समस्त रागादि पर भावों को त्याग कर आत्म स्वरूप में लीन होने पर इच्छाओं का नाश होता है , विकारों पर विजय प्राप्त होने को उत्तम तप कहते हैं। 

सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान , और सम्यक चारित्र ही सुखी होने का सही मार्ग है । हर मनुष्य के अंदर दया , धर्म , अहिंसा , तप और त्याग की भावना होनी चाहिए । सत्यवादी , अहिंसावादी एवं तपस्वी त्यागों से ही देव भी प्रसन्न होते हैं । ज्ञान हमेशा तप से ही प्राप्त होता है । कर्म बंधन से छुटकारा पाने का एक ही उपाय है वह है राग द्वेष से दूर रहो , वीतरागी बनो। तप रूपी साधना से ही आत्मा को पवित्र किया जा सकता है । 

सायं काल खोजवा स्थित जैन मंदिर में प्रोफ़ेसर फूलचंद प्रेमी ने उत्तम  तप धर्म पर कहा - “जिस प्रकार सोना खूब तपने के बाद ही खरा होता है , उसी तरह मानव को अपने जीवन में श्रद्धा के साथ तप ,साधना ,शास्त्र अध्ययन , जिनवाणी स्तुति,  ध्यान मंत्र जप , सामायिक,  प्रतिक्रमण , भावना भगवन्तों  का पूजा प्रक्षाल , सेवा , दान , धर्म कर अपने को पूरा तपा के अपने जीवन को खरे सोने की तरह बना लेना चाहिए।

सायंकाल अन्य सभी मंदिरों में भी प्रवचन , जिनवाणी स्तुति, भजन एवं तीर्थंकरों की आरती की गई। महिला मंडल द्वारा सायं काल वर्ग पहेली *धर्म* पर प्रतियोगिता आयोजित की गई। आयोजन में प्रमुख रुप से सर्व श्री दीपक जैन , राजेश जैन, अरुण जैन , प्रोफेसर अशोक जैन,  आदीश जैन , तरुण जैन , प्रमोद बागड़ा , ललित पोद्दार उपस्थित थे । 

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...