शुक्रवार, 10 सितंबर 2021

जैन धर्म के आत्म आराधना का महापर्व पर्यूषण शुरू

मोक्ष मार्ग पर चलने का आया है स्वर्णिम 10 दिवसीय अवसर: विशद सागर

 वाराणसी 10 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। नगर के सभी जैन मंदिरों में पर्युषण पर्व पर प्रातः से तीर्थंकरों का अभिषेक विशेष पूजन प्रारंभ हुआ |10 दिनों तक चलने वाले दसलक्षण पर्यूषण पर्व में जैन धर्मावलंबी अपने कर्मों की निर्जरा करने हेतु व्रत -उपवास ,धर्म-ध्यान ,मंत्र-जाप ,आचार्य भक्ति प्रतिक्रमण जिनेंद्र स्तुति योग ध्यान अनेको धार्मिक कृत्य कर अपने आत्मा की आराधना करते हैं ।शुक्रवार को शुरू हुए इस पर्व के पहले दिन भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली भेलुपूर में प्रातः तीर्थंकरों का अभिषेक शांति धारा के साथ विधान इत्यादि किया गया। श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे 10 दिवसीय आयोजन के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म पर अपना मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्य 108 विशद सागरजी महाराज ने कहा -“उत्तम क्षमा हमारी आत्मा को सही राह खोजने में और क्षमा को जीवन और व्यवहार में लाना सिखाता है । जिससे सम्यक् दर्शन प्राप्त होता है ।दसलक्षण पर वह हमारे जीवन में किए गए अशुभ कार्यों को पीछे छोड़कर मोक्ष मार्ग पर चलने का स्वर्णिम अवसर प्रदान करता है ।उत्तम क्षमा धर्म जीवन यात्रा में चलते चलते स्वार्थ ,मोह ,अज्ञानतावश हुई समस्त भूलो की सच्चे स्वचछ हृदय से सुधारने का मौक़ा देता है । इसमे मैत्री का भाव जगाता है। महाराज श्री ने कहा -“क्रोध मन की गंदगी है जहाँ भी गिरेगी गंदा करेगी ।क्षमा आत्मा का स्वभाव है ,जहाँ रहेगा आनंद बरसेगा |”  उन्होने कहा ,”क्रोध के बदले क्षमा , शत्रुता के बदले मित्रता , पत्थर के बदले फूल , हिंसा के बदले अहिंसा पर चलोगे तो दुनिया में शांति होगी । ज्ञान का प्रकाश फैलेगा और आत्मा परमात्मा बन जाएगी ।”

सायंकाल खोजवा स्थित जैन मंदिर में प्रवचन करते हुए पंडित फूलचंद प्रेमी ने कहा -“क्रोध मेरी चेतना में पित के समान अंतर दाह देने वाला विकार है । सहनशीलता क्रोध को पैदा न होने देना । क्रोध पैदा हो जाए तो अपने विवेक से , नम्रता से उसे विफल कर देना चाहिए । क्षमा के गुणों का चिंतन करना अति आवश्यक है । 

ग्वालदास सहूलेंन , नरिया , सारनाथ , भदैनी ,मैदागिन  स्थित मंदिरों में भी प्रातः काल से ही धार्मिक कृत्य प्रारम्भ हो रहे हैं ।सायंकाल तीर्थंकरों की आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम किए गए ।आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन ,उपाध्यक्ष राजेश जैन ,आर.सी. जैन ,  विनोद जैन ,संजय जैन ,  तरुण जैन इत्यादि उपस्थित थे।

गुरुवार, 9 सितंबर 2021

कैम्प’ में महिलाओं, बच्चों को दी गयी योजनाओं की जानकारी

 मिशन शक्ति अभियान के तहत लगा स्वावलम्बन कैम्प

वाराणसी, 9 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। महिलाओं और बच्चों को उनके लिए चलायी जा रहीं योजनाओं  के बारे में जानकारी के लिए  कहीं भटकना न पड़े, इसके लिए बृहस्पतिवार को ‘स्वावलम्बन कैम्प’ का आयोजन किया गया। जिले के ग्रामीण इलाके में बने “कॉमन सर्विस सेंटर” में आयोजित इस कैम्प में महिलाओं और बच्चों की हितकारी योजनाओं के बारे में  जानकारी देने के साथ ही उनसे आवश्यक औपचारिकताएं भी पूरी करायी गयी।


मिशन शक्ति अभियान के तहत स्वावलम्बन कैम्प में महिला एवं बाल विकास, बेसिक शिक्षा व  स्वाथ्य विभाग के अधिकारियों ने प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी। पति की मृत्यु उपरान्त मिलने वाली निराश्रित महिला पेंशन योजना के अलावा मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना, मुख्य मंत्री बाल सेवा योजना के बारे में बताया गया। साथ ही योजना के दायरे में आने वाले लोगों से औपचारिकताएं पूरी करायी गयी ।

जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी ने बताया कि कैम्प का उद्देश्य प्रदेश सरकार की ओर से चलार्इ जा रही विभिन्न योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक महिलाओं और बच्चों तक पहुंचाना है और हम इसमें सफल भी हो रहे हैं। महिला शक्ति केन्द्र की जिला समन्वयक रेखा श्रीवास्तव ने बताया कि हम लोगों की पूरी कोशिश है कि योजनाओं का लाभ महिलाओं, बच्चों को मिल सके। इसके लिए अभियान चलाया जा रहा है। 

भवानीपुर स्थित कैम्प में अपनी बेटी हर्षिका के साथ कन्या सुमंगला योजना के लिए आवेदन करने पहुंची सुनीता ने कहा कि कैम्प में उसे इस योजना के बारे में बताने के साथ ही उसका आवेदन पत्र भरवाने में भी मदद की गयी। डनियालपुरी के कैम्प में आयी बेचना देवी ने बताया कि निराश्रित पेंशन के आवेदन को भरने में उन्हें  मदद मिली।

बुधवार, 8 सितंबर 2021

मिशन शक्ति: और मजबूत होगा बच्चों का ‘सुरक्षा चक्र’

ग्राम बाल संरक्षण समितियों की हुई बैठक




प्रदेश में चल रहे ‘मिशन शक्ति’ अभियान के तहत बुधवार को जिले के ग्राम पंचायतों में ‘ग्राम बाल संरक्षण समिति’ की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में बच्चों के सुरक्षा चक्र को और मजबूत करने पर बल दिया गया।

वाराणसी, 8 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। प्रदेश में चल रहे ‘मिशन शक्ति’ अभियान के तहत बुधवार को जिले के ग्राम पंचायतों में ‘ग्राम बाल संरक्षण समिति’ की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में बच्चों के सुरक्षा चक्र को और मजबूत करने पर बल दिया गया।

मिशन शक्ति’ अभियान के तहत इस बैठक के आयोजन के लिए मुख्य विकास अधिकारी अभिषेक गोयल ने  सभी विकास खंड के खंड विकास अधिकारियों को निर्देश दिया था । ग्राम बाल संरक्षण समिति की हुर्इ उक्त बैठक में अध्यक्ष के रूप में  ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत अधिकारी, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता , एएनएम, विद्यालय के प्रधानाचार्य, विद्यालय प्रबंधन समिति के महिला तथा पुरुष सदस्य  व बच्चों के प्रतिनिधि के रूप में एक बालक तथा एक बालिका उपस्थित रहे। बैठक में बाल विवाह ,बाल श्रम की रोकथाम ,मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत पात्र बच्चों को लाभांवित करने, कन्या सुमंगला योजना , कन्या भ्रूण हत्या ,सभी बच्चों के जन्म पंजीकरण तथा आधार अनिवार्य रूप से बनवाए जाने पर जोर दिया गया।

ग्राम बाल संरक्षण समितियों की बैठक आयोजन कराने में बाल विकास एवम पुष्टाहार विभाग की आंगनबाड़ी कार्यकत्री का विशेष योगदान रहा,  शासन द्वारा उक्त समिति में आंगनबाड़ी कार्यकत्री को सचिव के रूप में नामित किया गया है। उक्त समितियों को सक्रिय करने हेतु बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने सभी विकास खंड का एक व्हाट्सएप ग्रुप निर्मित किया है, जिसमें विकासखंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति के सदस्य हैं तथा सभी सुपरवाइजर तथा ग्राम स्तर पर नामित सचिव के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकत्री भी उस ग्रुप में है, इस ग्रुप के माध्यम से सभी तक सूचना का आदान प्रदान,किसी बच्चे के संबंध में सूचना बैठकों से संबंधी फोटोग्राफ उपलब्ध हो जाते है। इस बीच विकास खंड सेवापुरी की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत 8 बच्चों का चिन्हीकरण कर ग्रुप के माध्यम से सूचना दी, जिनमें सभी बच्चों का फॉर्म जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा भरवा कर उन्हें योजना से लाभान्वित किया गया।

मंगलवार, 7 सितंबर 2021

कातिल से कह दो अपना हर अरमां निकाल ले....


मुशायरे में शायरों का सम्मान, पेश हुआ कलाम

जब किसी का मकान जलता है, दूर तक आसमां जलता है

वाराणसी 7 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। उर्दू साहित्यिक व सामाजिक संस्था "अदब सराय" वाराणसी के तत्वाधान में एक अजीमुश्शान मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन रामनगर में किया गया। मुशायरे का आयोजन इंडियन प्रीमियर मुशायरा लीग 2021 ऑस्ट्रेलिया की विजय टीम की वाराणसी आमद पर स्वागत के रूप में किया गया। मुशायरे की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार और उस्ताद शायर ताजुद्दीन अशअर रामनगरी ने की व संचालन वरिष्ठ शायर जम जम रामनगरी ने किया।

       मुख्य अतिथि बेंगलुरु से तशरीफ लाए मशहूर शायर गुफरान अमजद व इलाहाबाद से तशरीफ लाए अफजल इलाहाबादी का स्मृति चिन्ह व शाल देकर सम्मानित किया गया,संस्था के अध्यक्ष आलम बनारसी, महासचिव शाद मशरकी, सचिव सावन शुक्ला, ने लोगों का स्वागत गुलदस्ता देकर किया।मुशायरे में शायरों ने बड़ी ही अच्छी अच्छी गजलें व नज्में पेश की, जिससे लोग सुनकर झूम उठे। इस मौके पर ताजुद्दीन अशअर रामनगरी ने सुनाया कि, कल्ब व जिगर के टुकड़े को जां निकाल ले, कातिल से कह दो अपना हर अरमां निकाल ले।

अफ़ज़ल इलाहाबादी ने कहा कि, मेरी तामीर मुकम्मल नहीं होने पाती, कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है।

हबीब बनारसी ने कहा, कुछ ऐसा कर हमारा हाफिजा कमजोर हो जाए, जबानी याद है तेरे सितम की दास्तां हमको।

सोहेल उस्मानी ने कहा,जब किसी का मकान चलता है, दूर तक आसमान जलता है।

अबू शहमा ने सुनाया जहां न कदर हो उर्दू जुबान की शहमा, वहां पे अपनी अपनी ग़ज़ल हम सुना नहीं सकते।

           देर रात तक मुशायरे का लोग आनंद उठाते रहे कार्यक्रम की शुरुआत हाफिज कारी सलमान अजहर ने कुरान की तिलावत से किया जब की नाते पाक का नजराना ओवैस चंदौली ने पेश की,अंत में मुशायरे की अध्यक्षता कर रहे अशअर रामनगरी ने समापन का ऐलान किया ,मुशायरे में काफी संख्या में लोग मौजूद थे।

ललित डाक टिकट पर अपनी फोटो देख हुए प्रफुल्लित


डाक विभाग ने ओलंपियन ललित को किया सम्मानित

  •  पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने ओलंपियन ललित उपाध्याय को किया सम्मानित
  • डाक टिकट पर अपनी ही फोटो देखकर ललित हुए प्रफुल्लित
  • कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के थे ललित सदस्य

वाराणसी 7 सितंबर(दिल इंडिया लाइव)। भारतीय डाक विभाग द्वारा टोक्यो ओलंपिक-2020 में कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम के सदस्य ललित उपाध्याय का विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर, वाराणसी में वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव की अध्यक्षता में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मान किया गया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने ओलंपियन उपाध्याय को शाल ओढ़ाकर और उनके चित्र वाली माई स्टैम्प भेंटकर सम्मानित किया। ललित की माँ रीता उपाध्याय, पिता श्री सतीश उपाध्याय और उनके कोच श्री परमानंद मिश्र को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। डाक टिकट पर अपना चित्र देखकर ललित और उनके परिजन बेहद प्रफुल्लित नजर आये और डाक विभाग का शुक्रिया अदा किया।

गौरतलब है कि, ललित उपाध्याय टोक्यो जाने वाली हॉकी ओलम्पिक टीम में उत्तर प्रदेश से भी एकमात्र खिलाड़ी रहे। कार्यक्रम का संयोजन वाराणसी मंडल के प्रवर डाक अधीक्षक श्री राजन और सीनियर पोस्टमास्टर श्री चंद्रशेखर सिंह बरुआ द्वारा किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल श्री यादव ने कहा कि वाराणसी की धरा साहित्य, कला, संस्कृति, शिक्षा, अध्यात्म के लिए ही नहीं जानी जाती बल्कि खेल के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धियों के लिए जानी जाती है। टोक्यो ओलंपिक में तीन बार की चैम्पियन जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रूप में ललित उपाध्याय ने वाराणसी ही नहीं, अपितु पूरे देश का मान बढ़ाया है। उनकी इस उपलब्धि से युवाओं को प्रेरणा मिलेगी और वे नए आयाम रचने को तत्पर होंगे। श्री यादव ने कहा कि, यह भी एक खूबसूरत संयोग है कि, मास्को ओलम्पिक (1980) में भारतीय हॉकी टीम को गोल्ड मेडल जिताने में वाराणसी के ही मो. शाहिद ने अहम भूमिका निभाई थी और अब टोक्यो ओलम्पिक में भी वाराणसी के ही ललित उपाध्याय ने हॉकी टीम को कांस्य मेडल जिताने में प्रमुख भूमिका निभाई। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन की बदौलत ही ओलम्पिक में 41 वर्ष बाद भारत ने हॉकी में पदक प्राप्त किया। पद्मश्री मो. शाहिद, विवेक सिंह व राहुल सिंह के बाद ललित उपाध्याय वाराणसी के चौथे ऐसे हॉकी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व कर सभी को गौरवान्वित किया।

ओलंपियन श्री ललित उपाध्याय ने अपने सम्मान से अभिभूत होकर सर्वप्रथम डाक विभाग का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि, दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है। 41 वर्षों बाद भारतीय हॉकी टीम का ओलम्पिक में पदक जीतना बेहद आनंददायक और उत्साहवर्धक है। जिस तरह से वाराणसी और उत्तर प्रदेश में हॉकी का विकास हो रहा है, निश्चय ही अगले कुछ दिनों में यहाँ से और अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी निकलेंगे। बनारस के लोगों ने हमेशा मुझे बहुत प्यार और सम्मान दिया, यह पवित्र धरती मुझे सदैव कुछ नया करने की प्रेरणा देती है। उन्होंने युवाओं से कहा कि, सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता। युवा खिलाड़ी बस अपने खेल, शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर अच्छे से ध्यान दें, तभी तरक्की के रास्ते भी खुलेंगे।

भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के पूर्व चीफ कोच और ललित उपाध्याय के गुरु श्री परमानंद मिश्र ने कहा कि ललित आरम्भ से ही मेधावी और ऊर्जावान खिलाड़ी रहे हैं और ओलम्पिक की इस जीत के बाद उनसे और भी अपेक्षाएँ बढ़ गई हैं। पिता श्री सतीश उपाध्याय ने कहा कि, अच्छा लगता है जब लोग मुझे मेरे बेटे के नाम से पहचानते हैं। अब तो हम लोगों का सपना यही है कि अगली बार हॉकी में गोल्ड लेकर आएं।  

डाक विभाग के विभिन्न यूनियन पदाधिकारियों द्वारा भी श्री ललित उपाध्याय का सम्मान किया गया।  इनमें  जगदीश चंद्र शादेजा, सदस्य भारतीय डाक हॉकी टीम,  सुशांत कुमार झा,  नवीन कुमार श्रीवास्तव,  पंकज कुमार,  शत्रुघ्न नारायण सिंह, आदि शामिल हैं ।


इस अवसर पर वाराणसी पूर्वी मंडल के प्रवर डाकघर अधीक्षक राजन, सीनियर पोस्टमास्टर  चंद्र शेखर सिंह बरुआ, वाराणसी पश्चिमी मंडल के डाकघर अधीक्षक कृष्ण चंद्र, सहायक निदेशक राम मिलन, संजय कुमार वर्मा, सहायक डाक अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव, सुरेश चंद्र, डाक निरीक्षक बलबीर सिंह, नरेश बारा, श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, सी. अनिथा, राजेंद्र यादव, राहुल कुमार, एसपी गुप्ता सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

सोमवार, 6 सितंबर 2021

90 शिक्षकों का सम्मान, दिया गया प्रमाण पत्र और पुरस्कार


वाराणसी 6 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव)। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान सारनाथ में शिक्षक दिवस के अवसर पर 'शिक्षण उत्कृष्टता सम्मान' समारोह का भव्य आयोजन किया गया। इसके लिए वाराणसी जनपद के सभी विकास खण्डों व नगर क्षेत्र के परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में हिन्दी, गणित, अंग्रेजी, विज्ञान और सामाजिक अध्ययन विषय में उत्कृष्ट शिक्षण करने वाले कुल 90 शिक्षकों को सम्मानित करते हुए प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इन शिक्षकों का चयन संबंधित विकास खण्ड और नगर क्षेत्र के एआरपी के माध्यम से पूरी पारदर्शिता बरतते हुए किया गया। सम्मानित होने वाले शिक्षकों द्वारा तीन-तीन मिनट का कक्षा-शिक्षण करते हुए वीडियो जमा करने के लिए निर्देशित किया गया था। इसके साथ ही साथ जिले के विभिन्न विकास खण्डों व नगर क्षेत्र में अकादमिक सहयोग प्रदान करने वाले 43 एआरपी व 3 एसआरजी राजीव सिंह, डॉ. कुंवर भगत सिंह और अखिलेश्वर गुप्त समेत दो डायट प्रवक्ताओं डॉ. हर गोविन्द पुरी और नरसिंह मौर्य को भी सम्मानित किया गया। इस सम्मान समारोह में शैक्षणिक गतिविधियों में विशेष अभिरुचि प्रदर्शित करने के लिए चिरईगाँव विकास खंड के खंड शिक्षा अधिकारी राम टहल तथा पिण्डरा विकास खण्ड के खण्ड शिक्षा अधिकारी मंगरू राम को भी सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर सम्मानित होने वाले शिक्षकों का उत्साहवर्धन करते हुए डायट प्राचार्य उमेश कुमार शुक्ल ने कहा कि, "शिक्षक की भूमिका समाज में शैक्षिक रूप से गुणात्मक बदलाव लाने की है। हम सहयोग करने की संस्कृति विकसित करें और अपने विद्यालय को बेहतर बनाने के साथ-साथ आसपास के 10 अन्य विद्यालयों को भी बेहतर बनाने के लिए शिक्षकों के शिक्षण कौशल उन्नयन में सहयोग करें। ऐसे प्रयास के माध्यम से ही पूरे वाराणसी जनपद को प्रेरक जनपद बनाने में मदद मिलेगी।" इस अवसर पर विभिन्न शिक्षकों ने शैक्षिक गुणवत्ता के लिए अभिभावकों का सहयोग लेने, प्रधानाध्यापक द्वारा सकारात्मक नेतृत्व करने, सहायक अध्यापकों को काम करने के लिए प्रेरित करने वाला माहौल उपलब्ध कराने तथा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर प्रयास करने और अकादमिक सुझावों के क्रियान्वयन पर जोर दिया।



काउंसलिंग से विवादों में लग रहा विराम, ‘फीडबैक’ का नुस्खा आ रहा काम

टूटने से बचा 168 परिवार, खत्म हुई रिश्तों में आई दरार


बिखरते रिश्तों को मजबूत बंधन दे रहा महिला सहायता प्रकोष्ठ 

वाराणसी 6 सितम्बर (दिल इंडिया लाइव) । बदलते सामाजिक ताने-बाने ने परिवार की मजबूत डोर पर भी चोट की है | मामूली विवाद में रिश्तों के टूटने का सिलसिला तेजी से बढ़ा है। ऐसे में शक, गलतफहमियां और संवादहीनता रिश्तों में आयी दरार को और भी बढ़ा देते हैं । ऐसे में परिवार के टूटने तक की नौबत आ पहुंचती है। ऐसे ही परिवारों को फिर से आमने-सामने बैठाकर उनकी गलतफहमियों को दूरकर फिर से रिश्ते की डोर को मजबूती देने में जुटा है महिला सहायता  प्रकोष्ठ |  कुछ इसी तरह के 168 परिवारों को इस वर्ष टूटने से बचाया है ‘महिला सहायता प्रकोष्ठ’ ने। वह भी महज कांउसलिंग के जरिए। इन सभी के दाम्पत्य जीवन में हुए विवादों में नौबत तलाक तक आ पहुंची थी। वह किसी भी सूरत में एक-दूसरे के साथ रहने को तैयार नहीं थे। 

दाम्पत्य जीवन में  विवादों से त्रस्त अधिकतर  महिलाएं  शिकायत लेकर महिला सहायता प्रकोष्ठ पहुंचती हैं । शिवपुर की रहने वाली एक महिला की शिकायत  थी कि उसके पति ने  मारपीट कर घर से निकाल दिया है और वह अब उसे रखने को भी तैयार नहीं है। दोनों पक्षों को जब आमने-सामने बैठाया गया तो पता चला कि मामूली विवाद में नाराज होकर वह महिला दिल्ली में रहने वाली  सहेली के यहां चली गयी थी। पति गुमशुदगी दर्ज करा कर उसे खोजने में परेशान था। पति का कहना था कि वह दिल्ली क्यों गयी जबकि उसका मायका पड़ोस में ही था। नाराजगी ही थी तो  मायके भी जा सकती थी। दोनों पक्षों को समझा कर विवाद खत्म करा दिया गया। महिला अब अपने ससुराल में रह रही है और उसका परिवार टूटने से बच गया। गायघाट की रहने वाली एक महिला ने प्रकोष्ठ में शिकायत की थी कि उसके पति का किसी से  प्रेम सम्बन्ध है जिसके कारण वह उसे प्रताड़ित करते हैं । जब दूसरे पक्ष की बात भी सुनी गयी तो पता चला कि  विवाद की जड़ महिला का बार - बार मायके जाना है। समझाने पर पति-पत्नी मिलजुलकर रहने को तैयार हो गये। रामकटोरा की रहने वाली एक महिला  ने आरोप लगाया कि उसके पति घर का खर्च नहीं देते। पूरा पैसा नशे  में उड़ा देते हैं । प्रकोष्ठ ने महिला के पति को बुलाया और तय कराया कि वेतन का एक हिस्सा घर के खर्च के लिए पत्नी को देगा। दोनों पक्षों को समझौता कराकर उन्हें घर भेज दिया।

 महिला सहायता प्रकोष्ठ की प्रभारी  नीलम सिंह* बताती हैं कि अमूमन हर रोज ही महिलाएं पारिवारिक विवादों को लेकर आती हैं। इनमें कुछ विवाद तो सीधे पति-पत्नी के बीच के होते हैं  जबकि अधिकतर  परिवार वालों द्वारा लगाये गये आरोप-प्रत्यारोप के चलते विकराल रूप ले चुके होते है।  कुछ मामले शक या गलतफहमियों के चलते भी इस कदर बिगड़ चुके होते हैं  कि परिवार बिखरने की स्थिति में होता है। नीलम सिंह बताती हैं कि शिकायत मिलने के बाद हमारा पहला प्रयास होता है कि मामले का निस्तारण आपसी सहमति से हो जाए। इसके लिए हम दोनों पक्षों को एक साथ बैठाते हैं । दोनों पक्षों की बातों को सुनने के बाद उनकी समस्या के समाधान का रास्ता उन्हें सुझाया जाता है। कांउसलिंग का यह नतीजा होता है कि अधिकतर  मामलों में दोनों पक्ष सुलह-समझौते के लिए राजी हो जाते हैं  और परिवार टूटने  से बच जाता है। जब समझौते की सभी कोशिशें नाकाम हो जाती हैं  तभी हम ऐसे मामलों में मुकदमा दर्ज कराते हैं।

 अब तक 633 शिकायतें

महिला सहायता प्रकोष्ठ में इस वर्ष अब तक कुल 633 शिकायतें प्राप्त हुई। इनमें 237 मामले पहले से ही न्यायालय में विचाराधीन थे। 168 मामलों को सुलह-समझौते से सुलझा लिया गया जबकि दोनों पक्षों के राजी न होने पर 39 मामलों में मुकदमा दर्ज कराया गया। 189 ऐसे भी मामले रहे जिसमें शिकायतकर्ता शिकायत करने के बाद दोबारा नहीं आयी अथवा उसने कार्रवार्इ न करने की इच्छा जतायी।

 संरक्षक  की भी भूमिका

महिला सहायता प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी केवल समझौता कराने तक ही सीमित नहीं है। वह समझौता करने वाली महिला के लिए ‘गार्जियन’ की भूमिका भी निभा रहा। इसके लिए प्रकोष्ठ ‘फीडबैक’ का भी नुस्खा  आजमा रहा है । महिला सहायता प्रकोष्ठ की प्रभारी नीलम सिंह बताती हैं  कि समझौते के बाद प्रकोष्ठ के लोग ऐसे सम्बन्धित परिवारों का फीडबैक भी लेते रहते हैं । शिकायत करने वाली महिला को भविष्य में कोई दिक्कत न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है।



गुटखा व्यवसायी के घर पहुंचे विधायक नीलकंठ तिवारी

Varanasi (dil India live)। प्रतिष्ठित गुटखा व्यापारी बबलू राठौर का विगत दो दिनों पूर्व आत्महत्या के चलते निधन हो गया था। उनके आवास पर शोक सं...