रविवार, 21 मार्च 2021

शहनाई से उस्ताद नहीं, उस्ताद से शहनाई

‘भारत रत्न’ बिस्मिल्लाह खां का क्या कहना



वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मिली जुली संस्कृति का मुल्क हिंदुस्तान अपने भीतर तमाम खूबिया समेटे हुए है, और इस पाक सरज़मी पर तमाम ऐसी हस्तियो ने जन्म लिया जिस पर समूची दुनिया नाज़ करती है, इसी फेहरिस्त में आते है शहनाईवादक ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उनके जैसी शख्सियतों से ही देश कि मिली-जुली संस्कृति दुनिया मेंं जानी जाती है, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अपनी सारी उम्र संगीत को ही अपना सबकुुुुछ माना, वो ताउम्र जात-पात को नहीं संगीत के ही रियाज में लगे रहे उन्हे नाज़ था कि वो बनारस में रहते है जहाँ गंगा बहती है, आज उस्ताद को दुनिया से गये अर्सा हो गया मगर वो आज भी देश-दुनिया में वैसे ही जाने जाते है जैसे पहले जाने जाते थे।, यह कहा जाये कि शहनाई से उस्ताद नहीं, उस्ताद से शहनाई जानी जाती थी, जानी जाती हैं तो गलत नहीं होगा।
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़े गए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है, क्योंकि मुल्क का बच्चा-बच्चा उनके नाम, शोहरत और उनकी आजीवन साधना से परिचित है। संगीत के क्षेत्र में उनकी साधना के कायलों की तादाद हिन्दुस्तान ही नही विश्व भर मेें है। जिसका संगीत से कोई सरोकार नही है वो भी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान कि शहनाई की तान सुन झूम उठता था। वो खुशी के साज पर गम का तराना बजाते थे, बिस्मिल्लाह खां जब मोहर्रम में अपनी शहनाई से आंसुओ का नज़राना पेश करते थे तो सभी कि आंखो में आंसु आ जाता था। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बिहार में मुस्लिम परिवार में पैैैैदा हुए। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बहुत छोटी उम्र में ही अपने पिता पैगम्बर बख्श खान के साथ बनारस आकर बस गए थे, जहां उन्होंने अपने मामा अली बख्श ‘विलायत’ से शहनाई बजाना सीखा, जो काशी के बाबा विश्वनाथ मन्दिर में स्थायी रूप से शहनाई-वादन किया करते थे। अपने मामा के इंतकाल के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने भी बरसों बाबा विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाई।
पीएम नेहरू के कहने पर बजाई थी शहनाई
15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लाल किला पर तिरंगा फहराने के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने देशवासियों को बधाई देने के लिए लाल किले से शहनाई बजाई। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने पीएम जवाहर लाल नेहरू के कहने पर शहनाई बजाई थी। 1997 में आजादी की 50 वीं वर्षगांठ पर भारत सरकार के आमंत्रण पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने दूसरी बार लाल किले के दीवाने-आम से शहनाई बजाई। यह भी एक मिसाल है कि 1992 में ईरान के तेहरान में एक बड़ा ऑडिटोरियम बनाया गया, जिसका नाम उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम पर रखा गया, ‘तालार मौसीकी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान’ उन्होंने कन्नड़ फिल्म में साउथ के सुपरस्टार राजकुमार कि फिल्म ‘शादी अपन्ना’ के लिए शहनाई बजाई थी। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर थी। ऐसे ही उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने सत्यजीत रे की फिल्म ‘जलसाघर’ में नजर आए थे और 1959 की फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी उस्ताद ने ही शहनाई बजाई थी और ‘रॉकस्टार’ फिल्म में भी उनकी शहनाई बजी थी। भारत के पहले गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 1950) पर उन्होंने लाल किले से राग कैफी की प्रस्तुति दी थी। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का बचपन का नाम कमरूद्दीन था लेकिन वो  बिस्मिल्लाह खान के नाम से मशहूर हुुुए।

बार-बार चुनाव से जनहित पर प्रभाव- भूपेंद्र यादव

वेबिनार में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र के विचार

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) भारतीय लोकतंत्र का उद्देश्य गुड गवर्नेंस है ना कि सिर्फ सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करना है। बार बार चुनाव सत्ता में भागीदारी के लिए ही रह गयी जिससे सबसे ज्यादा जनहित प्रभावित होता है। 


उक्त बातें राज्यसभा सांसद एवं भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव ने रविवार को बौद्धिक संस्था पॉलिसी रुट रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'एक राष्ट्र एक चुनाव: संभवानाएं एवं चुनौतियां' विषय पर आयोजित वेबिनार में बतौर मुख्य वक्ता कही। भूपेंद्र यादव ने कहा कि राजनीति में विचारधारा आधारित चुनाव का लोप होता जा रहा है,यदि हमें वास्तव में विचारधारा आधारित चुनाव व्यवस्था चाहिए तो एक साथ चुनाव कराने की पहल करनी होगी।

श्री यादव ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव की व्यवहारिकता को लेकर हमेशा सवाल खड़ा किया जाता है लेकिन 1950 से 1960 तक के दशक में लोकसभा के साथ साथ राज्यसभा के चुनाव भी साथ मे ही होते रहे। उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव को लेकर क्षेत्रीय दलों में इस बात का भ्रम है कि उनका राजनीतिक नुकसान होगा, जबकि ऐसा नही है। उड़ीसा, तेलंगाना जैसे राज्य इसके प्रत्यक्ष उदाहरण है जहाँ लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ मे हुए लेकिन चुनाव परिणाम ने लोगो की इस धारणा को भी बदल दिया है। अंत मे उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव के लिए सभी राजनीतिक दलों को एक साथ आना होगा क्योंकि ये जनहित के विषय है ना कि पार्टी हित का। बार बार चुनाव आचार संहिता से जनकल्याणकारी कार्य ही प्रभावित होते है और जनता को इसका खामियाजा उठाना पड़ता है, ऐसे में देश की जनता को भी इसके लिए एकजुट होने की आवश्यकता है। 

इससे पूर्व पॉलिसी रुट के संस्थापक संदीप चौरसिया ने विषय स्थापना एवं अतिथि का स्वागत किया। संचालन प्रताप बहादुर सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन विद्यासागर ने दिया। तकनीकी सहयोग सिद्धार्थ उपाध्याय एवं सुमित ने किया।

शनिवार, 20 मार्च 2021

कैश टू अकाउंट सुविधा की डाकघर में शुरुआत

डाकघर के ज़रिये घर बैठे बैंक खाते में भेजें नकद राशि 

-डाक विभाग ने आरम्भ किया सिर्फ मोबाइल नम्बर से पैसे भेजने की सुविधा

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। कोरोना वैश्विक महामारी के बीच डाक विभाग ने नागरिकों के लिए एक और अनूठी शुरुआत की है। घर बैठे कैश जमा करने की सुविधा के बारे में शायद ही कभी आपने सोचा होगा। लेकिन अब ये सच होने वाला है। अब किसी भी बैंक खाते में कैश जमा करने की सुविधा डाक विभाग ने देनी शुरू कर दी है। डाकिया के अतिरिक्त  डाकघरों के काउंटर पर पहुँच कर भी कैश जमा कराया जा सकता है। उक्त जानकारी वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने दी। डाकिया आपके घर पहुँचकर मोबाइल के माध्यम से कुछ प्रकिया पूर्ण करायेगा और कैश डाकिया के हाथ में पहुंचते ही आपके द्वारा बताये गए खाते में क्रेडिट हो जायेगा। इसके लिए नकद भेजने वाले के पास बैंक एकाउंट होना जरूरी नहीं है, सिर्फ मोबाइल नम्बर होना अनिवार्य है।


पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, डाक विभाग द्वारा इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम द्वारा घर बैठे किसी भी बैंक खाते से नकद निकालने की सुविधा पहले से ही दी जा रही है, लेकिन अब घर बैठे कैश जमा करने की सुविधा भी डाक विभाग ने आरम्भ कर दिया है। इस "डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर" सेवा के तहत ग्राहक को प्राप्तकर्ता के खाते का नंबर, आईएफएससी कोड व अपना मोबाइल नंबर बताकर कैश देना होगा। डाकिया अपने मोबाइल से तुंरत बताये गये खाते में रुपये ट्रांसफर करेगा तो ग्राहक के मोबाइल पर एक ओटीपी आयेगा। जिसे डाकिया से शेयर करना होगा। ओटीपी डालते ही खाते में बैलेंस क्रेडिट हो जायेगा और ग्राहक के मोबाइल पर एक और कंफर्म मैसेज पहुंच जायेगा।

महीने में अधिकतम एक लाख जमा


पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर सेवा के तहत घर बैठे रुपये जमा करने पर कुछ शर्तें लागू हैं। जिसके तहत  पैन कार्डधारक एक बार में ₹25,000, एक दिन में ₹ 49,999 और एक माह में अधिकतम एक लाख रुपये किसी भी बैंक खाते में नकद जमा करा सकते हैं। वहीं बिना पैनकार्ड वाले व्यक्ति द्वारा एक बार में ₹ 5,000 रू., एक दिन में ₹ 25,000 और एक माह  में भी अधिकतम ₹ 25,000 घर बैठे किसी भी बैंक खाते में नकद जमा करा  सकते हैं। इस सेवा के तहत न्यूनतम 100  रुपया जमा कराया जा सकता है।

ग्राहक से लिया जायेगा न्यूनतम शुल्क

डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर सेवा का लाभ लेने के लिये नाम मात्र का शुल्क रखा गया है, जो न्यूनतम 10 ₹ या जमा की गयी धनराशि का एक फीसदी जो भी अधिक हो वह लिया जायेगा। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, इस सुविधा से लोगों को बैंकों में लाइन में नहीं लगना पड़ेगा और किसी भी व्यक्ति के खाते में धन जमा करवाना संभव हो पायेगा। महिलाओं, वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग जनों, दुकानदार, प्रवासी श्रमिकों इत्यादि को इससे काफी सहूलियत मिलेगी। गांवों और दूरदराज के क्षेत्रों तक डाक विभाग के विस्तृत नेटवर्क के चलते यह सुविधा हमेशा लोगों के लिए फायदेमंद रहेगी।कोरोना वैश्विक महामारी के बीच अब  घर बैठे अपने परिवार के सदस्यों, मित्रों और शहरों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए नकद पैसा भेजना भी बहुत आसान व सुरक्षित हो जाएगा।

लम्बे दौर की मांग अंत में रेलवे ने माना

कैंट रेलवे स्टेशन पर पुनः उर्दू साइन बोर्ड लगाया गया

उर्दू प्रेमियों में दिखी खुशी की लहर


वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)।विगत 2 वर्ष पूर्व वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन की मुख्य बाहरी दीवार की मरम्मत के समय हिंदी अंग्रेजी और उर्दू के साइन बोर्ड को हटा दिया गया किन्तु मरम्मत कार्य पूर्ण होने पर केवल अंग्रेज़ी और हिंदी साइन बोर्ड लगाया जाना तथा प्रदेश की दूसरी राजकीय भाषा उर्दू की जान बूझकर उपेक्षा करना उर्दू प्रेमियों को खल रहा था। इसके परिणाम स्वरूप शहर की विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाएं लंबे समय से उर्दू में साइन बोर्ड को दोबारा स्थापित किए जाने के लिए संघर्षशील थी। रेलवे के उच्च अधिकारियों को इस संबंध में कई  बार मांग पत्र सौंपा गया मगर उनके द्वारा कोई सकारात्मक पहल ना होने से लोगों की यह बेचैनी आंदोलन का रूप ले रही थी। मगर सुखद यह है कि अन्ततः रेलवे ने इस मांग का संज्ञान लिया और उर्दू साइन बोर्ड स्थापित कर दिया गया।

व्याकरण की है गलती

इस संदर्भ में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थाओं की एक समीक्षा बैठक हुई जिसमें रेलवे विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया गया तथा यह भी मांग की गई कि अभी उर्दू के इस साइन बोर्ड में व्याकरण की गलती(त्रुटि) है जिसको तत्काल दुरुस्त कराया जाए तथा ट्रेनों को पूर्ण रूप से चलाया जाए ताकि जन सामान्य के सुचारू आवागमन को सुनिश्चित किया जा सके। मीटिंग में सामाजिक कार्यकर्ता मनीष शर्मा, विशाल मौर्य, हाजी नासिर जमाल, सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक़, जमीअतुल अंसार के महासचिव इशरत उस्मानी,  मरियम फाउंडेशन के महासचिव मोहम्मद शाहिद अंसारी, फन्ने सिपह गिरी एसोसिएशन के असलम खलीफा,उर्दू बी टी सी टीचर्स एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष महबूब आलम, इकबाल कौसर बोदा,एच हसन नन्हे, मुस्लिम जावेद अख्तर, शमीम रियाज़, ताबिश अली, सुलेमान अख्तर आदि उपस्थित थे। 

महाउपवास काल में हो रही यीशु की हर दिन आराधना


ईसाई रोज़े का आज है 28 वां दिन

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव) इन दिनों हिन्दू जहां होली की तैयारियों में जुटे हुए है, तो मुसिलम शबे बरात को लेकर घरों की साफ सफाई और इबादत की तैयारी कर रहे हैं। इससे इतर मसीही समुदाय का महाउपवास काल चल रहा है। ईसाई रोज़े का आज 28 वां दिन हैं। महाउपवास काल में यीशु मसीह की हर दिन आराधना मसीही कर रहे हैं। चर्च ऑफ बनारस के पादरी बेन जॉन बताते है कि यह महीना, यह महा उपवास काल बहुत ही खास माना जाता है। 28 मार्च से प्रभु यीशु का दुखभोग सप्ताह शुरु होगा। दरअसल पाम संडे को ईसा मसीह का नगर में प्रवेश हुआ था। इस दौरान प्रभु यीशु का नगर की जनता ने राजाओं की तरह खजूर की पत्ती हाथों में लेकर स्वागत किया था। उसी की याद में पाम संडे या खजूर इतवार मनाया जाता हैं। 

फिर जी उठेंगे प्रभु यीशु

पादरी आदित्य कुमार बताते हैं कि प्रभु यीशु को फ्राइ डे के दिन तमाम कष्ट देने के बाद सूली पर लटका दिया गया था मगर इतवार को ही पूरी दुनिया के सामने चमत्कार हुआ, कब्र का पत्थर हट गया और प्रभु यीशु पुन: जीवित हो उठे। पादरी सैम जोशुआ सिंह कहते हैं कि प्रभु यीशु ने दिखा दिया दुनिया को कि महान और पुण्य आत्मा कभी मरती नहीं वो अपनी मर्जी से आती हैं और लोगों को सही राह दिखा कर अपी मर्जी से जाती है। वो कहते हैं कि मसीही विश्वास करते हैं कि वो यीशु फिर आयेंगे।

बुधवार, 17 मार्च 2021

वसीम रिज़वी की उठी गिरफ्तारी कि मांग

कुरान से आयत तो दूर बिन्दू तक नहीं हटायी जा सकती

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव) महानगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष फसाहत हुसैन बाबू, उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन ने संयुक्त विज्ञप्ति में शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी द्वारा मुसलमानों की सबसे पवित्र कलाम पाक के आयतों को हटाने की कोर्ट में दाखिल याचिका की निंदा करते हुए कहा कि वसीम रिजवी के इस तरह के कृत्य से पूरे मुस्लिम समाज को आघात लगा है। उक्त नेताओं ने कहा कि कुरान की आयत तो दूर एक बिंदु भी नहीं हटाया जा सकता है, कलाम पाक की हिफ़ाज़त की जिम्मेदारी खुद अल्लाह ने ले रखी है। वसीम रिजवी के धार्मिक उन्माद फैलाना चाहते हैं,वसीम रिजवी आए दिन कोई-न-कोई विवादित बयान देकर धार्मिक उन्माद फैलाने की कोशश करते  रहते हैं और उनके विरुद्ध कोई भी कारवाई नहीं हो रही है। उच्च नेताओ ने  मुस्लिम समुदाय के सभी लोगो से आपसी भाई चारा मिल्लत सौहार्द बनाए रखने की अपील की और कहा कि कलाम पाक  की हिफ़ाज़त  अल्लाह करेगा कलाम पाक की आयत तो नहीं बदली जा सकती लेकिन उनको मिटाने वाले खुद मिट जाएंगे।

मंगलवार, 16 मार्च 2021

भोपाल और इंदौर में नाइट कर्फ्यू

बढ़ रहे कोरोना के चलते मुख्यमंत्री ने लिया फैसला

भोपाल(दिल इंडिया लाइव)। कोरोना के बढ़ रहे केस के चलते भोपाल और इंदौर में नाइट कर्फ्यू लगाया जाएगा। बता दें, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया है कि भोपाल और इंदौर में नाईट लगाया जाएगा।नाईट कर्फ्यू का आदेश 17 मार्च से लागू होगा।बहरहाल, यहां कोरोना के केस अधिक आने लगे हैं इसलिए यह कदम मध्यप्रदेश सरकार को उठाना पड़ रहा है।

सीएम ने आदेश दिए हैं कि रात 8 बजे के बाद मार्केट बंद कर दिए जाएंगे। कोरोना से बचाव को लेकर हुई इस बैठक में निर्णय लिया गया है कि प्रदेश के 8 शहरों जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, रतलाम, छिंदवाड़ा, बुरहानपुर, बैतूल, खरगोन में रात्रि 10 बजे के बाद बाजार बंद रहेगा। इन शहरों में कर्फ्यू जैसी स्थिति नहीं रहेगी, लेकिन बाजार अनिवार्य रूप से बंद रहेगा। महाराष्ट्र से लगे जिले खंडवा, खरगोन, बालाघाट, बुरहानपुर आदि की व्यापारिक गतिविधियों पर खास निगाह रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं। महाराष्ट्र में कोरोना का प्रकोप एमपी की तुलना में ज्यादा है, इसलिए ऐसी गंभीरता बरती जा रही है। आशंका है कि आने-जाने वालों के जरिए कोरोना का संक्रमण बढ़ सकता है। 

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...