बुधवार, 20 मार्च 2024

कल मुकम्मल होगा रमजान का पहला अशरा


रहमत का अशरा पूरा होते शुरू होगा मगफिरत का दूसरा अशरा


Varanasi (dil India live)। मुकद्दस रमज़ान का पहला अशरा रहमत का कल मुकम्मल हो जाएगा। रमजान का रहमत का सफर पूरा होने के साथ ही इस माहे मुबारक का दूसरा अशरा मगफिरत शुरू हो जाएगा।

दरअसल रब ने रमजान को तीन अशरो में बांटा है। पहला अशरा रहमत का, दूसरा आशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है। अशरा दस दिन को कहते हैं। कहा जाता है कि रहमत के पहले दस दिन रोज़ादारो पर रब अपनी रहमत बरसाता है। फिर दस दिन मगफिरत का होता है जिसमें अल्लाह रोज़ेदारों की गुनाह माफ कर देता है यानी मगफिरत फरमाता है। इसके बाद रमज़ान के आखिरी अशरे में अल्लाह रोज़ेदारों को जहन्नुम से आज़ाद कर देता है।

यानी जो रमजान का पूरा रोजा रखेगा, तीसो दिन रोजा रखने में कामयाब रहेगा। उसे जहन्नम की आग नहीं खा पाएगी और उसे जन्नत में दाखिल किया जाएगा। रोजेदारों के लिए जन्नत में एक खास दरवाजा बाबे रययान होगा, जिसमें से केवल रोजेदार ही जन्नत में दाखिल होंगे। रमजान के तीन अशरो को जिसने भी कामयाबी से पूरा किया, जैसा कि रब चाहता है तो वो रोज़ेदार जन्नत का हकदार होगा। रब उसे जहन्नुम से आजाद कर देगा।

होली की मुस्कान में महिलाओं ने बांटी खुशियां



Varanasi (dil India live). अखिल भारतीय वैश्य महिला महासम्मेलन एवं स्माइल मुनिया संस्था के तत्वाधान में होली की मुस्कान कार्यक्रम हर्षोल्लास के साथ मौर्या भवन में फूलों की होली खेल सम्पन्न हुआ। संस्थापिका एवं अध्यक्ष ने सभी को रंगों के पर्व की बधाई देते हुए कहा कि फागुन में आपसी प्रेम सहयोग से हम सब जरूरतमंद बच्चों के साथ खुशियां बाटे तो पर्व का आनंद दुगना हो जाता। होली गीत जयंती, प्रीति, निशा, रेखा, इरा ने प्रस्तुत किए। उषा, ममता ने नृत्य प्रस्तुत किया। रुचि, निशा अग्रवाल ने होली पर आधारित मजेदार खेल खिलाए। इस दौरान अस्सी क्षेत्र के 15 बच्चों को त्यौहार के उपलक्ष् में नए वस्त्र, मिठाई ,रंग, टोपी इत्यादि वितरित कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाने का प्रयास किया गया। नीलू,ममता एवं विनीता ने संचालन एवं धन्यवाद सचिव सुशीला जैसवाल ने किया।

आजादी के संघर्ष में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही है : जागृति राही


तीन राज्यों के कार्यकर्ताओं को सामाजिक कार्य का दिया गया प्रशिक्षण 

उत्प्रेरक जैसी होनी चाहिए सामाजिक कार्यकर्ता की भूमिका : वल्लभाचार्य पाण्डेय



Varanasi (dil India live)। सामाजिक संस्था आशा ट्रस्ट के तत्वावधान में भंदहा कला (कैथी) ग्राम स्थित संस्था के प्रशिक्षण केंद्र पर आयोजित युवाओं का तीन दिवसीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण शिविर मंगलवार को सम्पन्न हुआ। 17 से 19 मार्च तक आयोजित शिविर में उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश से आये कुल 30 प्रतिभागी सम्मिलित हुए। शिविर में प्रशिक्षिका के रूप में बोलते हुए सामाजिक कार्यकर्त्री जागृति राही ने कहा कि एक सामाजिक कार्यकर्ता को जाति, धर्म, संप्रदाय, लिंग, आर्थिक स्थिति जैसे अवरोधों को त्यागते हुए समाज के मुद्दों पर अपनी समझ बनानी चाहिए उसके बाद क्रमशः सामूहिक कोशिश से समस्याओं का समाधान खोजने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने आजादी के संघर्ष से लेकर संविधान निर्माण तक में महिलाओं के योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि आधुनिक भारत के निर्माण में महिलाओं ने बड़ा त्याग किया है।

आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों में बंटे हुए लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, न्याय और सम्मान जैसे मुद्दों पर संगठित करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी भूमिका लेनी होगी जिससे सभी का जीवन खुशहाल हो. एक सामाजिक कार्यकर्ता को एक उत्प्रेरक की भूमिका निभानी चाहिए और लोगों को जागरूक करना चाहिए।

लोक चेतना समिति के सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि आज युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित है उनकी समाज के प्रति कुछ कर्तव्य और जिम्मेदारियां है जिनका निर्वहन करने के लिए उन्हें अपने अधिकारों के साथ साथ कर्तव्यों को भी समझना पड़ेगा। दखल संगठन की डॉ इंदु पांडेय ने महिलाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी के लिए आगे आने को प्रेरित करने का सुझाव दिया और कहा कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने से उन पर होने वाले अत्याचारों में स्वाभाविक रूप से कमी आएगी।

प्रतिभागियों ने शिविर के दौरान चिरईगांव, चोलापुर और आराजीलाइन विकास खंड के कुछ गांवों में भ्रमण करके पंचायती राज द्वारा कराये गये विकास कार्यों का भी अवलोकन किया।

शिविर में सूचना का अधिकार कानून, शिक्षा का अधिकार कानून, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा कानून, आंगन बाड़ी, आशा कार्यकर्त्री, स्वयं सहायता समूह, विद्यालय प्रबंध समिति, भूमि अधिग्रहण कानून, पंचायती राज, असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सरकारी योजनाओं, महिलाओं के अधिकार जैसे मुद्दों पर विशेष रूप से चर्चा की गयी। इस दौरान गंगा किनारे सफाई अभियान भी चलाया गया। प्रशिक्षण शिविर के आयोजन में रोहन, प्रदीप सिंह, अवंतिका, धनञ्जय नीरज, दीन दयाल सिंह आदि मौजूद थे।

मंगलवार, 19 मार्च 2024

सहरी छोड़ने वाले नबी की एक अज़ीम सुन्नत से हो जाते हैं महरूम


Varanasi (dil India live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

     हाफिज मौलाना शफी अहमद

{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}

सोमवार, 18 मार्च 2024

सेंट पॉल चर्च की जमीन पर कब्जे का प्रयास विफल





Varanasi (dil India live). ऐतिहासिक सेंट पॉल चर्च, सिगरा चर्च की खाली जमीन पर कब्जे का प्रयास एक बार फिर विफल हो गया। कुछ वर्ष पूर्व भी यहां कब्जे की कोशिश की गई थी। मसीही समुदाय की एकजुटता के चलते जमीन पर उस समय भी जेसीबी लेकर पहुंचे लोगों का कब्जा नहीं हो सका था। आज एक बार फिर कब्जा करने के लिए बड़ी संख्या में कुछ लोग पहुंचे थे इस पर स्थानीय लोगों का विरोध देखने के बाद धमकी देते हुए सभी चलते बने। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह लोग लखनऊ से आए हुए थे और खाली जमीन पर कब्जे करने की बात कह रहे थे और बोले कि यह जमीन खाली कर दो नहीं तो अगले दिन बड़ी संख्या में हम लोग पहुंचेंगे। इससे पहले उन्होंने चर्च के दरवाजे का ताला तोड़ दिया। लोगों का आरोप है कि वो लोग कभी भी सामने से चर्च कैम्पस में प्रवेश नहीं करते हैं बल्कि पीछे से चर्च कैम्पस में आते हैं। पादरी सैम जोशुआ सिंह व पादरी आदित्य कुमार ने समस्त प्रकरण की रिपोर्ट जिलाधिकारी को आनलाइन सौंपी है। चर्च कम्पाउन्ड के लोगों ने पुलिस द्वारा सहयोग न करने का भी आरोप लगाया है।

रमज़ान जिंदगी जीने का सिखाता है आदाब



Varanasi (dil India live). हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना मुक़द्दस रमज़ान है, ये वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है, अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा। सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे ..आमीन।

डा. साजिद (लेखक इस्लामिक मामलों के जानकार व दंत चिकित्सक हैं)

नवसाधना कला केन्द्र का 25 वाँ दीक्षांत समारोह


राग रागेश्री में मल्लारी संग तिल्लाना की ताल ने किया रोमांचित 

‘नैनन नींद न आवे सजनवा’ से छायी सौंदर्य श्रृंगार की घटा





Varanasi (dil India live)। हृदय उद्भूत संगीत और नृत्य मनुष्य की स्वाभाविक अभिव्यक्ति है। निर्मल कोमल संगीत से ही जीवन में लय आता है। यह कहना है मुख्य अतिथि उदय प्रताप महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. धर्मेंद्र कुमार सिंह का। वह रविवार को शिवपुर-तरना स्थित नवसाधना कला केन्द्र के 25वें दीक्षांत समारोह में कलासाधकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संगीत के कारण ही हमें वास्तविक जीवन का अनुभव मिलता है।  

    विशिष्ट अतिथि मुम्बई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. सुहास पेडनेकर ने कलासाधकों को नृत्य-संगीत के क्षेत्र में निरंतर आगे बढ़ते रहने के कई टिप्स दिए। कहा कि संगीत साधना में गुरु भक्ति और उस पर पूर्ण विश्वास साधक को आगे बढ़ाता है।


अध्यक्षता कर रहे वाराणसी धर्मप्रान्त के धर्माध्यक्ष बिशप यूजिन जोसेफ ने कहा कि कला की साधना कलासाधकों के कला के प्रति रुचि और समर्पण पर निर्भर है। उन्होंने कलासाधकों को संगीत के आध्यात्मिक पक्ष को आत्मसात करने को कहा।

    अतिथियों का स्वागत करते हुए नवसाधना कला केन्द्र के प्राचार्य डॉ. फादर फ्रांसिस डि’सूजा ने कहा कि सच्चा साधक सदैव समर्पित जीवन जीता है। उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी की टॉपर लिस्ट में हर वर्ष नवसाधना के कलासाधक अपना नाम दर्ज कराते हैं। नवसाधना के गुरुजन और कलासाधकों की कड़ी मेहनत इसे संभव बनाती है। यह गुरु-शिष्य परम्परा के लिए गर्व की बात हैै।

कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन एवं शोभायात्रा के साथ वृहदारण्यक उपनिषद के श्लोक ‘दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दनः’ से हुआ। इसे कलासाधक दुर्गा रावत, महिमा, सलीमा, आशीष पीटर, अनुज एवं आशुतोष पाण्डेय ने प्रस्तुत किया। हारमोनियम पर संगत अनिकेत ने और संयोजन प्रो. आशुतोष मिश्र ने किया। दीक्षांत के कलासाधकों ने शिक्षा-दीक्षा को अनवरत जारी रखने और इसे निरंतरता प्रदान करने की शपथ लीं।

शास्त्रीय गायन से किया मुग्ध-

      बीपीए अष्टम सेमेस्टर के कलासाधक सुजाता, पीयूष, लक्ष्मण ने हिन्दुस्तानी संगीत के राग रागेश्री में गायन प्रस्तुत किया।

झपताल में बंदिश ‘गणपति गजाननम् मंगलकारी’ बोलों को खमाज थाट पर आरोह में ऋषभ-पंचम, हीन तथा अवरोह में पंचम वर्ज्य प्रस्तुत कर वाहवाही लूटीं। फिर अद्धा ताल में ‘नैनन नींद न आवे सजनवा’ तथा द्रुत तीन ताल में चतुरंग प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। कलासाधकों ने सौंदर्य श्रृंगार को बखूबी प्रस्तुत कर ढेरों तालियां बटोरीं। तबले पर गुरु अनंग गुप्ता व हारमोनियम पर अनुज ने संगत किया। बंदिश रचना व संगीत संयोजन प्रो. गोविंद वर्मा ने किया।

मल्लारी से तिल्लाना तक थिरके पांव-

      शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम् की प्रस्तुति संगीतमय नादस्वरम् नृत्य ‘मल्लारी’ से हुई। साधकों ने राग शंकरावर्णम, ताल आदि में विद्यालक्ष्मी और लता इडलवत् के नृत्य संयोजन एवं निखिल रामन्दली के संगीत में निबद्ध मल्लारी को प्रस्तुत किया। नृत्यांगनाओं ने नटराज शिव के मंदिर को जाने वाली शोभा यात्रा में पालकी उठाने वालों के द्वारा उत्पन्न शब्द व करतल ध्वनि में शामिल प्रार्थना और पुष्प वर्षा से प्रत्येक आरम्भ का अभिनंदन कर सभी को हर्ष से भर दिया।

अगली कड़ी ‘शब्दम्’ में नृत्यांगनाओं ने राग कम्बोजी से शुरु कर राग मालिका, ताल मिश्र चापू में निबद्ध तुरयुर राजगोपाल शर्मा के संगीत, शणमुगम के गीत, वीपी धन्नजय व प्रियदर्शिनी गोविंद की मूल नृत्य रचना को प्रस्तुत किया। स्कन्दवन भगवान कार्तिकेय के स्वरुप के श्रंगार के विप्रलंभ तथा उत्तान दोनों रुपों, पल्लवी-अनुपल्लवी, वादी-संवादी व आरोह-अवरोह तथा चरणम् की प्रस्तुति ने सबके मन को मोह लिया।

      इसके बाद सभी ने राग धनाश्री, ताल आदि में ‘वर्णनम्’ प्रस्तुत किया। नृत्यांगनाओं ने पल्लवी, अनुपल्लवी, मुत्तई स्वरम्, चित्तई स्वरम्, चरणम् को प्रस्तुत किया। इसमें त्रिकाल जाति और पूर्वांगम और उत्तरांगम को बखूबी प्रस्तुत किया गया। श्रृंगार और वीर रस से भरे इस नृत्य में नृत्यांगनाओं के पदचलन व अंग संचालन ने सौन्दर्य सृजन करते हुए भावपूर्ण आभामय नृत्याभिनय किया। पापनाशन शिवम् के संगीत और अडयार के. लक्ष्मणम् के नृत्य संयोजन के विस्तार में वात्सल्य, करुणा और वीर तथा

शांत रस की प्रमुखता रहीं।

         इसके बाद कलासाधकों ने राग हिण्डोलम्, ताल चतुश्रय एकम् में तिरु के. के. वैद्यनाथन के संगीत एवं रुक्मिणी देवी अरुण्डेल के नृत्य संयोजन में निबद्ध पल्लवी, अनुपल्लवी और चरणम् के साथ ‘तिल्लाना’ प्रस्तुत किया। तमिलनाडु के अम्मन मंदिर, कांची कामाक्षी देवी के मनोकामना पूर्ति और लागों के दुख-ताप को कम करने के भाव को मुद्राओं के माध्यम से प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

      अंत में ‘मंगलम्’ प्रस्तुत करते हुए देवताओं के साथ गुरुजनों और दर्शकों को भावांजलि अर्पित कर नृत्य का समापन हुआ। नृत्यांगनाओं की भाव भंगिमा व पद संचालन व नृत्य क्षमता की सभी ने सराहना की।

     नृत्य संयोजन करते हुए नाट्वंगम् पर प्रो. मीरा माधवन, कर्नाटिक गायन में सुश्री एसआर स्वाति, मृदंगम पर प्रो. राकेश एडविन और वायलिन पर हेमंत कुमार ने संगत किया। साधकों में अजय कुमार धीरज, एलिशा रॉय, अलीशा कुजुर, अमरज्योति, अंकिता रावत, बर्नाडेट, जेनिफर, कुमारी मीरा, मधु, मीरा नाग, प्रिया दुलाल मिंज, शालिनी, शिल्पी, सिमरन, श्वेता शामिल थीं।

नृत्य नाटिका से कर्म का संदेश-

     इसके बाद बीपीए के नृत्य साधकों ने ‘मेरा जीवन सूना सूना, तेरे बिना ए खुदा’ गीत के बोलो पर  भरतनाट्यम नृत्य शैली में नाटिका प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इसमें आधे देह की पीड़ा से दुखी अर्द्धांगरोगी को ठीक करने के दृष्टांत को प्रस्तुत कर भक्ति की धारा बहा दीं। फादर सी.आर. जस्टी के निर्देशन और प्रो. प्रार्थना सिंह के नृत्य निर्देशन में बाइबिल की कथा के दृष्टांत को आराधना, प्रीति, विनीता, नेहा, कनिष्का, श्वेता शुक्ला, आरती, रेखा, फ्रांसिस्का, सपना, साक्षी और रोशन ने नृत्य के माध्यम से ईश्वर के आशीर्वाद और समर्पित प्रेम को अभिव्यक्त किया। नृत्य नाटिका ने सभी के मन को उत्साह से भर दिया। गायन रमेश मुरली, संगीत सोबिन सनी, तबला और मृदंगम पर जोमन जोसेफ एवं मिक्सिंग सेवियो पीटी ने किया।

प्रिंटानिया पुरस्कार 2024 -

परंपरागत सर्जनात्मकता के विशेष योगदान हेतु प्रिंटानिया के संस्थापक अल्बर्ट डिसूजा द्वारा लास्य कॉलेज ऑफ फाइन आर्ट्स, कन्नूर, केरल की सुप्रसिद्ध कलाकार और गुरु असिस्टेंट प्रो. डॉ. विद्यालक्ष्मी ई. और महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गायन की विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. संगीता घोष को प्रिंटानिया पुरस्कार-2024 दिया गया। गुरुजनों को बिशप ने और कलासाधकों को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया।

 मंच संचालन प्रो. डॉ. राम सुधार सिंह ने किया। कॉलेज लीडर श्वेता किण्डो ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में प्राचार्य फादर डॉ. फ्रांसिस डि’सूजा, उपप्राचार्य सिस्टर रोज़ली, सिस्टर मंजू, सिस्टर लूसी, डॉक्टर फादर विल्फ्रेड डि’सूजा, डॉ. फादर रोजन सेबास्टियन, फादर सी.आर. जस्टी, प्रो. गोविन्द वर्मा, प्रो. अनंग गुप्ता, प्रो. कामिनी मोहन, प्रो. राकेश एडविन, प्रो. प्रार्थना सिंह, प्रो. मीरा माधवन, समेत सभी कलासाधक मौजूद रहे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...