शनिवार, 29 अप्रैल 2023
शिक्षकों कि समस्याओं को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी से मिले शिक्षक
Varanasi (dil india live). उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ चिरईगांव के ब्लॉक अध्यक्ष व जिला महामंत्री रविंद्र नाथ यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल शिक्षकों के विभिन्न समस्याओं को लेकर खंड शिक्षा अधिकारी चिरईगांव से मिला। प्रतिनिधि मंडल द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी से यह मांग की गई शिक्षकों की वरिष्ठता सूची, बकाया एरियर बिलों का भुगतान, शिक्षकों का 1 दिन का वेतन व अन्य प्रार्थना पत्र जो आपके कार्यालय में लंबित है, उसका तत्काल निराकरण किया जाए। शिक्षकों का निर्वाचन के समय अवरूद़ वेतन से संबंधित प्रार्थना पत्र ग्रीष्मावकाश के समय बाल गणना कार्य के बदले उपार्जित अवकाश आदि समस्याओं का समाधान तत्काल किया जाए। साथ ही साथ शिक्षकों से संबंधित जो भी समस्याएं आपके कार्यालय में लंबित है उसका निस्तारण कराते हुए संगठन को भी अवगत कराया जाए। इस मौके पर विद्यालयों में शिक्षकों पर की गयी कार्यवाही पर भी खंड शिक्षा अधीकारी से बात की गयी। प्रतिनिधिमंडल में मुख्य रूप से राजीव कुमार उपाध्याय ब्लॉक मंत्री, महेंद्र बहादुर सिंह जिला अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ 11 60, प्रशांत कुमार उपाध्याय, मुन्ना प्रसाद, गिरीश चंद यादव, संदीप यादव, गोविंद सिंह यादव, अनीता यादव आदि सहित शिक्षक उपस्थित थे।
शुक्रवार, 28 अप्रैल 2023
Choti eid mubarak... फिर बनारस में सुनाई दिया शोर
6 रोज़ा हुआ मुकम्मल तो मनी फिर काशी में ईद
Varanasi (dil India live)। पूरी दुनिया में छोटी ईद केवल बनारसी ही मनाते है। बनारस में ईदुल फित्र के दूसरे दिन से छह नफिल रोज़ा मोमिन रखते हैं। ईद के सातवें दिन छोटी ईद की खुशियां मनाई जाती है। इस दौरान शहर के औरंगाबाद और मंडुवाडीह में छोटी ईद का मेला भी लगता है।
हज़रत शाह तैय्यब बनारसी का उर्स
मंडुवाडीह स्थित कुतुबे बनारस हज़रत शाह तैयब बनारसी रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स जुमे को 'छोटी ईद' के रूप में मनाया गया। उर्स के मौके पर आस्ताना परिसर में दिन भर मेला लगा रहा। मेले में विभिन्न व्यंजनों का लोगों ने जहां लुत्फ लिया वहीं बच्चों ने खूब मस्ती की। छोटी ईद के मौके पर हजरत शाह तैयब बनारसी के आस्ताने पर हाजिरी देने के लिए देश के कोने-कोने से अकीदतमंदों की जुटान हुई। दोपहर में धूप व उमस के कारण जहां मेला क्षेत्र में कम लोग थे, वहीं शाम होते ही पैर रखने की भी जगह नहीं बची। बाबा की मजार पर गुलपोशी व चादरपोशी कर फातेहा पढ़ने वालों का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। इससे पूर्व सुबह फज्र की नमाज के बाद कुरआनख्वानी हुई। कुरान की तेलावत के साथ ही उर्स शुरू हो गया। वहीं इशा की नमाज के बाद कुल शरीफ में अकीदतमंद शामिल हुए। इस मौके पर देश में अमन व खुशहाली के लिए दुआख्वानी की गई। वर्षो से चले आ रहे दस्तूर के मुताबिक छोटी ईद शानों-शौकत के साथ मनाई गई। मदरसा दारुल उलूम तैयबिया मोइनिया दरगाह शरीफ मंडुवाडह के प्रिंसिपल मोहम्मद अब्दुस्सलाम रशीदी ने बताया कि उर्स ईद के सातवें दिन मनाया जाता है। आयोजन को लेकर क्षेत्र ही नहीं बल्कि दूर दराज से आने वालों में काफी उत्साह है। लोग एक-दूसरे को छोटी ईद कि मुबारकबाद दे रहे हैं। हर कोई खुशी से लबरेज है।
औरंगाबाद में भी लगा मेला
छोटी ईद पर औरंगाबाद में भी मेला लगा। इस मौके पर हज़रत हवा शाह वह हज़रत हिम्मत शाह का अकीदत के साथ उर्स मनाया गया। उर्स के दौरान लोगों का हुजूम उमड़ता दिखाई दिया। गुसल, फातिहा और चादर पोशी का दौर देर रात तक चलता रहा। यहां भी छोटी ईद कि मुबारकबाद देने और खुशियां मनाने का दौर देर रात तक चलता रहा।
World Earth day: बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण की जगाई अलख
Varanasi (dil india live). जीवन ज्योति हायर सेकेंडरी स्कूल सारनाथ में world Earth day का आयोजन किया गया। इस दौरान Vegetable getup में स्टूडेंट्स स्कूल पहुंचे हुए थे। आयोजन में नन्हें मुन्ने बच्चों ने एक से एक पोशाक और स्लोगन लिखी तख्तियों के जरिए पर्यावरण संरक्षण की मुहिम छेड़ी। कार्यक्रम में स्क्रेब बुक पर बच्चों ने ईद कार्ड बनाकर, एक दूसरे को ईद कि मुबारकबाद भी दी। प्रिंसिपल सिस्टर लीमा कि अगुवाई व टीचर संध्या के संयोजन में हुए इस आयोजन में स्टार आफ द मंथ यूकेजी बी कि छात्रा आयशा जैनब थी। तीन अन्य को बर्थ डे गर्ल्स आफ अप्रैल मंथ के खिताब से नवाजा गया। आयोजन के दौरान बच्चों ने खुलकर ख़ूब मस्ती की।
दरअसल इस तरह के आयोजन बच्चों में पढ़ाई के साथ ही उनके भीतर छुपी हुई अन्य प्रतिभाओं को भी निखारने में मददगार साबित होती है।
गुरुवार, 27 अप्रैल 2023
Varanasi Mitram ने किया सदस्यों को सम्मानित
मंगलवार, 25 अप्रैल 2023
Fr p victor के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ में उमड़े मसीही
Jounpur (dil india live)। सेंटजॉन्स, सिद्दीकपुर, jounpur के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ में मसीही समुदाय का हुजूम उमड़ा। इस दौरान सेंट जोंस स्कूल में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। गौरतलब हो कि 28 वर्ष पूर्व आज ही के दिन फादर के चाचा विशप फ्रांसिस द्वारा फादर को पुरोहित के रूप में अभिषिक्त किया गया था।
कन्याकुमारी के नायर कोयल गाँव में माता विंसेंट मेरी एवं पिता पीटर के घर जन्मे फादर पी विक्टर ने अपना पौरोहित्य जीवन काशी धर्मप्रान्त को समर्पित कर दिया। पुरोहित के साथ ही साथ फादर का जीवन शिक्षा एवं पर्यावरण को समर्पित रहा।फादर ने काशी के अतिरिक्त गाजीपुर एवं जौनपुर में लाखों वृक्ष लगवाएऔर बच्चों को उपहार के रूप में पौधे प्रदान करते रहे।फादर के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ पर विद्यालय परिवार ने शुभकामना प्रस्तुत किया। इस अवसर पर फादर के दीर्घ जीवन एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की अध्यापिका समीना फ़ारूक़ी ने पुष्प-गुच्छ देकर फादर को सम्मानित किया।दीप्ती कश्यप ने भजन कि प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया। इस मौके पर परवेज अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में फादर ने कहा कि पुरोहित का जीवन आसान नहीं होता, यह कठोर तपस्या का जीवन होता है। पुरोहित को धर्म एवं समाज के कार्य के लिए स्वयं को अर्पित करना होता है। उसका अपना व्यक्तिगत कुछ भी नहीं होता। फादर ने कहा कि व्यक्ति सुख की तलाश करता है पर सुख भौतिक संसाधनों में नहीं अपितु अच्छे लोगों कि संगति में होता है। अच्छे लोगों का संग ईश्वर के मार्ग में प्रेरित कर वास्तविक सुख प्रदान करता है।पुरोहित अपने आचरण द्वारा समाज को दिशा एवं दशा प्रदान करता है और सन्मार्ग के लिए प्रेरित करता है।
इस अवसर पर अध्यापक परवेज़ अहमद एवं अध्यापिका प्रियंका श्रीवास्तव ने कुशल मंच संचालन किया।
World malaria day(25 april)
प्रभावी रणनीति व कार्यवाई से होगा मलेरिया उन्मूलन: CMO
समय पर जांच, उपचार व नियंत्रण से मलेरिया का बचाव सम्भव
लार्वा स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग बेहद जरूरी
इस बार की थीम है “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार, कार्यान्वयन”
Varanasi (dil india live). देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रभावी रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। इसका परिणाम यह रहा कि वर्ष 2017 में जनपद में मलेरिया के करीब 400 मरीज पाये गए थे लेकिन पिछले वर्ष 78 रोगी पाये गए। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी
सीएमओ कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार व कार्यान्वयन’ रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में निवेश करना, आधुनिक तकनीकों और अनुसंधान कर नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना तथा उसको जमीनी स्तर पर लागू करना है। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण करने के लिए चार प्रमुख रणनीति बनाई गई हैं। पहला एक्टिव सर्विलान्स जिसमें आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट के माध्यम से मलेरिया की जांच कर रही हैं। दूसरा पैसिव सर्विलान्स ओपीडी के दौरान बुखार ग्रसित सभी रोगियों की मलेरिया की जांच की जा रही है। तीसरा नियमित स्वास्थ्य कैंप के जरिये मलेरिया के रोगी खोजना है। चौथा कहीं भी एक रोगी मिलने पर स्वास्थ्यकर्ताओं के माध्यम से आसपास के क्षेत्र की कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग और रोकथाम करना है। सीएमओ ने सभी सीएचसी, पीएचसी व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को निर्देशित किया गया है कि समय पर मलेरिया की जांच व पहचान कर मरीज को निर्धारित समय तक उपचार दिया जाये।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडेय ने बताया कि जनपद की आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। वर्तमान में सभी हॉटस्पॉट में हाउस इंडेक्स एक से कम है जो सामान्य स्थिति में है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। मलेरिया व डेंगू के लिए पूर्व से चिन्हित ग्रामीण के 62 व शहर के 55 हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी जा रही है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है।
डीएमओ ने बताया कि मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, रक्त अल्पता, मांसपेशियों में दर्द, अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। समय से जांच व उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। उपचार के दौरान ध्यान रखें कि स्वस्थ भोजन खाएं, शरीर में पानी की कमी न होने दें, प्रोटीन युक्त आहार लें, वसायुक्त मसालेदार भोजन न करें, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और कैफीन युक्त पेय का सेवन न करें।
एक नजर आंकड़ों पर
जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो जिला मलेरिया विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2020 में 46, वर्ष 2021 में 164, वर्ष 2022 में 78 और वर्ष 2023 में अब तक सिर्फ सात मलेरिया रोगी पाये गए।
सुविधा : मलेरिया की जांच व उपचार की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी शहरी व ग्रामीण सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान भारत - हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध है। आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर संभावित रोगी की पहचान कर किट से त्वरित जांच का रही हैं। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर रोगी का सम्पूर्ण उपचार किया जा रहा है।
बचाव : मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास दूषित पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।
शनिवार, 22 अप्रैल 2023
Benaras k Govindpura में सबसे पहले मनी थी eid ki khushi
Kashi में Ganga jamuni tahzeeb देख बादशाह कुतुबुद्दीन को हुआ था आश्चर्य
ईद पर दोनों मजहब की अलग-अलग पहचान करने में उसे हुई थी मुश्किल
Varanasi (dil india live). ईद मिल्लत और मोहब्बत का त्योहार है। सभी जानते हैं कि हफ्ते भर चलने वाले इस महापर्व से हमें खुशी और एकजुटता का पैगाम मिलता है, मगर कम लोग जानते हैं कि ईद का ऐतिहासिक पक्ष क्या है। इस्लामिक विद्वान मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने ईद की तवारीखी हैसियत पर रौशनी डालते हुए बताया कि सन् 2 हिजरी में सबसे पहले ईद मनायी गयी। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद (स.) का वो दौर था। उन्होंने सन् 2 हिजरी में पहली बार ईद की नमाज़ पढ़ी और ईद की खुशियां मनायी। उसके बाद से लगातार आज तक पूरी दुनिया में ईद की नमाज़े अदा की जाती है और लोग इसकी खुशियों में डूबे नज़र आते हैं।
जहां तक बनारस में ईद के त्योहार का सवाल है, इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ तथ्यो को खंगालने के बाद बताते हैं कि बनारस में गोविन्द्रपुरा व हुसैनपुरा दो मुहल्ले हैं जहां सबसे पहले ईद मनाये जाने कि पोखत तस्दीक होती है। वो बताते हैं कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों के आने के साथ ही ईद मनाने के दृष्टांत मिलने लगते हैं। जहां तक बनारस की बात है यहां मुस्लिम सत्ता की स्थापना से पूर्व ही मुस्लिम न सिर्फ आ चुके थे बल्कि कई मुस्लिम बस्तियां भी बस गयी थी। दालमंडी के निकट गोविन्दपुरा और हुसैनपुरा में ईद की नमाज़ सबसे पहले पढ़े जाने का संकेत तवारीखी किताबों से ज़ाहिर है।
इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि जयचन्द की पराजय के बाद बनारस के मुसलमानों की ईद को देखकर बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक को उस दौर में आश्र्चर्य हुआ था कि ईद की नमाज़ के बाद बनारस में जो सौहार्दपूर्ण गंगा जमुनी माहौल दिखाई दिया था उसमें उन्हें हिन्दू-मुसलमान की अलग-अलग पहचान करना मुश्किल था। यह बनारसी तहज़ीब थी जो देश में मुस्लिम सत्ता की स्थापना के पूर्व ही काशी में मौजूद थी। जिसने एक नई तहज़ीब, नई संस्कृति हिन्दुस्तानी तहज़ीब को जन्म दिया। तब से लेकर आज तक ईद की खुशियां बनारस में जितने सौहार्दपूर्ण और एक दूसरे के साथ मिलकर मनाया जाता है उतना अमनों-सुकुन और सौहार्दपूर्ण तरीके से दुनिया के किसी भी हिस्से में ईद नहीं मनायी जाती।
ईद का इस्लामी पक्ष
प्रमुख इस्लामी विद्धान मौलाना साक़ीबुल क़ादरी कहते हैं कि ईद रमज़ान की कामयाबी का तोहफा है। वो बताते हैं कि नबी का कौल है कि रब ने माहे रमज़ान का रोज़ा रखने वालों के लिए जिंदगी में ईद और आखिरत के बाद जन्नत का तोहफा मुकर्रर कर रखा है। यानी रमज़ान में जिसने रोज़ा रखा है, इबादत किया है नबी के बताये रास्तों पर चला है तो उसके लिए ईद का तोहफा है।
दूसरों को खुशिया बांटना है पैगाम
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी पर रिसर्च करने वाले प्रमुख उलेमा मौलाना डा. शफीक अजमल की माने तो ईद का मतलब केवल यह नहीं कि महीने भर जो इबादत करके नेकियों की पूंजी एकत्र किया है उसे बुरे और बेहूदा कामों में ज़ाया कर देना बल्कि ईद का मतलब है कि दूसरों को खुशियां बांटना। अपने पड़ोस में देखों कोई भूखा तो नहीं है, किसी के पास पैसे की कमी तो नहीं है, कोई ऐसा बच्चा तो नहीं जिसके पास खिलौना न हो, अगर इस तरह की बातें मौजूद है तो उन तमाम की मदद करना हमारा फर्ज़ है। और यही रमज़ान हमें सिखाता है। मौलाना शफी अहमद कहते हैं कि दूसरो की मदद करना ईद का सबसे बड़ा मकसद है तभी तो रमज़ान में जकात, फितरा, खैरात, सदका बेतहाशा निकालने का हुक्म है ताकि कोई गरीब, मिसकीन, फकीर नये कपड़े से महरुम न रह जाये। ईद की खुशी में सब खुश नज़र आयें। यही वजह है कि ईद पर हर एक के तन पर नया लिवास दिखाई देता है।
ईद ग्लोबल फेस्टिवल
एक माह रोज़ा रखने के बाद रब मोमिनीन को ईद कि खुशियो से नवाज़ता है, आज वक्त के साथ वही ईद ग्लोबल फेस्टीवल बन चुकी है जो टय़ूटर, वाट्स एप, स्टेलीग्राम से लेकर फेसबुक तक पर छायी हुई है।
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असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के...