बुधवार, 27 अप्रैल 2022

स्वीडन के प्रोफेसर को पसंद आया इमाम हुसैन के ग़म का नौहा

शिवाला में मोहर्रम भर गूंजने वाले दर्द भरे नौहों पर लिख डाली किताब


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। स्वीडेन के प्रोफ़ेसर मार्क जे. कार्त्ज़ ने मुगलो और नवाबों के मुहल्ले बनारस के "शिवाला" में करबला के शहीदो के ग़म में पढ़े जाने वाले दर्द भरे नौहो में से 50 चुनिंदा नौहे को अपनी किताब में शामिल किया है। इस किताब को लिखने में प्रोफेसर का साथ दिया है प्रमुख शिया विद्वान सैय्यद आलिम हुसैन ने।
"फिफ्टी सांग फार पीस, फिफ्टी सांग फार सोरो ," शीर्षक से लिखी गई यह किताब शिवाला की उस मिली जुली तहज़ीब की जियारत भी कराती है।जब मोहर्रम पर निकलने वाले क़दीमी जुलूस में अंजुमन नौहाखवानी करती हैं, तो इस अज़ादारी की जियारत करने व दुलदुल को दूध पिलाने दोनों मजहब के लोग जुटते हैं।
सैय्यद आलिम हुसैन खुश हैं कि उनके सहयोग से लिखी गई किताब से शिवाला को वो मुकाम मिलेगा जिसका वो हकदार है। वो कहते है कि मंज़र-ए-आम पर किताब आने से शिवाला में पढ़ा जाने वाला नौहा जग विख्यात हो जाएगा।
इस किताब कि खासियत है कि उर्दू में नौहा लिखा गया है और फिर उनका अंग्रेजी अनुवाद किया गया है। सैय्यद आलिम हुसैन कहते हैं कि अल्लाह प्रोफेसर मार्क की मेहनत का अजर दे की उनकी वजह से ये किताब तमाम देशों में जाएंगी और लोग शिवाला में पढ़े जाने वाले नौहो के बारे में जान पाएंगे।





ग्रामीण क्षेत्र की सीएचसी और पीएचसी पर भी अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा

  • डिप्टी सीएम के निर्देश पर सीएमओ ने शुरू कराई व्यवस्था 

  • सीएचसी हाथी बाजार में भोर में भर्ती हुई डायरिया पीड़ित मरीजश

  • हर के चार सीएचसी पर पहले से जारी है रात्रिकालीन सेवाश

  • हर के 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भी सांध्य कालीन सेवाएं  उपलब्ध



वाराणसी 27 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के निर्देश पर जनपद के ग्रामीण क्षेत्र  के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर अब रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इसके मद्देनजर मंगलवार की देर रात सामुदायकि स्वास्थ्य केन्द्र हाथी बाजार, सेवापुरी में डायरिया पीड़ित ईट -भट्ठा पर काम करने वाली महिला मजदूर धानमती देवी (60 वर्ष) को भर्ती कर उपचार किया गया। अब उसके हालत में काफी सुधार है।

 *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी* ने बताया कि आम नागरिकों की चिकित्सा सेवाओं में कहीं कोई कमी  न रह जाए इसके लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह तत्पर है। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने गत दिनों वाराणसी दौरे के दौरान ग्रामीण इलाके  के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व ब्लॉक स्तरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रात्रिकालीन आकस्मिक सेवा शुरू करने का  निर्देश दिया था ताकि आमजन रात्रि में किसी आपात स्थिति में निःशुल्क चिकित्सकीय सेवा प्राप्त कर सके। 

सीएमओ ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के इस निर्देश के अनुपालन में ग्रामीण इलाके के सभी सीएचसी व पीएचसी पर रात्रिकालीन आकस्मिक सेवाएं शुरू कर दी गयी हैं। इनमें सीएचसी नरपतपुर,  चोलापुर,  पुआरीकला,  विरांवकोट,  गंगापुर,  हाथी बाजार, आराजीलाइन, मिसिरपुर के अलावा ब्लाक सीएचसी चोलापुर, ब्लाक सीएचसी आराजीलाइन और ब्लाक पीएचसी चिरईगांव, चोलापुर, हरहुआ, बड़ागांव, पिण्डरा, सेवापुरी, काशीविद्यापीठ में भी 24 घंटे आपातकालीन चिकित्सकीय सेवा उपलब्ध रहेंगी।

 डा. संदीप चौधरी ने बताया कि शहर के चार सामुदायिक स्वास्थ्य  केन्द्र शिवपुर, चौकाघाट, भेलूपुर, दुर्गाकुण्ड में पहले से ही 24 घंटे आपातकालीन सेवा उपलब्ध है । इसके अतिरिक्त 12 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सांध्य कालीन सेवाएं भी दी जा रही हैं । इनमें शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आनंदमयी, पाण्डेयपुर, कोनिया, मदनपुरा, सेवासदन, जैतपुरा, बेनिया, अर्दलीबाजार, भेलूपुर, लल्लापुरा, राजघाट व टाउनहाल शामिल हैं, जो अपनी प्रातःकालीन सेवाओं के साथ ही सायं कालीन सेवाएं भी दे रहे है। यह  सभी शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र प्रातः नौ बजे से रात्रि आठ बजे तक खोले जाने के निर्देश दिए गये हैं ।

कुरान की आयते फिजा में होती रही बुलंद

शबे कद्र पर मोमिनीन ने अदा कि नफ्ल नमाजे

 वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का चौबीसवां रोजा पूरा करके इबादतगुजारों ने 25 वीं रमजान की तीसरी शबे कद्र पर जागकर इबादत किया और सहरी खाकर पचीसवां रोजा रखा। वहीं घरों और मस्जिदों में हाथों में तस्बीह और लब पर रब का नाम लेते इबादतगुजार दिखाई दिये। इस दौरान तमाम इबादतगुजारो ने खूब नफ्ल नमाजे अदा की, कई जगहो पर रोजा इफ्तार दावत का भी आयोजन किया गया, उस्ताद हाफिज नसीम अहमद बशीरी की सरपरस्ती में शबीने का भी शहर में कई जगहों पर एहतमाम किया गया। इसमें कई मस्जिदो, मदरसो दरगाहो में खास इंतेजाम किया गया था। जहां शबीना सुनने लोगों का हुजुम जुटा हुआ था। देर रात तक इबादतों का दौर जारी रहा जो सहरी में पूरा हुआ। इस दौरान घरों से पाक कुरान की आयते फिजा में बुलंद हो रही थी। लोगो ने सहरी करके रोजा रखा। रोज़ेदार आज शाम अज़ान की सदाएं सुनकर रोज़ा इफ्तार करेंगे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

मधुमेह पीड़ित भी रखे रोज़ा, लज़ीज पकवानों का ले लुत्फ

मधुमेह से हैं पीड़ित तो मीठे को करे बाय

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहार ईद की बुनियाद रमज़ान है। पहले रमजान आता है जिसमें पूरे महीने मोमिनीन रोज़ा रखते हैं। इन दिनों रमज़ान चल रहा है। रमज़ान मुकम्मल होने पर ईद आयेगी। जब तक ईद नहीं आती तब तक पूरा महीना रमज़ान जोश-ओ-खरोश के मनाया जाता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बांटकर दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम में लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। काफी लोग यह सोचते है कि रमज़ान के पकवान का लुत्फ मधुमेह से पीड़ित नही ले सकते है इसलिए काफी मधुमेह पीड़ित रोज़ा रखने से भी बचते है, जबकि चिकित्सको का कहना है कि मधुमेह से पीड़ित हैं तो भी आप रोज़ा रख सकते है और लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठा सकते है, बस आपको बचना है, मीठे से। रमज़ान के साथ आपकी ईद भी हंसी-खुशी बीत जाये इसके लिए हमें रमज़ान में खास ख्याल रखना पड़ेगा। खास कर ऐसे मौकों पर जब घर में लज़ीज मीठे पकवान बनते हैं तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्यों कि इन लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका लेने से इफ्तार में वो अपने को रोक नहीं पाते, या तो कोई उन्हें खिला देता है या फिर वो खुद मीठे पकवान खा लेते है। बेहतर हो कि आप अपनी केस हिस्ट्री लेकर नज़दीकी चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनसे उचित सलाह ले कर रोज़ा रखे, मीठे से बचते हुए लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका ले और ईद भी मनाये है।

खुद ही अपने स्वास्थ्य का रखना पड़ेगा ध्यान 

चिकित्सक डा. एहतेशामुल हक की माने तो रमज़ान में मधुमेह के मरीज़ों को खुद ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो रमज़ान का रोज़ा तो जायेगा ही साथ ही उसके ईद का भी मज़ा फीक़ा हो सकता है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को थोड़ा ख्याल रखने और एहतेयाद की ज़रूरत है। चिकित्सक डा. गुफरान जावेद की माने तो रोजे के दौरान शाम में इफ्तार के वक्त हर हाल में मीठे शर्बत व मीठें पकवान से परहेज़ करें तो मुश्किल टल सकती है, और ईद की खुशियां दुगनी हो सकती है।

क्या है हाइपरगिलेसेमिया ?

रोजे के दौरान मधुमेह के मरीज़ों को ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों की आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोज़ा रखने से पूर्व अपने चिकित्सकों से परामर्श ज़रूर ले कि उन्हें सहरी में क्या खाना है और इफ्तार व खाने में उन्हें रात को क्या लेना है।

इन बातों को न करें नजरअंदाज

-जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।

-जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।

-मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।

-अपने आहार में रस भरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।

-भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।

-सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।

-अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।

ईद की सुबह पैदा हुए बच्चे का भी देना होगा फितरा

रमज़ान हेल्पलाइन: मुफ्ती साहब दे रहे हैं आपके सवाल का जवाब


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। पीलीकोठी से कलीम अंसारी ने फोन किया फितरे या ज़कात की रक़म अपने सगे भाई या बहन को दिया जा सकता हैं, या नहीं? जवाब दिया उलेमा ने, कहा कि अगर बहन या भाई शरई तौर पर फक़ीर हैं यानी मालिके नेसाब नहीं तो दे सकते हैं। हां अगर वो मालदार है तो उन्हें ज़कात या फितरा देना दुरुस्त नहीं है। मेरे घर में 28 रमज़ान को लड़का हुआ है, उस लड़के पर फितरा ज़रूरी है या नहीं? जवाब में मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी,  मुफ्ती बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी वह मौलाना अजहरुल क़ादरी ने कहा कि ईद की सुबह सूरज निकले से पहले तक अगर कोई बच्चा पैदा हो जाये तो उसका भी फितरा घर वालों को निकालना ज़रूरी है। बेशक आप उस बच्चे का फितरा ज़रूर निकालें।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

पहल : आशा घर-घर जाकर करेंगी मलेरिया के मरीजों की पहचान

विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) पर विशेष

जागरूकता और मच्छरों पर नियंत्रण से ही मलेरिया से बचाव सम्भव : सीएमओ

मच्छर पनपने वाले स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग भी बेहद जरूरी
वाराणसी 24 अप्रैल (dil India live )। देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का। सीएमओ ने बताया कि मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 

सीएमओ ने कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “मलेरिया रोग के बोझ को कम करना और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करना” है। इस थीम का उद्देश्य वैश्विक उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने में नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना है। सीएमओ ने कहा कि इस वर्ष मलेरिया पर नियंत्रण करने के लिए खास रणनीति बनाई गयी है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की समस्त आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किट के माध्यम से मलेरिया की जांच करेंगी। पॉज़िटिव आने पर उनका जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाएगा।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडे* ने बताया कि मलेरिया दिवस पर समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन जागरूकता स्वास्थ्य कैंप का आयोजन किया जाएगा। वह बताते हैं कि आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा लोग मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी  जा रही है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। बुखार ग्रसित सभी रोगियों की जांच के लिए सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है जिससे समय पर मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जा सके। 

कहां-कहां है सुविधा 

डीएमओ ने बताया कि मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी/पीएचसी पर उपलब्ध है। शासन के निर्देशानुसार अब आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर रोगी की पहचान कर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट से त्वरित जांच करेंगी। इसके लिए समस्त आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर जल्द से जल्द रोगी का नि:शुल्क पूर्ण उपचार किया जाएगा।   

कैसे होता है मलेरिया

मलेरिया मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आता है और बुखार छोड़ते वक्त पसीना होता है। समय पर दवा न मिलने पर रोगी अत्यधिक कमजोर हो जाता है।

कैसे करें बचाव

मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास दूषित  पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

वेक्टर जनित (संक्रामक) रोग

मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय  लगता है। इस वजह से ही सप्ताह में एक बार एंटीलार्वा का छिड़काव किया जाता है। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है।

पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया की स्थिति 

बात करें जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की तो वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2022 में 46, वर्ष 2021 में 164 और वर्ष 2022 में अब तक कुल 32 मलेरिया रोगी पाये गए हैं ।

रमज़ान का पैग़ाम: मौलाना हसीन अहमद हबीबी

हक़ की जिन्दगी जीने की हमे तौफीक देता है रमज़ान

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना रमज़ान, ये वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है, अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा।


सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे ..आमीन।

'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...