शुक्रवार, 10 दिसंबर 2021

बच्चों का स्वर्णप्राशन कराएं, बुद्धिमान और बलवान बनाएं

अब अन्नप्राशन ही नहीं  स्वर्णप्राशन भी जरूरी 

  • पुष्य-नक्षत्र में हर माह निःशुल्क होता है ‘स्वर्णप्राशन’
  • 16 वर्ष तक के बच्चे उठा सकते हैं इसका लाभ



वाराणसी, 9  दिसम्बर। आयुर्वेद का “स्वर्णप्राशन” बच्चों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यह बच्चों को न केवल बलवान बल्कि बुद्धिमान भी बनाता है। आयुर्वेद महाविद्यालय में बच्चों का “स्वर्णप्राशन” निःशुल्क कराया जाता है। बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने के लिए “स्वर्णप्राशन” जरूर कराना चाहिए। यह कहना है क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डा. भावना द्विवेदी का

डा. भावना  बताती हैं  कि आयुर्वेद से जुड़े हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन तैयार किया था जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है। इसे शुद्ध स्वर्णभस्म के निश्चित अनुपात में गाय के घी व शहद के साथ ड्रॉप के रूप में तैयार किया जाता है। यह बच्चों की  मेधा शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है।

 कश्यप व सुश्रुत संहिता में है उल्लेख-


डॉ. भावना द्विवेदी बताती हैं  कि स्वर्णप्राशन संस्कार का उल्लेख कश्यप संहिता और सुश्रुत संहिता में भी है । इसका प्रयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। कर्नाटक विश्वविद्यालय में वर्ष 2012 में हुए शोध से यह साफ हो चुका है कि चिकित्सक की देखरेख में किया गया स्वर्णप्राशन बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। गोरखपुर में भी देखने को आया कि जिन बच्चों ने स्वर्णप्राशन कराया था उनको इंसेफेलाइटिस का खतरा नहीं था। लिहाजा वाराणसी समेत प्रदेश के आठ आयुर्वेद महाविद्यालयों में एक बार फिर इसका प्रयोग शुरू किया गया है, जिसके सार्थक परिणाम भी आ रहे हैं। वह बताती हैं कि स्वर्ण भस्म शरीर के प्रत्येक कोशिका में प्रवेश कर वहां के असंतुलन या विकृति को सही करता है। यह बच्चों में होने वाली मौसमी बीमरियों से तो रक्षा करता ही है साथ ही उनको बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने में भी अच्छी भूमिका निभाता है। 

 पुष्य-नक्षत्र में होता है “स्वर्णप्राशन” -

 आयुर्वेद महाविद्यालय के बाल रोग विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक डा. रुचि तिवारी* बताती हैं  कि स्वर्णप्राशन पुष्य-नक्षत्र में करने से चमत्कारी लाभ होते हैं , क्योंकि इस दिन ग्रहों की शक्तियां ज्यादा होती हैं। पुष्य नक्षत्र हर महीने में एक बार आता है, इसलिए प्रत्येक माह उस रोज महाविद्यालय में 16 वर्ष तक के बच्चों को यह सुविधा निःशुल्क प्रदान की जाती है। वह बताती हैं  कि वर्ष 2019 से महाविद्यालय में प्रत्येक माह कैम्प लगाया जाता है और अब तक यहां तीन हजार से अधिक बच्चों का स्वर्णप्राशन किया जा चुका है। कोरोना काल में स्वर्णप्राशन की प्रक्रिया थम गयी थी लेकिन अब यह पुनः शुरू कर दी गयी है। आयुर्वेद महाविद्यालय में लगे कैम्प में  अपने पांच वर्ष के बेटे आयुष का स्वर्णप्राशन कराने आयी आयी हुकुलगंज की रहने वाली अंकिता ने बताया कि उनका बेटा अक्सर बीमार रहता था। लगभग तीन वर्ष से वह स्वर्णप्राशन कराती हैं। अब उनका बेटा पूरी तरह स्वस्थ है। चौकाघाट की माया ने बताया कि स्वर्णप्राशन कराने से उनकी आठ वर्ष की बेटी को काफी लाभ है।

- स्वर्णप्राशन के लाभ

स्वर्णप्राशन बीमार या विकृत कोशिकाओं को फिर से सक्रिय कर देता है।

- रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

- शरीर से अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को दूर करता है।

- याददाश्त और एकाग्रता को बढ़ाता है, जो अध्ययनरत बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

-शरीर में ब्लड़ सर्कुलेशन को बढ़ाता है और हृदय को शक्ति देता है ।


ख्याल अपना पुस्तक का हुआ लोकार्पण

शायरी की दुनिया में मील का पत्थर साबित होगी ख्याल अपना - प्रो. चंद्रकला
वाराणसी 10 दिसम्बर (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज एवं मन बंजारा कविता सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को पुस्तक ''ख्याल अपना'' का  लोकार्पण समारोह आयोजित हुआ। कॉलेज के न्यू ओबीसी बिल्डिंग स्थित सभागार में शायर हशम तुराबी द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन प्रोफेसर अवधेश प्रधान, प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया, डॉ. सत्यदेव सिंह, प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने किया। 

इस अवसर पर आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भूतपूर्व कुलपति प्रोफेसर चंद्रकला पाड़िया ने कहा कि ख्याल अपना पुस्तक आत्मा को स्पर्श करने वाली पुस्तक है। कवि की चेतना जब अपने चर्मोत्कर्ष पर पहुँचती है तब ऐसी कृति समाज के सामने आ पाती है। उन्होंने कहा कि शायरी करने वालो के लिए यह पुस्तक मील का पत्थर साबित होगी। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भूतपूर्व आचार्य प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा कि इस पुस्तक की सादगी ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। कविता वही है जो व्यक्ति को अंदर से संभालती है, लोकतांत्रिक शायर की लोकतांत्रिक शायरी के रूप में यह पुस्तक समाज मे अपना स्थान बनाएगी। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने कहा कि इंसान को इंसान बनाने वाली पुस्तक है ख्याल अपना, जिसे समाज के आईने के रूप में देखा जा सकता है।

कार्यक्रम में नवगीतकार पण्डित हरिराम द्विवेदी, रामअवतार पाण्डेय, आकाशवाणी के क्षेत्रीय निदेशक राजेश कुमार, कावेरी भादुड़ी, रामानंद तिवारी, अशोक सिंह आदि ने भी विचार व्यक्त किया। संयोजन प्रोफेसर अनुराधा बनर्जी ने किया। स्वागत लेखक हशम तुराबी, डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा, डॉ. महिमा सिंह, फिरोज नुसरत ने किया। धन्यवाद ज्ञापन रत्ना मुखर्जी ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. उषा किरण सिंह, डॉ. शहजाद वारसी, डॉ. मंजरी पाण्डेय, डॉ. कमालुद्दीन शेख, रेहानुलहसन आदि उपस्थित रहें।

जनरल शाहनवाज ने लहराया था लाल किले पर तिरंगा

 ब्रिटिश हुकूमत मानती थी जनरल शाहनवाज का लोहा


वाराणसी 09 दिसंबर (dil india live)। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम के निर्देश पर प्रत्येक जिले में मेजर जनरल शाहनवाज खान की पुण्यतिथि मनाई गई। इसी क्रम में वाराणसी महानगर कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के बैनर तले अध्यक्ष मेहंदी हसन के अगुवाई में अंसारा बाग, गंगा नगर कॉलोनी में गोष्ठी आयोजित की गई। साथ हीं पदयात्रा भी निकली गई। इस मौके पर गोष्टी में अपने विचार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश महासचिव हसन मेंहदी कब्बन ने कहा कि आजाद हिंदुस्तान में लाल किले पर ब्रिटिश हुकूमत का झंडा उतार कर तिरंगा लहराने वाले मेजर जनरल शाहनवाज आलम खान ही थे। देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए हजारों देशभक्तों, सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी, इन महान देशभक्तों मैं जनरल शाहनवाज खान का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। आजाद हिंद फौज के मेजर जनरल शाहनवाज खान महान देशभक्त, सच्चे सैनिक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के काफी करीबी थे।अंग्रेज भी उनका लोहा मानते थे।

कब्बन ने कहा कि शाहनवाज खान एक सैनिक, समाजसेवी के साथ साथ 23 साल तक केंद्र सरकार में मंत्री के पद पर काबिज रहे। गोष्ठी एवं पदयात्रा में प्रमुख लोगों में अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश सचिव तौफीक कुरेशी, प्रमोद श्रीवास्तव, जुबेर खान बागी, हनीफ बाबा, अजीजुर रहमान, मुमताज अंसारी, शाहिद सिद्दीकी तारिक जमाल,सहित आदि ने खिराजे अकीदत पेश किया।

गुरुवार, 9 दिसंबर 2021

विद्यापीठ में पत्रकार गुरु प्रो. ओपी सिंह का अभिनंदन





वाराणसी 09दिसंबर(dil india live)। काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता संस्थान के प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह का हुआ अभिनंदन। आज काशी विद्यापीठ के पत्रकारिता संस्थान में संस्थान के प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह अभिनंदन का किया गया। प्रोफेसर ओमप्रकाश सिंह का अभिनंदन करते हुए मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मोहम्मद फरियाद ने कहा कि पत्रकार गुरु ओम प्रकाश सिंह से पत्रकारिता की शिक्षा लेकर आज हजारो छात्र पत्रकारिता के क्षेत्र में विद्यापीठ का नाम रोशन कर रहे है। प्रो. ओम प्रकाश सिंह प्रतिभा के धनी शख्सीयत हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह, पत्रकार व रिसर्च स्कॉलर मोहम्मद जावेद, डॉक्टर जिनेश कुमार, मोहम्मद साकिब रिसर्च स्कॉलर जामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली भी मौजूद थे।

जुबली स्टार की हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी जानिये कब होगी रिलीज

निरहुआ-आम्रपाली हैं 'हम हैं दूल्हा हिन्दुस्तानी' के किरदार




मुंबई, 09 दिसंबर (dil india live) भोजपुरी सिनेमा के जुबली स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ और अभिनेत्री आम्रपाली दुबे की फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' 10 दिसंबर को रिलीज होगी।

दिनेश लाल यादव निरहुआ, आम्रपाली दुबे, समीर आफताब, और मधु शर्मा की फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' 10 दिसम्बर से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। यशी फिल्म्स के बैनर तले बनी भोजपुरी फिल्म 'हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी' का फर्स्ट लुक और इसका ट्रेलर दर्शकों ने काफी पसन्द किया है। इस फ़िल्म की झलकियां दिनेश लाल यादव निरहुआ ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की हैं और दर्शकों से अपील की है,हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी को आशीर्वाद प्यार दिजीये।

आम्रपाली दूबे ने भी इंस्टाग्राम पर फ़िल्म के टीज़र को शेयर करते हुए लिखा है,हम हैं दूल्हा हिंदुस्तानी को आपलोग भरपूर प्यार दें। गौरतलब है कि इस फ़िल्म का निर्देशन स्वर्गीय असलम शेख ने किया है। इस फ़िल्म की शूटिंग लंदन में हुई है। फ़िल्म के निर्माता अभय सिन्हा, प्रशांत जम्मू वाला, समीर आफताब हैं। इसके सह निर्माता रंजीत सिंह, रवि चोपड़ा मैडज़ मूवीज़ हैं।

गज़ीपुर में क्या बोले थे जनरल रावत

देश की तरफ उठने वाली हर निगाह हमारी दुश्मन 

 



गाजीपुर, 09 दिसंबर (dil india live) देश के पहले चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी समेत 13 लोगों की कुन्नूर हेलिकाप्टर हादसे में कल मौत हो गई। इस हादसे से पूरा देश सदमे में है। वीरभूमि गाजीपुर के लोग नम आंखों से भारत माता के वीर सपूत की बेबाक शैली को याद कर रहे हैं।

परमवीर चक्र विजेता शहीद वीर अब्दुल हमीद के शहादत दिवस के अवसर पर 10 सितंबर 2017 को उनके पैतृक गांव पहुंचे तत्कालीन सेनाध्यक्ष बिपिन रावत से पत्रकारों ने सवाल पूछा कि चीन या पाकिस्तान में वह भारत के सबसे बड़े दुश्मन किसे मानते है तो उन्होंने कहा “ हमारे लिए देश सबसे बड़ा है और इसके तरफ उठने वाली हर निगाह हमारी दुश्मन है। हमारी सेना दुश्मन की आंख में आंख डालकर जवाब देने में सक्षम है।”

एक पत्रकार ने पूछा “क्या बातचीत के जरिए कश्मीर का मसला हल हो सकता है” तो जनरल रावत ने तपाक से जवाब दिया “ बातचीत करना सरकार और राजनेताओं का काम है। हमारी भाषा कुछ और ही होती है। हम देश की सीमाओं की रक्षा हो या मसले का हल, अपनी भाषा में देने में सक्षम है।” थल सेना अध्यक्ष रहते बिपिन रावत ने गाजीपुर में आकर युवाओं से सेना में भर्ती होने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा था “ मुझे शहीद वीर अब्दुल हमीद के शहादत समारोह में निमंत्रण देकर बुलाया गया। इसके लिए मैं अपने आपको गर्व महसूस कर रहा हूँ। मैं यहां आकर धन्य हो गया। हमें सोचना हैं कि उनकी शहादत बेकार ना जाये। गाजीपुर की जो धरती है, यहां से लोग लगातार सेना में आकर देश के लिए अपना योगदान देते हैं। मैं यही चाहूंगा कि ये सिलसिला यूँ ही चलता रहे और यहां से और भी नौजवान सेना में ऐसे भी भर्ती होते रहें। ”

बुधवार, 8 दिसंबर 2021

टोपी पर फिर गर्म हुई सियासत

काली टोपी दुःख और अशांति का प्रतीक होती हैं, सफेद टोपी खुशहाली और समृद्धि तो लाल टोपी क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक: मुकेश सिंह, आप प्रवक्ता

वाराणसी 08 दिसंबर(dil india live)। पीएम मोदी द्वारा सपा की लाल टोपी पर की गई टिप्पणी के बाद से यूपी की सियासत फिर गर्म हो गई है। सपा मुखिया आखिलेश यादव ने इस पर जहां पलटवार करते हुए महंगाई, भष्टाचार, गरीब, किसान के लिए रेड एलर्ट करार दिया है, वहीं आम आदमी पार्टी ने सफेद टोपी को खुशहाली, लाल टोपी को क्रांति और परिवर्तन का प्रतीक बताया है।

आप के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश सिंह ने काली टोपी वालों से प्रदेश वासियों को सचेत करते हुए कहा कि काली टोपी दुःख और अशांति का प्रतीक होतीं हैं। काली टोपी वालों ने वादा किया था कि महंगाई कम करेंगे, रोजगार देंगे, महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा आमजन के थाली से रोटी छीन गया, अपराध चरम पर हैं, भ्रष्टाचार का बोल-बाला हैं, किसानों पर गाड़ियां चढ़ाई जा रहीं हैं। उन्होंने कहा कि सफेद टोपी शांति और समृद्धि तो लाल टोपी क्रांति और परिवर्तन का  प्रतीक होती हैं। मुकेश सिंह ने आगे कहा कि यदि दिल्ली की तरह फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री शिक्षा, फ्री स्वास्थ्य, फ्री यात्रा, फ्री तीर्थयात्रा, बुजुर्गों का खयाल, महिलाओं को सुरक्षा, युवाओं को रोजगार, किसानों, जवानों को सम्मान, तो सफेद टोपी वालों को मौका दें।

38000 Students को राहत देने की टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की मांग

कामिल व फाज़िल मदरसा छात्रों को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाए-हाजी दीवान साहेब ज़मा - मदरसा नियमावली से अगे बढ...