गुरुवार, 11 नवंबर 2021

छ्ठ पर्व: काशी में उतरा बिहार का अक्स

निकलते सूर्य को दिया अर्ध्य संग छठ सम्पन्न





वाराणसी 11 नवंबर (dil india live)। उगते सूर्य को अर्ध्य के साथ ही बीते 3 दिनों से चल रहा छठ का महापर्व और व्रत आज पूरा हो गया। इस मौके पर वाराणसी के गंगा घाट पूरी तरह से छठ के रंग में रंगे दिखे। हर तरफ बस छठ पूजा का माहौल और अपने परिवार के साथ व्रतधारी महिलाएं। करीब 6 बज कर 40 मिनट पर जब सूर्य की लालिमा दिखनी शुरू हुई तो लाखों की भीड़ ने भास्कर देव को अपनी श्रद्धा अर्पित कर छठ का पर्व पूरा किया।

छठ के अंतिम दिन आज उगते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए आधी रात से ही लोगों की भीड़ गंगा घाट पर उमड़नी शुरू हो गयी है। तमाम श्रद्धालु ऐसे थे जिन्होंने सूर्य देव के इंतज़ार में सारी रात गंगा घाट पर ही गुजारी। अभी रात की काली चादर हटी नहीं थी मगर पूजा की वेदियों पर जल रहे दीयों ने अँधेरे को मिटाना शुरू कर दिया था। गंगा घाटों दूर दूर तक जिधर भी देखो बस छठ पूजा का ही नज़ारा था। अँधेरा कम होने के साथ ही लोगों की नज़रें भी सूर्य देव को तलाशती आसमान पर टिक गयी। व्रतधारी महिलाएं अपने हाथों में फल, फूल से सजे सूप लेकर गंगा के पानी में उतर गयी। संभावित समय से करीब 20 मिनट की देरी से जब 6 बज कर 40 मिनट पर सर्व देव ने अपने दर्शन दिए तो लाखों की भीड़ ने उगते सूर्य को अर्ध्य देकर छठ का अपना व्रत पूरा किया। छठ के इस पर्व को लेकर लोगों में अटूट आस्था है. उनकी मानें तो सर्व देव और छठ मईया की उपासना से उनकी हर मुराद पूरी हुई है। छठ की पूजा के लिए गंगा घाटों पर इस कदर भीड़ थी मानो तिल भर रखने की जगह ना हो। तमाम ऐसे श्रद्धालु जो वर्षों व्रत को करते चले आ रहे हैं तो कई ऐसे भी जिनके लिए यह पहला मौका था, मगर उनके भी मन में लेकर आस्था और विश्वास उतना ही मजबूत और यह भरोसा आज छठ के व्रत से उनकी हर मुराद जरूर पूरी होगी।

छठ की शुरुआत

बिहार से शुरू हुआ यह प्रकृति की आराधना का यह महापर्व आज पुरे देश में उल्लास के साथ मनाया जाता है। प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए बेहतर इंतज़ाम किया था।




अस्तागामी सूर्य का व्रती महिलाओं ने किया पूजन




वाराणसी 10 नवंबर  (dil india live)। पूर्वाचल खास कर बनारस के विभिन्न घाटों पर महिलाओं ने अस्तांचल  सूर्य  की उपासना की एवं परिवारजनों ने अपने कल्याण के लिए अर्ध्य दिया वहीं शुल्टनकेश्वर महादेव , भास्करा तालाब केशरीपुर  , बाबा बाणा सुर नरउर ,नारायणी बिहार पोखरा , रीवा बीर पोखरा कंदवा आदि घाटों पर छठ पूजा के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। व्रती महिलाओं ने जल में डूब कर सूर्य भगवान की उपासना की एवं अपने मनोकामना के लिए एवं परिवार के कल्याण के लिए तीन दिवसीय व्रत रखकर जल में तपस्या किया पहले दिन नहाए खाए दूसरे दिन करना खीर पुरी तीसरे दिन निर्जला व्रत रखकर शिव की उपासना जल से अर्घ्य दिया।

  क्षेत्र से कुछ लोगों ने गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंचे। छठ व्रती महिलाओं ने अस्तांचल सूर्य का पूजन किया। महिलाएं ढ़ोल नगाड़े की थाप पर सिर पर दौरा में पूजन सामग्री लिए नाचते गाते पहुंची।शाम जब महिलाएं अपने घरों की ओर रवाना हुई तो जगह जगह जाम की स्थिति बनी रही।





बुधवार, 10 नवंबर 2021

बुनकर सरदार की जिम्मेदारी कांटों भरा ताज

सरैया के नये सरदार-महतो की हुई दस्तारबंदी



वाराणसी 10 नवंबर (dil india live)। मोहल्ला सरैया नाजिरपुरा में नये सरदार और महतो की दस्तार बंदी की रस्म बुधवार को अदा की गई। बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ़ दरोगा ने नए सरदार बने रमजान अली को और महतो बने हाजी जलालुद्दीन उर्फ़ लालू की दस्तारबंदी की  इस मौके पर तक़रीर ईदगाह पुरानापुल के इमाम मौलाना शकील अहमद ने तक़रीर में कहा की इस्लाम में सदियो से सरदार और महतो की रवायत रही है और इस्लाम को मानने वाले अपने सरदार के द्वारा किये गए फैसलो को मानते भी है। हम सब को चाहिए की नेक राह पर चले पांचो वक्त के नमाज़ के पाबंद बने और आपस में भाईचारगी और मोहब्बत पैदा करे। इस मौके पर दोनों सरदार, महतो के सर पर पगड़ी बांध कर बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार गुलाम मोहम्मद ने कहा की सरदार और महतो की जिम्मेदारी एक काटो भरा ताज है जिसे निभाने के लिए पूरी तरह से नेक और साफ दिल से फैसले करना होता है। इसमें न कोई अपना है न कोई पराया। सबओ एक सामान मान कर इंसाफ करना है। ताकि किसी के साथ ना इंसाफी न हो हम सब नए सरदार महतो को मुबारक बाद देते हैं। 

इस मौके पर अफरोज अंसारी, पार्षद हाजी ओकास अंसारी, पार्षद गुलशन अली, पार्षद बेलाल अंसारी,हाजी यासीन माइको, हाजी रहीम, हाजी बाबू महतो, याहिया सरदार, गुलाबी चाचा आदि लोग मौजूद थे। 

मंगलवार, 9 नवंबर 2021

“बाल संरक्षण” व “बाल कल्याण कोष” की तैयारी

जिन्हें संरक्षण की ज़रूरत उन बच्चों को मिलेगा लाभ

• जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में निर्णय


वाराणसी 9 नवम्बर (dil india live) जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक मंगलवार को जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभागार में हुई । बैठक में “बाल संरक्षण” व “बाल कल्याण” कोष के गठन का निर्णय लिया गया ।

इस कोष के जरिये बाल संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों को तत्काल मदद उपलब्ध करायी जाएगी। इस कोष में कोई भी व्यक्ति सहायता राशि जमा कर सकता है, जो भी धनराशि कोष में जमा  रहेगी उसको  बाल श्रम / बाल भिक्षावृत्ती / बाल विवाह / बाल यौन शौषण /बाल तस्करी / गंभीर बीमारी से प्रभावित उन बच्चों के मदद के लिए उपयोग किया जाएगा जिन्हें सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की पात्रता में न होने से मदद नहीं दी जा सकती है। साथ ही जिलाधिकारी स्वयं भी आवश्यकता अनुसार किसी जरूरतमंद बच्चे की मदद के लिए उक्त धनराशि का उपयोग कर सकते है । इस कोष का संचालन जिलाधिकारी तथा जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा।  इसका दस्तावेजीकरण जिला बाल संरक्षण इकाई करेगा। 

बैठक में बाल संरक्षण से जुड़े मुद्दों की समीक्षा की गई। जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रवीण त्रिपाठी ने बाल संरक्षण योजना के उद्देश्य तथा किए गए कार्यों से समिति को अवगत कराया। बैठक में उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना (कोविड 19) के कारण माता पिता, अभिभावक खो  चुके बच्चो के प्रकरण में ब्लॉक तथा तहसील स्तर से कुल 248 आवेदनपत्र जांचोपरांत प्राप्त हो चुके है, जिसमे जिला स्तरीय टास्क फोर्स से 248 आवेदन पत्र स्वीकृत हो चुके है। इसमें 202 बच्चों के खाते में तीन माह की धनराशि प्रति बालक/ बालिका 12000 प्रेषित की जा चुकी है। मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना( सामान्य) जिसमे  मार्च 2020 के बाद अगर किसी बच्चे के माता-पिता दोनों, अथवा माता-पिता में किसी  एक की मृत्यु अगर किसी भी कारण से हुई है तथा जो जीवित है उसकी आय 3  लाख से कम है, उसको 2500 रूपये प्रतिमाह  दिए जाने का प्रावधान है। इसके तहत  68 बच्चों के आवेदनपत्र डीटीएफ से स्वीकृत हो चुके है। 

बैठक में भिक्षावृत्ति तथा बाल श्रमिकों को रेस्क्यू किए जाने के लिए उप श्रमायुक्त को निर्देशित किया गया कि श्रम विभाग के सभी अधिकारियों को प्रत्येक चौराहे की जिम्मेदारी दी जाए । साथ ही सम्बन्धित थाने की पुलिस इस कार्य में सहयोग करेगी।  इसी के साथ  ईटभठ्ठा, इंडस्ट्रियल एरिया  आदि का निरीक्षण कर बाल श्रम में लिप्त बच्चों को मुक्त कराते हुए बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत करें। देव दीपावली से पूर्व जनपद को बालश्रम तथा बालभिक्षा वृत्ति से मुक्त कराने हेतु निर्देशित किया गया ।स्पॉन्सरशिप योजना  में विकासखंडवार लंबित आवेदन पत्रों की समीक्षा की गई । जिसमे काशी विद्यापीठ 77, अराजी लाइन 87, पिंडरा 6,चोलापुर में  14 आवेदन पत्र विकास खंड स्तर पर लंबित होने के बारे में समिति को अवगत कराया गया। इस हेतु मुख्य विकास अधिकारी ने  सभी खंड विकास अधिकारी को पत्र प्रेषित कर तत्काल कार्यवाही हेतु निर्देशित किया। बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा समिति को अवगत कराया गया की पी एम केयर फंड हेतु पात्र 8 बच्चे जनपद में पाए गए है जिनके माता तथा पिता दोनों की मृत्यु हो गई है। बैठक में निर्देश दिया गया कि  शिक्षा विभाग, बाल विकास पुष्टाहार विभाग ,श्रम विभाग तथा पुलिस विभाग सभी लोग अपने स्तर पर बच्चो की सुरक्षा व संरक्षण के दृष्टिगत अपने कार्यक्षेत्र में सुनिश्चित करे कि कोई भी बच्चा बालश्रम में न हो। अगर ऐसा पाया जाता है तो तत्काल जनपद स्तर पर सूचना देते हुए कार्रवाई  करवाए।

 बैठक में मुख्य विकास अधिकारी, नोडल अधिकारी विशेष किशोर पुलिस इकाई ग्रामीण तथा कमिश्नरेट, सहायक श्रमायुक्त, शिक्षा विभाग, बाल विकास एवम पुष्टाहार विभाग, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी बाल कल्याण  समिति, किशोर न्याय बोर्ड, पुलिस विभाग,  जिला विद्यालय निरीक्षक, पंचायत विभाग के अधिकारी,बाल संरक्षण अधिकारी, के साथ ही राजकुमार पालीवाल (यूनिसेफ समर्थित कार्यक्रम) तथा जिला बाल संरक्षण इकाई के समस्त स्टाफ उपस्थित थे ।

नागनथैया लीला देख भक्त हुए आत्मविभोर

भगवान श्री कृष्ण ने कालिया नाग का किया मानर्मदन




वाराणसी 09 नवंबर (dil india live)। तुलसीघाट पर सोमवार को शाम के 4 बजते ही भगवान श्री कृष्ण  जब अपने सखाओं संग कंदुक खेलना शुरू किया तो वातावरण कृष्ण की भक्ति में गोते लगाने लगा।लीला प्रसंग के अनुसार यमुना  में गई गेंद को निकालने के लिए कृष्ण कदंब की डाल पर चढ़कर नदी में कूद गए और कुछ क्षण में ही कालिया नाग के फन पर सवार होकर बाहर आये,लोगों को दर्शन दिए तो वहां उमड़ा जनसैलाब कृष्ण की इस लीला को देख आत्मविभोर हो गया। इस दौरान हर -हर महादेव की गूंज, डमरू की गड़गड़ाहट आरती और भजन से पूरा वातावरण गूंज उठा। तुलसीघाट पर सैकड़ों साल पुरानी नागनथैया लीला कल फिर जीवंत हो उठी। कोरोना काल में इस लक्खा मेले के सकुशल आयोजन ने काशी की धार्मिक परम्परा के निर्वहन की एक मिशाल पेश की।3 बजते ही लीला स्थल पर लोगों के आने का क्रम शुरू हुआ महज एक घँटे में अस्सी,तुलसीघाट, रीवा घाट पर भीड़ से भर गयी। नाव,बजड़े पर सवार होकर लोग लीला देखने पहुँचे।संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विशम्भर नाथ  मिश्र और विजय नाथ मिश्रा ने भगवान श्री कृष्ण को माला पहनाया एवं परम्परागत रूप से बजड़े पर सवार महाराज काशी नरेश के प्रतिनिधि अनंत नारायण सिंह ने भी कान्हा को माला पहनाया। मेले सुरक्षा के लिए पुलिस, पीएसी और गंगा में एनडीआरएफ और जल पुलिस के जवान तैनात किए गए थे।3 बजे से ही लीला स्थल की ओर जाने वाले सभी मार्गो पर वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित कर दिया गया था।




सोमवार, 8 नवंबर 2021

डायबिटिक हैं तो चाय में चीनी की जगह इसे डाले

डायबिटिक मरीज़ो के लिए मुफीद स्टीविया


वाराणसी 8 नवंबर (dil india live)। स्टीविया डायबिटीज रोगियों  के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें कैलोरी नहीं के बराबर होती है। इसे मधुरगुणा के नाम से भी जाना जाता है। यह औषधि चीनी की तरह मीठी होती है। डायबिटीज के रोगी चीनी के रूप में स्टीविया का उपयोग कर सकते हैं। इससे शुगर लेवल नहीं बढ़ता है. इसके अलावा स्टीविया हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन, गैस एसिडिटी, त्वचा के रोग आदि के इलाज में भी किया जा सकता है। वजन कम करने में भी यह औषधि बड़े काम की है। इसके सेवन से पैंक्रियास से इंसुलिन रिलीज होता है. इस प्रकार यह इंसुलिन शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को अवशोषित कर शरीर में ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है। 

सूर्योपासना का महापर्व छठ नहाय-खाय के साथ शुरू

स्नान किया, अरवा भोजन छक कर व्रत को किया शुरू 


वाराणसी 8 नवंबर (dil india live)। सूर्योपासना का चार दिवसीय महापर्व छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। लोक आस्था के महापर्व छठ के चार दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ हो गई है। छठ के पहले दिन व्रती महिला-पुरूषों ने अंतःकरण की शुद्धि के लिए नहाय-खाय के संकल्प के तहत नदियों-तालाबों के निर्मल एवं स्वच्छ जल में स्नान करने के बाद अरवा भोजन ग्रहण कर इस व्रत को शुरू किया। सुबह से ही गंगा नदी, तालाब, पोखर आदि में व्रती स्नान करते देखे गए।

परिवार की सुख-समृद्धि तथा कष्टों के निवारण के लिए किये जाने वाले इस व्रत की एक खासियत यह भी है कि इस पर्व को करने के लिए किसी पुरोहित (पंडित) की आवश्यकता नहीं होती है। महापर्व छठ के दूसरे दिन महिला एवं पुरुष व्रती कल एक बार फिर नदियों, तालाबों में स्नान करने के बाद अपना उपवास शुरू करेंगे। दिनभर के निर्जला उपवास के बाद व्रती सूर्यास्त होने पर भगवान सूर्य की पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खायेंगे।

इसके बाद जब तक चांद नजर आयेगा तभी तक वह जल ग्रहण कर सकेंगे और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार-निर्जला व्रत शुरू हो जायेगा। इस महापर्व के तीसरे दिन व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे। व्रतधारी अस्त हो रहे सूर्य को फल और कंद मूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन नदियों और तालाबों में उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जायेगा। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का करीब 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न-जल ग्रहण करते हैं।लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार ही नहीं यूपी में भी धूम है। 

     छठ गीतों की धूम

पूरे बिहार व यूपी में छठी मैया के गीत गूंज रहे हैं, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है। बनारस के गंगा घाट पर कन्हैया दुबे केडी, अमलेश शुक्ला अमन अपनी टीम के साथ छठ मैया के गीत गाते नज़र आये। उधर भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव, निरहुआ, गायिका देवी, पवन सिंह, अनु दुबे और अन्य गायकों के गाए गीतों की अच्छी मांग है। इस पावन पर्व के गीतों में भी इतनी आस्था है कि गीत बजते ही लोगों का सिर श्रद्धा से झुक जाता है। श्रद्धालु पुराने गायकों के साथ-साथ नए गायकों को भी सुनना चाहते हैं।

इस वर्ष कई नए-नए कलाकारों ने छठी माई के गीत भी उपलब्ध है, जिसकी लोगों में काफी मांग देखी जा रही है। जिन घरों में छठ पर्व का आयोजन किया गया उन घरों से तो गीतों की आवाज आ ही रही है इसके अलावा बिहार में जिस रास्ते से गुजरें आपको विभिन्न लोक गायकों की आवाज से सजे ऐसे गीत सुनने को मिल जाएंगे। इन गानों का संयोजन और संकलन छठ महापर्व के लिए ही किया जाता है। छठ गीतों से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि ये एक ही लय में गाए जाते हैं । ‘छठ पूजा’ के लोकगीतों की चर्चा होते ही सबसे पहले पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा का नाम जेहन में आता है। ऐसे कई गीत हैं, जिन्हें शारदा सिन्हा ने अपनी अपनी मधुर आवाज देकर अमर कर दिया है। लोकगीतों के अलावा उन्होंने हिंदी फिल्मों में भी गीत गाए हैं। सूर्य की उपासना का पावन पर्व ‘छठ’ अपने धार्मिक, पारंपरिक और लोक महत्व के साथ ही लोकगीतों की वजह से भी जाना जाता है। घाटों पर ‘छठी मैया की जय, जल्दी-जल्दी उगी हे सूरज देव..’, ‘कईली बरतिया तोहार हे छठीमैया..’ ‘दर्शन दीहीं हे आदित देव..’, ‘कौन दिन उगी छई हे दीनानाथ..’ जैसे गीत सुनाई पड़ते हैं। मंगल गीतों की ध्वनि से वातावरण श्रद्धा और भक्ति से गुंजायमान हो उठता है। इन गीतों की पारम्परिक धुन इतनी मधुर है कि जिसे भोजपुरी बोली समझ में न भी आती हो तो भी गीत सुंदर लगता है। यही कारण है कि इस पारम्परिक धुन का इस्तेमाल सैकड़ों गीतों में हुआ है।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...