शुक्रवार, 15 मार्च 2024

चिरईगांव शिक्षक संघ के अध्यक्ष हुए राजीव व मंत्री बने मनीष

Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ वाराणसी के जिला इकाई के तत्वावधान में गुरुवार को चिरईगांव ब्लॉक के ब्लॉक इकाई का गठन किया गया। चुनाव अधिकारी राकेश पाठक ने नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ सभी प्रकियाओं को पूर्ण करने के पश्चात निर्विरोध निर्वाचित करने की घोषणा की। जिसमे अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह, मंत्री डॉ मनीष कुमार कुशवाहा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष वाकर जहीर, संयुक्त मंत्री श्रीनिवास सिंह समेत अनेक पदों पर निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए। चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में जिलाध्यक्ष चन्दौली विनोद कुमार सिंह ने निर्विरोध निर्वाचित पदाधिकारियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।
जिलाध्यक्ष सकलदेव सिंह, जिलामंत्री शैलेन्द्र विक्रम सिंह, जितेन्द्र सिंह, रमेश यादव, विनोद सिंह, मनोज कुमार सिंह, रमेश त्रिपाठी, दिनेश सिंह,श्यामजी गुप्ता, अनुरूद्ध वर्मा, संतोष सिंह, राकेश तिवारी, दीपक पांडेय,राजेश्वर सिंह,आरती देवी,अनीता सिंह,प्रमिला सिंह,सादिया तबस्सुम,मुहम्मद इकबाल व अरविंद यादव समेत सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

गुरुवार, 14 मार्च 2024

मुकम्मल हुई तरावीह तो हाफिज साहब का हुआ इसतेकबाल


कई मस्जिदों में मुकम्मल हुई तीन दिन की तरावीह 

तरावीह मुकम्मल होने के बाद हाफीज़ साहब का खैरमकदम करते 



Varanasi (dil India live)। रमजान के मुक़द्दस महीने में तमाम मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होना शुरू हो गई है। किसी मस्जिद में तीन दिन की तरावीह तो किसी मस्जिद में सात दिन तो किसी में दस दिन की तो कहीं पंद्रह दिन की तरावीह की नमाज पढ़ाई जा रही है । इसी कड़ी में लाट सरैया स्थित मखदूम शाह बाबा की मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह और लाट मस्जिद पर भी तीन दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई । 

मखदूम शाह बाबा मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह हाफिज मोहम्मद अहमद साहब ने अदा कराई और लाट मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह मोहम्मद जुबैर साहब ने अदा कराई। इन दोनो मस्जिदों पर हजारों लोगो ने तराबी की नमाज पढ़ी। इन दोनो मस्जिदों पर बुनकर बिरादराना तंजीम के सरदार हाजी मकबूल अहमद (मतवल्ली) की सरपरस्ती व पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी की मौजूदगी में तरावीह मुकम्मल कराई गई। इस मौके पर कमेटी के तमाम लोग मौजूद थे। ऐसे ही मदरसा ख़ानम जान अर्दली बाजार में भी तरावीह मुकम्मल हुई।

बुधवार, 13 मार्च 2024

रब की रज़ा का जज़्बा और रख लिया नन्ही उम्र में रोज़ा



Varanasi (dil India live)। रब की रज़ा का जज़्बा दिल में हो तो खुदा बड़े से बड़े काम को आसान कर देता है, यही वजह है कि गौरीगंज के इमरान खान की लखते जिगर मरियम खां ने नन्ही सी उम्र में रोज़ा रखकर मिसाल पेश की है। क्लास 2 की स्टूडेंट मरियम खां ने रमजान का पहला और दूसरा दोनों रोज़ा मुकम्मल किया। मरियम के बड़े पापा इम्तियाज खां कहते हैं कि महज सात साल की मरियम ने मिसाल पेश की है। उसे मुहल्ले के लोग और रिश्तेदारों ने बहुत मुबारकबाद दी। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मरियम नन्ही उम्र में रोज़ा रख देगी, मगर उसने इसे सच साबित किया।

गरीबों व जरुरतमंदों की मदद का नाम है जकात


ये हैं रमजान का असर पैगाम 


Varanasi (dil India live)। इस्लाम में जकात फर्ज हैं। जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम ) है जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।

सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपया पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी जकात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की जकात वाजिब होती है।

"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो।

जकात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार हैं। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द जकात की रकम निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा मुसलमान को दें दे ताकि वह अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जकात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफर, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जाइज नहीं। किसी दूसरे मजहब को जकात देना जाइज नहीं है। क्यों की ये एक मज़हबी टैक्स है। सैयद को जकात देना जाइज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से है। कम मात्रा यानी चांदी का एतबार ज्यादा बेहतर हैं कि सोना इतनी कीमत का सबके पास नहीं। नबी के जमाने में सोना-चांदी की मात्रा मालियत के एतबार से बराबर थीं। अब ऐसा नहीं हैं। गरीब के लिए भलाई कम निसाब (मात्रा) में हैं।

 अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।

डा. एमएम खां (चेयरमैन मुग़ल एकेडमी लल्लापुरा)

अपनी मांगों को लेकर शिक्षकों ने दिया धरना किया प्रदर्शन

 *18 सूत्रीय मांगो को लेकर शिक्षको ने भरी हुंकार

-कहा सुधर जाएं सरकार, नही तो गंभीर होंगे परिणाम



Varanasi (dil India live)। अपने नीजी सिम, डाटा व आईडी से शिक्षक नही करेंगे विभागीय कार्य, विभाग हठधर्मिता से बाज नहीं आया तो शिक्षक असहयोग आंदोलन करेंगे जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी। उक्त बाते उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश नेतृत्व के अहवाहन पर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय वाराणसी पर ऑन लाइन उपस्थिति व सभी प्रकार के पंजिकाओं के डिजिटलाइजेशन के विरोध में एवं शिक्षकों की 18 सूत्री मांगो के समर्थन में आयोजित धरना/ज्ञापन कार्यक्रम में संगठन के जिलाध्यक्ष बिनोद कुमार उपाध्याय ने धरने को संबोधित करते हुए कही। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिला महामंत्री रविन्द्र नाथ यादव ने धरने का संचालन किया। यादव ने धरने को संबोधित करते हुए शिक्षकों से आह्वाहन किया की जब तक विभाग द्वारा इस तरह के शिक्षकों को परेशान व प्रताड़ित करने वाले बेतुके आदेश को वापस करते हुए शिक्षकों की 18 सूत्री मांगो को नही मानी जाती है तब तक इसका विरोध शिक्षक करते रहेंगे। जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष रविन्द्र कुमार सिंह ने कहा की विभाग द्वारा ऐसे आदेश जारी कर शिक्षकों को भयभीत किया जा रहा है। जिससे शिक्षको में काफी रोष है।अपने मूल शिक्षण कार्य को सही ढंग से शिक्षक नही कर पा रहा है।आय दिन नए नए अब्यवहारिक आदेश जारी कर शिक्षकों को परेशान किया जा रहा है।प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मंत्री श्री शैलेंद्र बिक्रम सिंह ने कहा कि विभाग द्वारा विभागीय सिम, डाटा दिए बिना बच्चो की उपस्थिति सहित सभी पंजीकाओ के डीजीटाईजेशन करने का बेतुका निर्देश जारी किया है।जिससे शिक्षक,शिक्षिकाओं. में अपनी निजता क़ो लेकर भय एवं आक्रोश व्याप्त है। सिम हमारा व्यक्तिगत है जिससे हमारे खाते पैनकार्ड, आधारकार्ड आदि लिंक हैं।धरने को मुख्य रूप से आनंद कुमार सिंह मंडल महामंत्री, सकलदेव सिंह जिला अध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ, यसोबर्धन त्रिपाठी जिला अध्यक्ष, अशोक यादव जिला मंत्री विशिष्ट बीटीसी शिक्षक संघ, बीएन यादव जिला मंत्री, एहतेशामुल हक सह सयोजक अटेवा संघ, महेंद्र बहादुर सिंह जिला अध्यक्ष, सतेंद्र सिंह यादव वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीयन संख्या 1160 ,अनुदेशक संघ के जिला अध्यक्ष गणेश दत्त यादव, अमरेंद्र दूबे जिला अध्यक्ष शिक्षामित्र वेलफेयर एसोसिएशन, राजेश कुमार सिंह कोषाध्यक्ष, संतोष सिंह, सत्यनारायण वर्मा, शिवजतन यादव जिला मंत्री, राजेश कुमार सिंह, बसंत लाल, प्रीति शुक्ला, कुमारी प्रतिमा प्रांतीय उपाध्यक्ष, सुनीता जयसवार, आरती गौतम, गिरीश चंद्र यादव, राजेश कौल, बाबूलाल यादव नगर अध्यक्ष आदि ने संबोधित किया।धरने में हजारों की संख्या में शिक्षक उपस्थित थे। अन्त में मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को संबोधित मांगो से संबंधित ज्ञापन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वाराणसी को सौंपा गया।

मंगलवार, 12 मार्च 2024

मोमिनों ने खोला रमजान का पहला रोजा



Varanasi (dil india live). रमजान के पहले रोज मस्जिदों से जैसे ही अजान की सदाएं, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर... की गूंज सुनाई दी, तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से इस साल का पहला रोजा खोला। इफ्तार में कई तरह के लजीज पकवान संग शर्बत भी सजाया गया था। रोज़ा इफ्तार, और मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ नूर ही नूर, हर तरफ खुशी ही खुशी मुस्लिम बहुल इलाकों में देखने को मिली। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी वहीं दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए। पहला रोजा मंगलवार को पड़ा। मस्जिदें पहले ही दिन नमाजियों से भरी हुई थी। इफ्तार के बाद लोगों ने बाजार का रुख किया। इस दौरान सहरी के लिए खरीदारी करते हुए मोमीनीन बाजारों में दिखाई दिए। 

इससे पहले मस्जिदों में नमाजे जोहर व असर के बाद रमजान का टाइम टेबल भी बांटा गया।इस दौरान कई मस्जिदों में नमाज़ के दौरान इमाम साहब आने लोगों को नेकी की दावत देते भी दिखाई दिए। कहां यह महीना नेकियों का महीना है इस महीने की अजमत को समझें और बुराइयों को छोड़कर मोमिनीन ज्यादा से ज्यादा सवाब कमाने में जुट जाएं। उधर ख़्वातीन दोपहर से ही लजीज इफतारी बनाने में जुटी हुई थी। देखते ही देखते कब वक्त इफ्तार का हो गया पता ही नहीं चला और मस्जिदों से अज़ान की सदाएं गूंज उठी रोजेदारों ने पहला रोजा खोला और मुल्क में अमन, मिल्लत और क़ौम की तरक्की की दुआएं मांगी।

इस मस्जिद के सारे नमाज़ी अभी से बैठ गये एतेकाफ पर





Varanasi (dil india live). रमजान की खास इबादतों में शामिल एतेकाफ अमूमन रमजान के आखिरी अशरे में रहा जाता है मगर नबी ने कई बार पूरा रमजान यानी 30 दिन एतेकाफ किया था। नबी कि इसी सुन्नतों पर अमल करते हुए दावते इस्लामी हिंद के मेंबर्स मस्जिद कंकडियाबीर में पूरे रमजान एतेकाफ पर बैठते हैं। इस बार भी दावते इस्लामी इंडिया के मेंबर्स एतेकाफ पर बैठ गए हैं। पूरी मस्जिद इबादतगुजारों से भरी हुई है। एक साथ इबादत,एक साथ जमात से नमाजे अदा करना व एक साथ रोज़ा इफ्तार के साथ ही देश दुनिया में अमन और शांति के लिए दुआएं करने का नजारा देखते ही बनता है। दावते इस्लामी इंडिया के डा. साजिद अत्तारी बताते हैं कि हर साल दावते इस्लामी इंडिया के लोग एक साथ पहले ही रमजान से एतेकाफ पर बैठ जाते हैं और जब ईद का चांद होता है तो एतेकाफ पूरा करके अपने घरों को लौटते हैं।

क्या है एतेकाफ

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत में बैठना या खुद को अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना है। 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ कर देते है। इसी इबादत का नाम एतेकाफ है। 

सुन्नत है "एतेकाफ"

एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानी मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार होगा और पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। 

आपकी रहनुमाई के लिए हेल्पलाइन

अगर आपके जेहन में भी रमजान को लेकर कोई सवाल है तो फोन करें। इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी देंगे।  

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...