मंगलवार, 12 अप्रैल 2022

जानिए रमज़ान में कैसा है मुस्लिम इलाकों का नज़ारा

रोज़ा इफ्तार में फल और शर्बत पर रहा ज़ोर



वाराणसी 12अप्रैल (दिल इंडिया लाइव) मंगलवार को शाम में इफ्तार के दस्तरखान पर  लज़ीज़ इफ्तारी के साथ ही भीषण गर्मी से निजात दिलाने और गला तर करने के लिए फलों और शर्बत पर लोगों का ज्यादा ज़ोर रहा। 

परम्परागत इफ्तारी चने की घुघनी, पकौड़ी के अलावा अलग-अलग घरों में तरह-तरह की इफ्तारियां सजायी गयी थी। भीषण गर्मी से निजात के लिए खरबूजा, तरबूज, रुह आफ्ज़ा, नीबू का शर्बत आदि का भी लोगों ने लुत्फ लिया। रोज़ेदारों ने इन इफ्तारियों का लुत्फ लेने के बाद नमाज़े मगरिब अदा की। इस दौरान रब की बारगाह में सभी ने हाथ फैलाकर दुआएं मांगी। शहर के दालमंडी, नईसड़क, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, कश्मीरीगंज, कोयला बाज़ार, पठानी टोला, चौहट्टा लाल खां, जलालीपुरा, सरैया, पीलीकोठी, कच्चीबाग, बड़ी बाज़ार, अर्दलीबाज़ार, पक्कीबाज़ार, रसूलपुरा, नदेसर, लल्लापुरा आदि इलाकों में रमज़ान की खास चहल पहल दिखाई दी। इस दौरान मुस्लिम इलाकों में असर की नमाज़ के बाद और मगरिब के बाद लोग खरीदारी करने उमड़े हुए थे।

रहमत का अशरा पूरा, मगफिरत का अशरा शुरू

 मस्ज़िद से जैसे ही अज़ान कि सदाएं, अल्लाह हो, अकबर, अल्लाहो अकबर...फिज़ा में गूंजी। रोज़दारों ने खजूर और पानी से रमज़ान का 10 वां रोज़ा खोला। इसी के साथ रमज़ान का पहला अशरा रहमत का पूरा हो गया। बुधवार को रोज़ेदार सहरी करके ग्यारहवां रोज़ा रखेंगे और शाम में रमज़ान के दूसरे अशरे मगफिरत का पहला रोजा मुकम्मल करेंगे।  


सोमवार, 11 अप्रैल 2022

रोज़ा न रखने वाले भी खुलेआम खाने पीने के रमज़ान में हक़दार नहीं

 रमज़ान हेल्प लाइन में आए दिलचस्प सवाल


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। शरीयत ने जिन 
लोगों को रोजा न रखने की इजाजत दी है या जो बेरोज़ेदार हैं क्या वो खुलेआम  सबके सामनेे खा पी सकते है ? यह सवाल रेवड़ीतालाब से शमीम ने रमज़ान हेल्पलाइन में किया तो जवाब में उलेेमा ने कहा कि बेरोज़ेदार को भी खुलेआम खाने पीने की इजाज़त शरीयत में नहीं दी गयी है। चाहे उसे शरीयत रोज़ा न रखने की छुट देता हो या न देता हो। रमज़ान अली ने सवाल किया, रमजान के रोजे की नीयत किस तरह से की जाती है। इस पर उलेमा ने जवाब दिया, नीयत दिल के इरादे  का नाम है मगर जुबान से कह लेना अफज़ल है अगर रात में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म गदन लिल्लाहि तआला मिन फ रजि रमजान"  और दिन में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म हाजल यौम लिल्लाहि तआला मिन फरजिरमाजना"।

रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

रमज़ान की रहमत का सफर होगा कल मुकम्मल

रहमत का अशरा पूरा होते शुरू होगा मगफिरत का अशरा


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का नौ रोज़ा आज मुकम्मल हो गया। कल रमज़ान की रहमत का अशरा पूरा हो जाएगा। रमजान का रहमत का सफर पूरा होने के साथ ही इस माहे मुबारक का दूसरा अशरा मगफिरत शुरू हो जाएगा।

दरअसल रब ने रमजान को तीन अशरो में बांटा है। पहला अशरा रहमत का, दूसरा आशरा मगफिरत और तीसरा अशरा जहन्नुम से आजादी का होता है। अशरा दस दिन को कहते हैं। कहा जाता है कि रहमत के पहले दस दिन रोज़ादारो पर रब अपनी रहमत बरसाता है। फिर दस दिन मगफिरत का होता है जिसमें अल्लाह रोज़ेदारों की गुनाह माफ कर देता है यानी मगफिरत फरमाता है। इसके बाद रमज़ान के आखिरी अशरे में अल्लाह रोज़ेदारों को जहन्नुम से आज़ाद कर देता है।

जो रमजान का पूरा रोजा रखेगा, तीसो दिन रोजा रखने में कामयाब रहेगा। उसे जहन्नम की आग नहीं खा पाएगी और उसे जन्नत में दाखिल किया जाएगा। रोजेदारों के लिए जन्नत में एक खास दरवाजा बाबे रययान होगा, जिसमें से केवल रोजेदार ही जन्नत में दाखिल होंगे। रमजान के तीन अशरो को जिसने भी कामयाबी से पूरा किया, जैसा कि रब चाहता है तो वो रोज़ेदार जन्नत का हकदार होगा। रब उसे जहन्नुम से आजाद कर देगा।

बैसाखी पर हुई थी खालसा पंथ की स्थापना

१३ अप्रैल (बैसाखी) पर खास

धर्म रक्षक गुरु गोविंद सिंह ने किया था खालसा पंथ की स्थापना


-हरजिंदर सिंह राजपूत

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। उस दौर में भारत की जनता हर तरफ से शोषित हो रही थी। तब भारत भूमि ने काल की मांग के अनुरूप एक महापुरुष को जन्म दिया। जिसने ने शिष्यों और अनुयायियों को समाज और राष्ट्र की बलिवेदी पर अपने को चढ़ा देने के लिए आह्वान ही नहीं किया वरना स्वयं एवं अपने पूरे परिवार को इस बलिवेदी पर चढ़ा दिया। यह महापुरुष थे सिखों के दसवें पातशाह गुरु गोविंद सिंह। इनके दो छोटे पुत्र फतेह सिंह एवं जोरावर सिंह को उस दौर के बादशाह ने धर्म परिवर्तन न करने पर जिंदा सरहिन्द की दीवारों में चुनवा दिया और इनके दो बड़े पुत्र अजीत सिंह और जुआर सिंह युद्ध में जूझते-जूझते वीरगति को प्राप्त हुये। जब गुरु गोविंद सिंह युद्ध से लौटे तो उनकी पत्नी ने अपने ४ बेटों के बारे में पूछा। इस पर गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि- 

इन पुत्रों के कारणे वार दिये सूत चार 

चार मुये तो क्या हुआ जीवित कई हजार।

इस महापुरुष का जन्म 22 दिसंबर सन, 1666, ईस्वी को पटना बिहार प्रांत के नगर में हुआ था। गुरु गोविंद सिंह ने देखा कि किस तरह उनके पिता गुरु तेगबहादुर को चांदनी चौक दिल्ली में इस्लाम धर्म न कबूल करने के आरोप में सरेआम कत्ल किये जाने पर उनका शीश और धड़ उठाने में लोग झिझक रहे थे और चोरी-छिपे उसे उचित जगह पर ले जाया गया था। यह बस इसलिए हुआ कि वह पहचान लिया जाएगा कि वह हिंदू है और उसका भी कत्ल कर दिया जाएगा। प्राणो के लिए इतना मोह की हिंदू के लिए हिंदू कहना भी मानो मौत को बुलाने के समान हो। यह सब गुरुजी से देखा न गया। इस पर उन्होंने प्रण किया कि मैं एक ऐसी बहादुर, लड़ाकू, विवेकशील और भारतीयता और मानवता के नाम पर मर मिटने को हमेशा तैयार रहने वाली कौम पैदा करूंगा जो वीरता में तो आदि्तीयत होगी ही साथ ही साथ उसके बाहरी चेहरे के स्वरूप के कारण उसका सदस्य लाखों में बड़ा पहचाना जाएगा कि वह भारतीय है।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने पंजाब के आन्नदपुर नामक स्थान पर 13 अप्रैल 1699 को बैसाखी वाले दिन एक बड़ी विशाल आमसभा का आयोजन किया गया, सभा की कार्रवाई शुरू करते ही उन्होंने कहा कि मुझे देश धर्म और समाज की रक्षा के लिए शीश (सिर) की आवश्यकता है। उनका यह क्रांतिकारी ऐलान सुनकर जनता में खलबली सी मच गई परन्तु कुछ समय उपरांत एक वीर उठा उसने कहा गुरु जी धर्म रक्षा के लिए मेरा शीश अर्पित है। गुरुजी उसके पास वाले खेमे में ले गए और उसका सिर धड़ विच्छेद कर दिया और पुनः बाहर आकर शीश की मांग दोहराई इसी प्रकार पांच वीरों की शीश धड़ से अलग कर पुनः उन्हें जीवित करके बाहर लाये और कहा यह हमारे प्रेरणा स्रोत पांच प्यारे हैं। उनको खंण्डे का अमृत पिलाया और कच्छ, कड़ा, कंघा, केश और कृपाण देकर सिंह नामक अलंकार से विभूषित किया। और उनसे बूंद अमृत पान करके "आपे गुरु चेला" का एक प्रेरणाप्रद मिसाल दुनिया के समक्ष रखी ऐसा दूसरा उदाहरण इस संसार में मिलना कठिन है।

खालसा पंथ का निर्माण कर के गुरु गोविंद सिंह जी ने अपना प्रण पूरा कर दिखाया इसका इतिहास और वर्तमान साक्षी है। वास्तव में गुरु गोविंद सिंह जी एवं सिख धर्म गुरुओं का उद्देश्य कोई नया धर्म कायम करने का ना था। उन्होंने सभी धर्म में समानता कायम करने और मिथ्या धार्मिक आय अम्बारो से बचकर ईश्वर को मानने के प्रेरणा दी।

विभिन्न धर्मानुयायी अभी तक जिन कमजोरियों के शिकार होते आये हैं और उनके तथाकथित गुरु या धर्माचार्य उन्हें भ्रमित करते आ रहे हैं। उससे बचने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने शब्द ब्रह्म की उपासना करने की प्रेरणा दी उस समय विश्व की जो भी प्रांतीय सीमाएं थी और उनकी उपासना करने वाले जितने भी संत महात्मा और कवि थे उन सभी की उत्कृष्ट रचनाओं को एक जगह संग्रहित करके उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को ही परमेश्वर मारने की शिक्षा दी और इस संदर्भ में कहा-

सब सीखन को हुकम है,

 गुरु मान्यो ग्रंथ गुरु ग्रंथ!

गुरु ग्रन्थ जी मानयो,

  प्रगट गुरु की देह!

 जाका हृदय शुद्ध है, 

खोज शब्द में लेह!

गुरु ग्रंथ साहिब में हर प्रांत ही नहीं हर जाति के ब्राह्मण से लेकर शुद्ध और सूफी, संतों, हिंदू मुसलमान रचनाकारों की रचनाओं कौन संग्रहित कर के धर्म क्षेत्र में एक क्रांतिकारी मिसाल पेश की।

रविवार, 10 अप्रैल 2022

रमज़ान गुनाहों की माफी का महीना है: नबील हैदर


Varanasi (dil India live )। रमज़ान तमाम मुसलमानो के लिए मगफिरत के साथ ही बेहतरीन इबादतों का महीना है। उक्त बातें जोहर की नमाज के बाद अर्दली बाज़ार में एक जलसे में तकरीर करते हुए सैय्यद नबील हैदर ने कहीं। उन्होंने कहा कि रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही मुबारक महीना है। इस महीने मुसलमानो की सबसे पवित्र किताब कुरान नाजिल हुई थी। नबील ने कहा कि रमज़ान के 30 दिनो को तीन भागों में बाटा गया है, जिसे अरबी में अशरा कहा गया है दस दस दिन के तीन अशरे होते है। पहला अशरे को रहमत का अशरा कहा जाता है। इस दौरान जितने भी नेक काम किए जाते है अल्लाह बंदे को अपनी रहमत बरसाता है। दूसरा अशरा मगफिरत यानी माफी का अशरा कहा जाता हैं। इसमें इबादत करने वाले बंदे की गुनाहों को अल्लाह माफ कर देता है। तीसरा अशरा बेहद खास माना गया है ये जहन्नम से आजादी का। जो बंदा रमज़ान का पूरा रोज़ा मुकम्मल करता है रब उसे जहन्नुम की आग से आज़ाद कर देता है।

गर्भवती की करें खास देखभाल ताकि जच्चा-बच्चा बनें खुशहाल

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (11 अप्रैल) पर विशेष

प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराएं, खुद के साथ गर्भस्थ को सुरक्षित बनाएं 

० पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत तीन किश्तों में 5000 रुपये पाएँ 

० जननी सुरक्षा योजना व मुफ्त एम्बुलेंस की सुविधा का भी लाभ उठाएं 

 वाराणसी 10 अप्रैल (dil India live ) मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। समुदाय में इस बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने और इसके लिए मौजूद हर सुविधाओं का लाभ उठाने के बारे में जागरूकता के लिए ही हर साल 11 अप्रैल को सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी। 

    डॉ संदीप चौधरी का कहना है कि गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहाँ एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाया जा सके। 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ एके मौर्य ने बताया कि पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं । इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं । प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है तो यदि किसी कारणवश मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है तो मातृ मृत्यु की समीक्षा भी होती है । सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुँचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है । 

० जटिलता वाली गर्भवती (एचआरपी) की पहचान 

० दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो 

० बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गयी हो 

० कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो 

० प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो 

पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो।

 गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो 

० हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबीटीज) 

० दिल या गुर्दे की बीमारी , टीबी या मिर्गी की बीमारी 

पीलिया, लीवर की बीमारी या हाईपोथायराइड 

वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं

० गंभीर एनीमिया- सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन 

० ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक 

० गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा 

० चौथे महीने के बाद खून जाना 

० गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना 

० एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना  

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय* का कहना है कि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चल रहीं हैं । इनका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें । आशा कार्यकर्ता इसमें अहम् भूमिका निभा रहीं हैं । उनका कहना है कि मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया जा सके । इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखे और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करे, आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करे । प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए और मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नम्बर याद रखना चाहिए । समय का प्रबन्धन भी अहम् होता है क्योंकि  एम्बुलेंस को सूचित करने में विलम्ब करने और अस्पताल पहुँचने में देरी से खतरा बढ़ सकता  है।  

गर्भावस्था की सच्ची सहेली बनीं आशा

  आशा कार्यकर्ता गर्भ का पता चलते ही गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करने में सच्ची सहेली की भूमिका अदा करती हैं । इसके साथ ही प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराने में मदद करती हैं । संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करतीं हैं और प्रसव के लिए साथ में अस्पताल तक महिला का साथ निभाती हैं ।

खजूर की डालियों संग मसीही समुदाय ने निकाला जुलूस

महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की घटना का हुआ जिक्र

वाराणसी १० अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। ईसाई समाज ने प्रभु यीशु के यरुसलम में आने की खुशी में रविवार को खजूर इतवार मनाया। इस मौके पर गिरजाघरों को खजूर की पत्तियों से सजाया गया था। साथ ही विशेष प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मसीही समुदाय के लोगो ने शिरकत की। आयोजन के दौरान महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की उस घटना का जिक्र जब प्रभु यीशु यरुशलम में राजाओं की तरह प्रवेश किया था।

इस दौरान सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप यूजीन जोसेफ की अगुवाई में जुलूस निकाला गया तो फादर विजय शांति राज के संयोजन में प्रार्थना सभा हुई। ऐसे ही लाल गिरजा से पादरी संजय दान, चर्च आफ बनारस में पादरी बेन जान, राम कटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार, ईसीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, सेंट पाल चर्च में पादरी सैम जोशुआ, सेंट थॉमस चर्च में पादरी न्यूटन स्टीवन्स व विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी ने अजय कुमार पास्टर एसपी सिंह ने आराधना कराया। ऐसे ही बनारस और आसपास के तमाम गिरजाघरों में खजूर की डालियों संग जुलूस निकाला गया। मसीही विश्वासी खजूर की डालियां लेकर चर्च जायें और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। संडे को जुलूस सम्पन्न होने के साथ ही सोमवार से दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत होगी। कोविड काल के बाद पहली बार यह पर्व जोश और उत्साह से मनाया गया।

दरअसल खजूर इतवार प्रभु यीशु के यरुशलम में प्रवेश करने की खुशी में मनाया जाता है। उस दौर में येरुशलम के लोगों ने उनका स्वागत खजूर की डालियां लहरा कर राजा की तरह किया था। उनकी इसी याद के रूप में पाम संडे मनाया जाता है। अब 14 अप्रैल को पवित्र गुरुवार होगा तो 15 अप्रैल को गुड फ्रायडे मनाया जाएगा। 17 को प्रभु यीशु मसीह के जी उठने की खुशी में ईस्टर मनेगा।


Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...