ख़ुशी चाहते हो तो कभी भगवान को मत भूलना: मुनि विशद सागर
- पर्युषण महापर्व का दूसरा दिन, मंदिरों में जुटे जैनी
- मंदिरों में हुआ प्रवचन के उपरांत भजन, जिनवाणी, पूजन
- मार्दव धर्म मृदुता, कोमलता, विनम्रता और झुकने का धर्म
वाराणसी 11 सितंबर (दिल इंडिया लाइव)। मन को मान में नहीं अपने भगवान के गुणगान में लगाने वाले के पास अहंकार , अभिमान कोशों दूर रहता है ,और उत्तम मार्दव धर्म उसके पास सदा रहता है ।श्री दिगंबर जैन समाज काशी के तत्वावधान में चल रहे पर्युषण महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को प्रातः भगवान पार्श्वनाथ की जन्म स्थली भेलुपूर में चातुर्मास कर रहे श्री 108 आचार्य मुनि विशद सागरजी महाराज ने अपने मुखारविंद से कहा -“मार्दव धर्म कहता है कि, नभ में जाना है तो नमना सीखो, अपने अहंकार का त्याग करो। मार्दव धर्म मृदुता, कोमलता, विनम्रता और झुकने का धर्म है। जो व्यक्ति झुकता है वही महान बनता है।
“ मुनि श्री ने कहा ,”त्याग स्नेह से श्रेष्ठ है ,चरित्र सुंदरता से श्रेष्ठ है, मानवता सम्पत्ति से श्रेष्ठ है परंतु परस्पर संबंधों को जीवित रखने से अधिक कुछ भी श्रेष्ठ नहीं हैं, इसलिए संबंधों की हमेशा रक्षा कीजिए। सदाचारी बनना है तो अभिमान को तजना होगा।”
प्रातः ही मंदिर जी में तीर्थंकरों का अभिषेक के साथ मानव के कल्याण के लिए रिद्धि- सिद्धी , बुद्धि-वृद्धि प्रदायक विधान आयोजित किया गया। द्वितीय दिवस पर भी नगर की समस्त जैन मंदिरों में तीर्थंकरों का पूजन अभिषेक के साथ व्रत -उपवास ,स्वाध्याय , जाप इत्यादि किया गया ।
सायंकाल मंदिरों में प्रवचन के उपरांत भजन, जिनवाणी, पूजन , शास्त्र पूजन, तीर्थंकरों की आरती की गई। महिला मंडल द्वारा भेलुपूर जैन मंदिर में आर्यिका 105 श्री सरसमति माताजी के सानिध्य में बच्चों द्वारा स्तुति और भजन प्रस्तुत किया गया |आयोजन में प्रमुख रूप से अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मंत्री अरूण जैन, विनोद जैन, तरुण जैन , राजकुमार बागड़ा, सुधीर पोद्दार, रत्नेश जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।