मंगलवार, 27 अप्रैल 2021
सोमवार, 26 अप्रैल 2021
रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब
खजूर, किशमिश, मुनक्के पर भी निकाल सकते हैं फितरा
-ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें सदका-ए-फित्र
इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
रमजान में नाजिल हुई थीं आसमानी किताबें
रमज़ान का पैग़ाम -13
(26-04-2021)
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) यूं तो साल का सारा दिन और सारी रात अल्लाह के बनाये हुए हैं, लेकिन रमज़ान महीने के दिन व रात को कुछ खास खुसूसियत हासिल है। इसकी वजह यह है कि मुकद्दस रमज़ान महीने के एक-एक पल को अल्लाह ने अपना बताया है। यह महीना बरकतों और रहमतों का है। इस महीने में इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा खुदा अता फरमाता है। इस महीने में मुकद्दस कुरान शरीफ नाज़िल हुई। रमज़ान में एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनों की इबादत से बेहतर है। इसे शबे कद्र कहते हैं। इस रात हज़रत जिबरीले अमीन दूसरे फरिश्तों के साथ अर्श से ज़मी पर रहमतें लेकर नाज़िल हुए थे। यह वो महीना है जिसमें तोहफे हजरते इब्राहिम (हजरत इब्राहिम की पाक किताब) नाज़िल हुई। इसी महीने में हजरते मूसा की किताब तौरेत का भी नुज़ूल हुआ और यही वो महीना है जिसमें हजरते ईसा की किताब इंजील आसमान से उतारी गयी। इस महीने में बहुत सी मुबारक बातें पेश आयीं जिनसे इसकी फज़ीलत में चार चांद लग गया है। नज़ीर के तौर पर रसूले इस्लाम के पौत्र इमाम हसन मुजतबा पन्द्रह रमज़ान को पैदा हुए। इस्लामी लश्कर ने बद्र और हुनैन जैसी जंगों को इसी महीने में जीता। मुकद्दस रमज़ान में ही मुश्किलकुशा मौला अली की शहादत हुई जिससे पूरी दुनिया में उनके मानने वाले गमज़दा हुए मगर हज़रत अली ने इसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी बताया। हज़रत अली मुश्किलकुशा कहते हैं कि रोज़ा इसलिए जरूरी किया गया है ताकि बंदे के एखलाक को आज़माया जा सके और उनके खुलूस का इम्तेहान लिया जा सके और यही सच्चाई है कि दूसरे सारे फर्ज़ में इंसान कुछ करके अल्लाह ताला के हुक्म पर अमल करता है मगर रोज़े में कुछ चीज़ों को अंजाम न देकर अपने फर्ज़ को पूरा करके खुदा के हुक्म को मानता है। दूसरे किसी भी अम्ल में दिखावे की संभावना रहती है मगर रोज़े में ऐसा नहीं हो सकता। अल्लाह का कोई बंदा जब खुलूसे नीयत के साथ उसे खुश करने के लिए रोज़ा रखता है तो उसके बदले में खुदा भी उसकी दुआओं को क़ुबूल करता है। जैसा की रसूले अकरम (स.) और उनके मासूम वारिसों ने फरमाया है कि रोज़ेदार इफ्तार के वक्त कोई दुआ करता है तो उसकी दुआ वापस नहीं होती। ऐ पाक परवरदिगार हमें रोज़ा रखने की तौफीक दे। ताकि हमारी दुआओं में असर पैदा हो सके और खुदा के फैज़ से हमारी ईद हो जाये..आमीन।
मौलाना नदीम असगर
शिया आलिम (जव्वादिया अरबी कालेज, वाराणसी)
रविवार, 25 अप्रैल 2021
प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र का निधन
डीएवी के पुरातन छात्र थे पंडित राजन मिश्र
ज़कात का पैसा निकालो तो फौरन हक़दार को अदा करो
रमज़ान हेल्प लाईन: आपके सवालों का जवाब दे रहें हैं मुफ्ती साहब
लोहता से, जिस पर उलेमा ने कहा कि पहले बिस्मिल्लाह करके रोज़ा खोले फिर रोज़े की दुआ पढ़े। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।
इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई
9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
रमज़ान का पैग़ाम-12(25-04-2021)
सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया है, जिसकी इजाज़त शरीयत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लो, यह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीट, बहस, लड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथ, दूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करे, पड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चािहए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, इबादत करने की तौफीक दे ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।
मो. शाहिद खां
{सदर, हिन्दुस्तानी तहजीब वाराणसी}
जी हां मैं हूँ नन्हें रोज़ेदार
हट्टे-कट्टे बेरोज़ेदारों के लिए आईना है नन्हा अज़हान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है, मगर धूप, उमस और भीषण गर्मी की परवाह किये बिना भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे रोज़ा रख रहे हैं। ऐसे ही बच्चों की फेहरिस्त में शामिल है। हुकुलगंज के नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद अज़हान। आदिल इस्लाम व नौशीन परवीन के लख्ते जिगर अज़हान ने आज अपनी जिन्दगी का पहला रोज़ा रखा। सात साल की छोटी सी उम्र में रोज़ा रखकर इस नन्हें रोज़ेदार ने उन बेरोज़ेदारों को आईना दिखाया है जो हट्टे-कट्टे होकर भी रब की रज़ा के लिए रोज़ा नहीं रखते। आदिल कहते हैं कि हम लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि अज़हान सच में रोज़ा रख लेगा मगर जब 12 बजे तक उसने कुछ नहीं खाया तो हम लोगों ने भी मना नहीं किया। शाम में जब अज़ान हुई तो रोज़ा खोलकर नन्हें अज़हान ने पूरी कायनात के लिए दुआएं की।
Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय
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