बुधवार, 30 अक्तूबर 2024

Happy diwali:बच्चों की रंगोलियां ने मोहा अध्यापकों का मन@dilindialive

दीपावली पर उपहार पाकर स्कूल की रसोईयां हुईं खुश


Varanasi (dil India live)। प्राथमिक विद्यालय ठटरा (प्रथम) सेवापुरी वाराणसी के कई पुरस्कार से सम्मानित सहायक अध्यापक अब्दुर्रहमान ने बच्चो के संग केक काट कर जहां अपना जन्म दिन मनाया वहीं खुशी के इस अवसर पर अब्दुर्रहमान ने स्कूल में कार्यरत सभी चार रसोइयों को साड़ी एवं धोती का उपहार देकर उनकी दीपावली खुशनुमा कर दी। इस अवसर पर सहायक अध्यापक मनीष कुमार गौंड, गोपी वर्मा, मनोज कुमार मौर्य, कल्पना सिंह, अंजली आर्य और जागृति सिंह आदि मौजूद रहीं। इस के साथ कक्षा एक से पांच तक के सभी बच्चों ने अपने कक्षा अध्यापक की देख रेख में बहुत सुंदर रंगोलियां सजाईं। 

इस अवसर पर प्रधानाध्यापक रेनू गुप्ता, सहायक अध्यापक अब्दुर्रहमान, गोपी वर्मा, मनीष कुमार गौंड, मनोज कुमार मौर्य, कल्पना सिंह, अंजली आर्य, जागृति सिंह, संगीता सिंह, संयोगिता पाण्डेय, सौम्यता दुबे, अंजली गुप्ता, राजेश कुमार मौर्य और अशोक कुमार सुधांशु आदि अध्यापकों ने बच्चों की प्रशंसा की और दुआओं से नवाजा व दीपावली की मुबारकबाद दी।

Varanasi news: सुरक्षा घेरे में मनेगी दीपावली रहेगा खास इंतजाम@dilindialive

तीसरी आंखें और ड्रोन से भी की जा रही निगरानी

पुलिस आयुक्त ने दिया छोटी से छोटी सूचना पर तत्काल कार्रवाई के निर्देश


Varanasi (dil India live)। दीपावली, भैया दूज, गोवर्धन पूजा, तक आदि तयोहारों को लेकर वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस अलर्ट मोड़ में है। अधिकारियों से लेकर सिपाहियों तक की जहां ड्यूटी सड़क पर लगाई गई है, वहीं सादे वेश में पुलिसकर्मी और पुलिस इंटेलिजेंस भी सतर्क है। ड्रोन से भीड़भाड़ वाले इलाकों की निगरानी की जा रही है। धनतेरस पर पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल ने बाजार में सुरक्षा व्यवस्था देखी। उन्होंने काशी विश्वनाथ धाम, अन्नपूर्णा मंदिर समेत आसपास के इलाके में भ्रमण किया। मातहतों को जरूरी निर्देश दिए।

पुलिस आयुक्त ने अन्नपूर्णा मंदिर का भ्रमण कर वहां की सुरक्षा व्यवस्था परखी। उन्होंने बताया कि धनतेरस और दीपावली पर सराफा की दुकानों व बाजारों में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। सादे वेश में भी पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।


बताया कि प्रमुख मार्गों, चौराहों और बाजारों में पुलिसकर्मियों के साथ ही अधिकारी भी गश्त कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सभी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे क्षेत्र में लगातार भ्रमणशील रहें। छोटी से छोटी सूचना पर भी त्वरित कार्रवाई करें। कहा कि पटाखा गोदाम, दुकानों की सघन जांच कर सुरक्षा मानकों का शत-प्रतिशत पालन सुनिश्चित किया जाए। पटाखा बिक्री वाले स्थलों पर फायर ब्रिगेड के जवान तैनात रहेंगे। 

पुलिस आयुक्त के निर्देशानुसार पुलिस ने शहर के लहुराबीर, चेतगंज, नई सड़क, गोदौलिया, रामापुरा, जंगमबाड़ी, भेलूपुर, लंका, दुर्गाकुंड, चेतमणि, रथयात्रा आदि इलाकों में पैदल गश्त किया। निरीक्षण के दौरान अपर पुलिस आयुक्त एस चन्नप्पा, डीसीपी काशी जोन गौरव बंसवाल, एडीसीपी नीतू कात्यायन, एसीपी दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक, दशाश्वमेध थाना प्रभारी प्रमोद कुमार पांडेय, चौक थाना प्रभारी विमल कुमार मिश्रा समेत सभी चौकी इंचार्ज मौजूद रहे।

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

Dr Rahat Indori@dilindialive


लोग हर मोड़ पे रुक रुक के सँभलते क्यूँ हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूँ हैं
मय-कदा ज़र्फ़ के मेआ'र का पैमाना है
ख़ाली शीशों की तरह लोग उछलते क्यूँ हैं


मोड़ होता है जवानी का सँभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूँ हैं
नींद से मेरा तअल्लुक़ ही नहीं बरसों से
ख़्वाब आ आ के मिरी छत पे टहलते क्यूँ हैं


मैं न जुगनू हूँ दिया हूँ न कोई तारा हूँ
रौशनी वाले मिरे नाम से जलते क्यूँ हैं।

Sardar Ballabhbhai Patel जयंती एकता दिवस के रूप में मनी@dilindialive

सरदार बल्लभ भाई पटेल की 141 वीं जयंती पर दी श्रद्धांजलि 


Varanasi (dil India live)। कंपोजिट विद्यालय खानपुर विकासखंड चिरईगांव वाराणसी में लोह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती एकता दिवस के रूप में मनायी गई। इस अवसर पर विद्यालय परिवार द्वारा सरदार वल्लभभाई पटेल के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि अर्पित किया गया। उत्तर प्रदेशीय  प्राथमिक शिक्षक संघ पंजीयन 1160 के जिला अध्यक्ष महेंद्र बहादुर सिंह ने उपस्थित लोगों को प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी लोह पुरुष सरदार पटेल द्वारा दिया गया नारा "एक भारत श्रेष्ठ भारत" का संस्मरण कराया और आगे कहा की उनके द्वारा दिया गया नारा आज हमारे देश की अखंडता का आधार बना है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर विद्यालय की इंचार्ज प्रधानाध्यापिका इंदिरा सिंह, सहायक अध्यापिका नीलिमा प्रभाकर, मालती यादव, पूजा तिवारी, पार्वती राय आदि ने उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की।

सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

बाबा विश्वनाथ के फूलों से बनी अगरबत्ती व हैण्डमेड बुके से उपजिलाधिकारी, पिंडरा का स्वागत @dilindialive



Varanasi (dil India live). वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान विभाग के सहयोग से एवं साईं इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल डेवलपमेंट द्वारा ग्रामीण महिलाओं के लिए संचालित पारंपरिक कला एवं शिल्प कार्यक्रम के अंतर्गत, मंदिर पर अर्पित फूलों से तैयार किए गए प्राकृतिक उत्पादों से पिंडरा की उप जिलाधिकारी प्रतिभा मिश्रा का स्वागत किया गया। इस स्वागत समारोह में साईं इंस्टिट्यूट के सचिव अजय सिंह ने उप जिलाधिकारी को महिलाओं द्वारा बनाए गए हैंडमेड बुके, और बाबा विश्वनाथ मंदिर पर अर्पित फूलों से निर्मित अगरबत्ती, धूप, कोन, और हवन कप का उपहार देकर सम्मानित किया।

इस अवसर पर संस्थान के निदेशक अजय सिंह ने बताया कि साईं इंस्टिट्यूट ग्रामीण महिलाओं को पारंपरिक कला और शिल्प में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के सहयोग से बाबा विश्वनाथ मंदिर पर अर्पित फूलों से विविध उत्पाद बनाने का प्रशिक्षण महिलाओं को दिया गया है, जिसके माध्यम से ये महिलाएं अगरबत्ती आदि का निर्माण कर आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं।


इस मौके पर संस्थान की फैशन डिजाइनर अनुपमा दुबे ने हैंडमेड बुके भेंटकर उपजिलाधिकारी का विशेष स्वागत किया। यह स्वागत समारोह पिंडरा तहसील को प्रदेश में आई.जी.आर.एस. में 16 वीं बार प्रथम स्थान प्राप्त करने पर किया गया, जो सराहनीय उपलब्धि है। इस अवसर पर तहसीलदार श्री विकास पाण्डेय भी मौजूद थे। यह कार्यक्रम ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक विकास एवं स्वावलंबन की दिशा में साईं इंस्टिट्यूट के प्रयासों को और सशक्त बनाने का एक प्रेरणादायक उदाहरण है।

शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

Jamiyat Ulema banaras का प्रतिनिधिमंडल पुलिस कमिश्नर से मिला, मौजूदा हालात पर की चर्चा@dilindialive

असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह

सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के विरुद्ध विधिसम्मत हो कार्यवाही: मौलाना अहमद शकील

Varanasi (dil India live te)। जमीयत उलमा बनारस के एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को हाफिज़ ओबैदुल्लाह के नेतृत्व में वाराणसी पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से मुलाकात की। बैठक का उद्देश्य विगत कुछ दिनों से शहर में हो रही दुर्घटनाओं के फलस्वरूप शहर के शांतिप्रिय लोगों में व्याप्त चिंताओं से प्रशासन को अवगत कराना था। इस अवसर पर जमीयत उलमा पूर्वी उत्तर प्रदेश के जनरल सेक्रेटरी हाफिज़ उबैदुल्लाह ने कहा कि आज कुछ मुट्ठी भर लोग शहर के सौहार्दपूर्ण वातावरण को दूषित करने का कुप्रयास कर रहे हैं, ऐसे लोग न केवल समाज के बल्कि इस देश के भी दुश्मन हैं। ऐसे तत्वों से समाज के सभी वर्गों को संयुक्त रूप से मुकाबला करना होगा। जमीयत उलमा ए बनारस के जनरल सेक्रेटरी मौलाना अहमद शकील क़ासमी ने कहा कि हमारा शहर पूरे विश्व में अपनी गंगा जमुनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन वर्तमान में कुछ तत्व निरंतर इस प्रयास में लगे हैं कि शहर का सौहार्दपूर्ण वातावरण प्रभावित हो। ऐसे तत्वों को क़ानून के अनुसार सज़ा देना और उन्हें क़ानून का पाबंद बनाना ज़िला प्रशासन की प्राथमिक ज़िम्मेदारी है। यदि प्रशासन अपने दायित्वों का निर्वहन करेगा तो लोग भी स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे। इस अवसर पर प्रतिनिधिमंडल ने जमीयत उलमा ए बनारस की ओर से कमिश्नर साहब को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें ज़िला प्रशासन से यह मांग की गई कि शहर में विगत दिनों हुई घटनाओं की गहन और निष्पक्ष जांच कराई जाए, उसके ज़िम्मेदार व्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी किसी घटना की पुनरावृत्ति न हो पाए। इसी के साथ इन घटनाओं के पीड़ितों को न्याय एवं शासन से उनकी आर्थिक सहायता की मांग भी की गई। प्रतिनिधिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी अपनी बात रखी। पुलिस कमिश्नर ने सभी की बातों को बहुत गंभीरता से सुना और शहर में हो रही घटनाओं पर अपनी चिंता भी व्यक्त की और ऐसे तत्वों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई का वादा भी किया और अपने अधीनस्थ अधिकारियों को तत्काल निर्देश दिए और जल्द ही उनके साथ एक बैठक भी तय की गई ताकि भविष्य की कार्य योजना तय की जा सके। पुलिस कमिश्नर ने जमीयत उलमा के सदस्यों का इन चिंताओं को सामने लाने के लिए आभार प्रकट किया और सराहना की।

प्रतिनिधिमंडल में उपर्युक्त व्यक्तियों के अतिरिक्त हाजी मुहम्मद फुज़ैल, हाजी फैय्याज़, हाफ़िज़ अबु हम्ज़ा, हाजी अब्दुल्लतीफ, हाजी शाहिद जमाल और मुहम्मद रिज़वान शामिल थे।

शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2024

Sahir Ludhianvi@dilindialive: प्रगतिशीलता और समाजवादी विचारधारा के अलम्बरदार

यादें : साहिर लुधियानवी नेहरूवियन और समाजवादी भी 

Varanasi (dil india live)। साहिर लुधियानवी कोई साधारण फिल्मी शायर नहीं वल्कि प्रगतिशीलता और समाजवादी विचारधारा के अलम्बरदार किरदार हैं. 59 साल की कम उम्र में अपनी मृत्यु के समय वे कैरियर के ऊंचे पायदान पर थे.उनका नेहरूवियन और समाजवादी होना जग जाहिर हो चुका था.उनके गीत इंक़लाब और बदलाव के गीत बन चुके थे,जिन्हें आज भी यदा-कदा इंक़लाबी जलसों में सुना जा सकता है.

     साहिर 1950 में मुंबई आ गए.1950 में फिल्म 'आजादी की राह पर ' में अपना पहला गीत 'बदल रही है जिन्दगी ' लिखा.वर्ष 1951 में एस डी बर्मन की धुन पर फिल्म नौजवान में लिखे अपने गीत ' ठंडी हवाएं लहरा के आए ' सुपरहिट रहा ।इसके बाद साहिर ने कभी मुडकर नही देखा । साहिर ने खय्याम के संगीत निर्देशन में 1958 में फिल्म ' फिर सुबह होगी 'का गीत ' वो सुबह कभी तो आयेगी ' ने काफी नाम कमाया.

     गुरूदत की फिल्म प्यासा साहिर के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुई.मुंबई के मिनर्वा टाकीज में जब यह फिल्म दिखाई जा रही थी तब जैसे ही साहिर का लिखा क्रान्तिकारी गीत "जिन्हें नाज है हिन्द पर वो कहाँ हैं " बजा तब दर्शक अपनी सीट से उठ खडे हुए और गाने की समाप्ति तक तालियां बजाते रहे.बाद में दर्शकों की मांग पर इसे तीन बार बजाया गया.फिल्म इण्डस्ट्री के इतिहास में शायद ये पहली बार हुआ.

       तीन दशक से ज्यादा वर्षों तक हिन्दी सिनेमा को अपने इंक़लाबी गीतों से आंदोलित करने वाले साहिर 59 साल की उम्र में 25 अक्टूबर 1980 में इस दुनिया को अलविदा कह गए. 

 

साहिर के कुछ महत्वपूर्ण गीत...

1. तेरे प्यार का आसरा चाहता हूँ-----

2. मैं जिन्दगी का साथ निभाता चला-----

3. न मुँह छुपा के जिओ------

4. उड़े जब जब जुल्फें तेरी-----

5. मेरे दिल में आज क्या है-----

6. तोरा मन दर्पण कहलाये-----

7. मैं पल दो पल का शायर हूँ-----

8. तेरा मुझ से पहले का नाता को---

9.औरत ने जनम दिया मर्दों को-----

10.वो सुबह कभी तो आएगी-----

11.जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं-----


साहिर लुधियानवी और मेरे वालिद अच्छे दोस्तों में थे.इसलिए उनसे मिलने का गाहे ब गाहे मौका मिलता रहता था.बम्बई जाने पर तो मुलाकात लाज़िम ही थी.लोग उनसे शाम में मिलने आते पर हमारे लिए हुक्म होता कि दोपहर शुरू होने के पहले ही आना यानी लगभग 11बजे दिन के आसपास.वजह होती शाम का उनका अपनी महफ़िल में बिजी होना और दोपहर का हमें खाना खिलाना. मेरे वालिद शायद ऐसे शख्स थे जो इन जैसी तमाम नामचीन हस्तियों को एक साथ बैठ-बैठा सकते थे.

  मुझे1973 की एक घटना याद है.मेरे बड़े भाई की शादी का वलीमा (Reception)था और साहिर लुधियानवी मेरे गरीबखाने पर तशरीफ़ फरमा थे.उस वक़्त फोटोग्राफी का रिवाज गांव में न के बराबर था.साहिर साहब बार बार कहते सिनेमा में रहने की वजह से बिना फोटोशूट के कोई जश्न समझ में ही नही आता.बम्बई पहुंचते ही उन्होंने एक कोडक कैमरा भेजा जो काफी दिनों तक हमारा कीमती सरमाया बना रहा. गांव में उनकी बेतरतीब जीवनशैली (बम्बइया)से मेरी अम्मा को अपने घरेलू रूटीन में बदलाव लाना पड़ता था जो उन्हें नागवार गुजरता था.लेकिन मेहमान नवाजी में कोई कमी नहीं करती थी.अम्मा कहती कि ई मट्टीमिला  तो मज़रुह से ठीक है. ऊ तो दिन रात सुबह कुछ नही देखते और शुरू हो जाते हैं पर ई तो आसपास वालों का भी लिहाज रखते है. कहने की जरूरत नहीं कि मेरी अम्मा बात बात में मट्टी मिला लफ्ज़ का इस्तेमाल भी करती थीं.

 अनेक बार मैं उनसे बम्बई में मिला.वे दुबारा 1979 में मेरे गाँव आये.सम्भवतः जनतापार्टी की सरकार थी.मेरे वालिद गाँधीयन के साथ-साथ नेहरूवियन भी थे.नेहरू साहिर की भी पसन्द थे.तब तक मैं गांधी-नेहरू को लेकर बहुत उत्साहित नहीं रहता था.शेरो-शायरी के साथ-साथ सियासत की बातें होती.उसी वक़्त मैंने पहली बार साहिर की लिखी हुई नेहरू पर नज़्म सुनीं.दिन में दर्जनों बार साहिर लुधियानवी इसे पढ़ते और मेरे वालिद ग़मज़दा होकर इसे सुनते.हम लोग इसे उस वक़्त पागलपन करार देते। आज समझ मे आया कि उस पीढ़ी को नेहरू क्यों इतने महबूब थे।

नेहरू जी की मौत पर साहिर ने लिखा था ये नज़्म

जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

जिस्म मिट जाने से इंसान नहीं मर जाते

धड़कनें रुकने से अरमान नहीं मर जाते

साँस थम जाने से एलान नहीं मर जाते

होंट जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते

जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

वो जो हर दीन से मुंकिर था हर इक धर्म से दूर

फिर भी हर दीन हर इक धर्म का ग़म-ख़्वार रहा

सारी क़ौमों के गुनाहों का कड़ा बोझ लिए

उम्र-भर सूरत-ए-ईसा जो सर-ए-दार रहा

जिसने इंसानों की तक़्सीम के सदमे झेले

फिर भी इंसाँ की उख़ुव्वत का परस्तार रहा

जिस की नज़रों में था इक आलमी तहज़ीब का ख़्वाब

जिस का हर साँस नए अहद का मेमार रहा

मौत और ज़ीस्त के संगम पे परेशाँ क्यूँ हो

उस का बख़्शा हुआ सह-रंग-ए-अलम ले के चलो

जो तुम्हें जादा-ए-मंज़िल का पता देता है

अपनी पेशानी पर वो नक़्श-ए-क़दम ले के चलो

वो जो हमराज़ रहा हाज़िर-ओ-मुस्तक़बिल का

उस के ख़्वाबों की ख़ुशी रूह का ग़म ले के चलो

जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

जिस्म मिट जाने से इंसान नहीं मर जाते

धड़कनें रुकने से अरमान नहीं मर जाते

साँस थम जाने से एलान नहीं मर जाते

होंट जम जाने से फ़रमान नहीं मर जाते

जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है

उनसे मिलने पर आत्मीयता का एहसास होता.हम लोग उन्हें अंकल कहते.जब भी मिलते गांव का हाल पूछते और सबसे मजेदार बात अम्मा की बकरी का भी हाल चाल लेते. बकरी को ऐसे तमाम नामचीन लोगों के दामन कुतरने का मेडल हासिल था. पर क्या मजाल कोई बकरी पर रोब ग़ालिब कर सके. अम्मा की नाराजगी का डर बहुत महंगा पड़ सकता था.

         25 अक्टूबर 1980 को वो इस दुनिया ए फ़ानी को अलविदा कर गए पर जाते-जाते मेरे पोस्ट ग्रेजुएशन करने की खुशी में एक कोट तोहफे में सिला गए.

डॉ मोहम्मद आरिफ  (लेखक गांधीवादी व इतिहासकार हैं)

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...