शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021
कोरोना के खात्मे को उठें नन्हें रोज़ेदार का हाथ
जी हाँ हम हैं नन्हे रोजेदार
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। मदरसा मतलउल उलूम में कक्षा 6 का छात्र अजीमुश शान इन दिनों इस्लामी रंग में डूबा हुआ है। अल सहर सहरी करना, नमाज़ फजर अदा करना और कुरान की तेलावत करना अजीमुशशान का रोज़ का मामूल हैं। वो कहता है कि उसने पूरे माह का रोजा रखने को ठान रखा है। नन्हे अजीमुश शान के इस हौसले को सभी सलाम कर रहे हैं।जमालुद्दीन पूरा के बुनकर पिता मुमताज़ अली के लाख मना करने पर भी अज़ीमुशशान लगातार रोज़ा रख रहा है। नन्हे हाथों से दुआ मांगते हुए ये नन्हा रोज़ेदार कहता है कि ऐ अल्लाह हमारे देश को, समूची दुनिया को कोरोना जैसी महामारी से छुटकारा दे दे, और सभी प्रकार की मुसीबत से हम निजात दे।
गुरुवार, 22 अप्रैल 2021
रमज़ान का पहला अशरा कल होगा मुकम्मल
रहमत के बाद शुरु होगा मगफिरत का अशरा
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मस्जिदों से जैसे ही अज़ान कि सदाएं, अल्लाह हो, अकबर, अल्लाहो अकबर...फिज़ा में गूंजी। रोज़दारों ने खजूर और पानी से रमज़ान का 9 वां रोज़ा जुमेरात को खोला। इसी के साथ अब रमज़ान का पहला अशरा पूरा होने में महज एक दिन ही बचा है। जुमे को रोज़ेदार सहरी करके दसवां रोज़ा रखेंगे और शाम में दस रोज़ा मुकम्मल करने के साथ ही रहमत का पहला अशरा जहां पूरा हो जायेगा, वही मगफिरत का दूसरा जुमे की शाम से शुरु हो जायेगा।
इससे पहले जुमेरात को इफ्तार के दस्तरखान पर तमाम लज़ीज़ इफ्तारी के साथ ही भीषण गर्मी से निजात दिलाने और गला तर करने के लिए फलों और शर्बत पर लोगों का ज्यादा ज़ोर रहा। परम्परागत इफ्तारी चने की घुघनी, पकौड़ी के अलावा अलग-अलग घरों में तरह-तरह की इफ्तारियां सजायी गयी थी। भीषण गर्मी से निजात के लिए खरबूजा, तरबूज, रुह आफ्ज़ा, नीबू का शर्बत आदि का भी लोगों ने लुत्फ लिया। रोज़ेदारों ने इन इफ्तारियों का लुत्फ लेने के बाद नमाज़े मगरिब अदा की। इस दौरान रब की बारगाह में सभी ने हाथ फैलाकर कोरोना महामारी के खात्मे के लिए दुआएं की। शहर के दालमंडी, नईसड़क, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, गौरीगंज, शिवाला, बजरडीहा, कश्मीरीगंज, कोयला बाज़ार, पठानी टोला, चौहट्टा लाल खां, जलालीपुरा, सरैया, पीलीकोठी, कच्चीबाग, बड़ी बाज़ार, अर्दलीबाज़ार, पक्कीबाज़ार, रसूलपुरा, नदेसर, लल्लापुरा आदि इलाकों में रमज़ान की खास चहल पहल दिखाई दी। इस दौरान मुस्लिम इलाकों में असर की नमाज़ के बाद और मगरिब के बाद लोग खरीदारी करने उमड़े हुए थे।
रमज़ान हेल्प लाईन:आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब
मुफ्ती साहब ज़कात किसे दिया जाये?
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में गुडडू ने नई सड़क से फोन किया कि ज़कात किसे दिया जा सकता है? क्या भाई को ज़कात दिया जा सकता है? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि अगर भाई साहिबे निसाब नहीं है (इस्लाम के नज़रिये से गरीब है) तो जकात भाई को दिया जा सकता है। "ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशे वालों को। वसीम ने पठानी टोला से फोन कि क्या स्टूडेंट को ज़कात दिया जा सकता है? मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब दिया, ऐसे छात्र को "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। जकात तभी दी जायेगी जब वो गरीब हो, मालिके निसाब न हो।रमज़ान का पैग़ाम:10(22-04-2021)
खुलुस, अमन और सौहार्द की मिसाल है रमज़ान का रोज़ा
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का महीना हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैं, मुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपी, कुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैं, बहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता है, चाहे वो ईद हो बकरीद हो, दशहरा, दीपावली व होली आदि, इन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती है? दरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया है, रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।
जुबैर अहमद
(युवा समाजसेवी, वाराणसी)
बुधवार, 21 अप्रैल 2021
रमज़ान का पैगाम-9(21-04-2021)
ख्वाहिशाते दुनिया को भुलाने का नाम है माहे रमज़ान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी साल के 12 महीने में रमजान 9 वा महीना है। यह महीना मुसलमानों के लिए ख़ास मायने रखता है। इसलिए भी कि इस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, इस महीने को संयम और समर्पण के साथ ही खुदा की इबादत का महीना माना जाता है। माहे रमज़ान में अल्लाह का हर नेक बंदा रूह को पाक करने के साथ अपनी दुनियावी हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में ही समर्पित हो जाता है। रमजान में खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें सुुुुबह सहर से शाम मगरिब कि अज़ान होने तक रोज़ेदार खानपान सहित सभी ख्वाहिशाते दुनिया को भुला कर खुद पर न सिर्फ संयम रखता है, बल्कि तमाम बुराईयो से माफी-तलाफी भी करता है इसे अरबी में सोंम कहा जाता है।
यूं तो रब की इबादत जितनी भी कि जाये कम है मगर रमजान में खुदा की इबादत मोमिनीन और तेज़ कर देता है, क्यो कि रमज़ान के दिनों में इबादत का खास महत्व है। यही वजह है कि इस माहे मुबारक में रोज़ेदार जकात देता है, जकात का अपना महत्व है, जकात अपनी कमाई में से ढाई प्रतिशत गरीबों में बांटने को कहते है, जकात देने से खुदा बन्दे के कारोबार और माल में बरकत के साथ ही उसकी हिफाज़त भी करता है, इस्लाम में नमाज़, रोज़ा, हज समेत पांच फराईज़ है। माहे रमज़ान न सिर्फ रहमतों, बरकतो की बारिश का महीना हैं, बल्कि समूचे मानव जाति को इंसानियत, भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत और अमन-चैन का भी पैगाम देता है। नमाज़ के बाद रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस्लाम के मुताबिक रमज़ान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला 10 दिन का अशरा रहमत का होता है इसमें रोज़ा नमाज़ इबादत करने वाले बन्दों पर अल्लाह अपनी रहमत अता करता है। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है इसमें बन्दे कि गुनाहों को रब माफ कर देता है रमज़ान में रब से माफ़ी मांगने, तोबा करने कि तमाम लोग खूब कसरत करते है, तो अल्लाह उसे जल्दी माफ़ कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है, यानी जिसने रमज़ान का 30 रोज़ा मुक्म्मल किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है। इसलिए सभी मोमिनीन को रमज़ान को मुक्म्मल इबादत में गुज़ारना चाहिए।ऐ पाक परवरदिगार तमाम आलम के लोगों को रमज़ान की नेकियों से माला माल कर दे...आमीन।
मौलाना अमरुलहोदा
अल अंसार, मिल्कीपुर, रामनगर
बाहुबली को भी हुआ कोरोना
तिहाड़ जेल में बंद पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन अस्पताल में भर्ती
दिल्ली (दिल इंडिया लाइव)। कोरोना वायरस से फैले संक्रमण ने आम और क्या खास सभी को अपनी जद में ले रखा है। जेल में बंद कैदी भी सुरक्षित नहीं हैं। ताजा मामला दिल्ली के अति सुरक्षित तिहाड़ जेल में बंद बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कल रात को हालत खराब होने पर पूर्व सांसद को डीडीयू अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तिहाड़ प्रशासन के मुताबिक, फिलहाल शहाबुद्दीन की हालत ठीक है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के खतरनाक तरीके से फैलाव ने देश की सबसे सुरक्षित जेल को भी अपनी चपेट में ले लिया है। आपको बता दें कि पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन से पहले भी तिहाड़ जेल में बंद कई कैदियों में कोरोना का संक्रमण पाया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन पहले ही जेल में बंद 90 से ज्यादा कैदियों में वायरस का संक्रमण पाए जाने से हड़कंप मच गया। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में ही तिहाड़ केंद्रीय कारागार के 50 से ज्यादा कैदी कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जिसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया था। अब इस जद में शाहबुददीन भी आ गये हैं।
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